मन की बात’ कार्यक्रम इंटरनेट यूज़र्स की नकारात्मक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम इंटरनेट यूज़र्स की नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण चर्चा में आ गया है। आकाशवाणी पर रविवार को प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम का दूरदर्शन के अलावा कई निजी चैनल भी सीधा प्रसारण करते हैं। इस रविवार को मन की बात के वीडियो पर इंटरनेट यूज़र्स की प्रतिक्रिया शुरू से ही सुस्त रही। कार्यक्रम का प्रसारण सुबह हुआ था मगर देर रात तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ था। रात ढ़ाई बजे, भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम पर लगभग पांच लाख व्यूज़ थे। इस चैनल पर इस वीडियो को 19 हज़ार लोगों ने लाइक किया था जबकि 1 लाख 81 हज़ार ने डिसलाइक किया था. स्पष्ट है कि यह अंतर काफ़ी बड़ा है। इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने यूट्यूब चैनल (Narendra Modi) पर इसके 4 लाख 90 हज़ार व्यूज़ थे। इस वीडियो पर 19 हज़ार लाइक और 35 हज़ार डिइसी तरह पीआईबी के यूट्यूब चैनल पर ‘मन की बात’ पर मात्र 91 हज़ार व्यूज़ थे। जबकि लाइक 3.2 हज़ार और डिसलाइक 10 हज़ार थे।इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने यूट्यूब चैनल (Narendra Modi) पर इसके 4 लाख 90 हज़ार व्यूज़ थे।इस वीडियो पर 19 हज़ार लाइक और 35 हज़ार डिसलाइक थे।

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ संवाददाता सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी कोरोना का क़हर बदस्तूर जारी है।इस बीच मंत्री मोहसिन रज़ा ने ट्वीट कर जानकारी दी वह भी कोरोना पॉज़िटिव हैं।उत्तर प्रदेश सरकार के एक और मंत्री मोहसिन रजा हुए कोरोना पॉजिटिव,मोहसिन रजा के स्टाफ में कुछ लोग पहले पॉजिटिव पाए गए थे मोहसिन रजा ने खुद को सरकारी आवास पर क्वारंटाइन किया।इस बीच रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में 5061 और लखनऊ में 791 कोरोना संक्रमित नए मरीज मिलेहैं ।

 

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ संवाददाता केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में सीमा पर बनी सहमति का उल्लंघन किया है। सरकार ने कहा है कि चीनी सैनिकों ने उकसाऊ क़दम उठाते हुए सरहद पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोक दिया। भारतीय सेना के बयान को पीआईबी की ओर से जारी किया गया है. बयान के मुताबिक़, ”भारतीय सैनिकों ने पंन्गोंग त्सो लेक में चीनी सैनिकों के उकसाऊ क़दम को रोक दिया है. भारतीय सेना संवाद के ज़रिए शांति बहाल करने का पक्षधर है लेकिन इसके साथ ही अपने इलाक़े की अखंडता की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है. पूरे विवाद पर ब्रिगेड कमांडर स्तर पर बैठक जारी है।” भारतीय सेना के अनुसार यह झड़प 29-30 अगस्त की रात हुई है. भारतीय सेना ने कहा है कि चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए ने सीमा पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की लेकिन सतर्क भारतीय सैनिकों ने ऐसा नहीं होने दिया।चीन ने अपने सैनिकों के एलएसी को पार करने की ख़बरों का खंडन किया है। चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक़ चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि चीन की सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा का सख़्ती से पालन करती है और चीन की सेना ने कभी भी इस रेखा को पार नहीं किया है. दोनों देशों की सेना इस मु्द्दे पर संपर्क में हैं। इससे पहले लद्दाख के ही गलवान घाटी में 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और इसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी। इसके बाद से दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है लेकिन तनाव अब भी कायम है।रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आए दिन भारत की संप्रभुता पर हमला बोला जा रहा है, आए दिन चीनी दु:साहस और चीनी घुसपैठ की ख़बरें सामने आ रही हैं। आए दिन भारत की अस्मिता पर अतिक्रमण हो रहा है, हमारी सरजमीं पर कब्जा किया जा रहा है, परंतु मोदी सरकार है कहाँ?

 

प्रशांत भूषण को एक रुपये के जुर्माने की सज़ा
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने जाने-माने वकील प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में दोषी ठहराने के बाद एक रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई है। फ़ैसले के बाद प्रशांत भूषण ने ट्वीट करके बताया कि उनके वकील राजीव धवन ने उन्हें जुर्माने की राशि के लिए एक रुपया दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिय।अदालत ने कहा था कि जुर्माना नहीं दिए जाने की स्थिति में उन्हें तीन महीने जेल की सजा हो सकती है और तीन साल के लिए क़ानून की प्रैक्टिस पर भी रोक लगाई सकती है।भूषण ने कहा है कि वो आज शाम चार बजे प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके बताएंगे कि वो एक रुपये का जुर्माना चुकाएंगे या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि कोर्ट का फ़ैसला किसी प्रकाशन या मीडिया में आए विचारों से प्रभावित नहीं हो सकता।अदालत ने कहा कोर्ट के विचार किए जाने से पहले ही प्रशांत भूषण के प्रेस को दिए बयान कार्यवाही को प्रभावित करने वाले थे। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के दो ट्वीट्स को अदालत की अवमानना के लिए ज़िम्मेदार माना था। कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि जनवरी 2018 में की गई सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों की प्रेस कॉन्फ्रेस भी ग़लत थी. न्यायाधीशों को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की अपेक्षा नहीं होती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी है लेकिन दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करना चाहिए।

 

 

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