जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ हुसैनाबाद ट्रस्ट प्रशासन ने कर्बला मलका आफ़ाक़ गारवाली कर्बला के ताले खोल दिए जिसके बाद वहां भी ज़ायरीन की आमदो रफ़्त शुरू हो गई है।

दस मोहर्रम को दीगर कर्बलााओ की तरहां गारवाली कर्बला को भी बंद किया गया था।सारी दरगाहें कर्बला खुलने के बावजूद गारवाली कर्बला मे ताला लटक रहा था।दूर दराज़ से आने वाले ज़ायरीन वापस लौट रहे थे कल जायज़ा संवाददाता के संज्ञान मे आने के बाद हमारे संवाददाता ने कर्बला जाकर हक़ीक़त जानी वहाँ कोई ये बताने वाला नहीं था की ताला क्यों और किसके आदेश आदेश आदेश लगा है।मक़ामी लोगो ने बताया के लोकल पुलिस बंद करवा गई है।खबर लिख कर अधिकारियो क संज्ञान मे लाया गया उसके बाद हुसैनबाद ट्रस्ट प्रभारी ने ताला खुलवाया ।

बाबरी मस्जिद के बदले में मिलने वाली ज़मीन पर जो मस्जिद तामीर होगी उसका नक़्शा और उसके नक़्शो नुमूर बाबरी मस्जिद जैसे नहीं होंगे यहाँ तक इस नई मस्जिद मे गुम्मद भी नहीं होंगे।

इस के लिए सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने नक़्शा नवीस के तौर पर मुमताज़ नक़्शा नवीस जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रोफे़सर एसएम अख़्तर नक़्श बनाने की ज़िम्मदारी सौंप दी है।

प्रोफे़सर अख़्तर का कहना है की नई मस्जिद का नक़्श पुरानी बाबरी मस्जिद से बिलकुल अलग होगा? इस पर प्रोफेसर अख़्तर साफ़ साफ़ शब्दों में कहते हैं कि नई मस्ज़िद बिल्कुल ही अलग होगी।उसमें गुम्बदनुमा कोई हिस्सा नहीं होगा। इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर अख़्तर कहते हैं, “हमारे प्रोफेशन में कहा जाता है, आर्किटेक्चर कभी दोहराया नहीं जाता। उसे हमेशा समय के साथ विकसित किया जाता है। जो मर चुका है वो पुरात्तव हो जाता है और जो जीवित है वो आर्किटेक्चर यानी वास्तुशिल्प है। जो भी चीज़ समसामियक होगी, जीवित होगी और वाइब्रेंट होगी – हम वैसा ही डिज़ाइन करेंगे।जब इस सोच के साथ हम करते हैं तो नई चीज़ बनाते हैं, पुराने चीज़े दिमाग से निकल जाती है। विश्व में हर जगह ये हो रहा है।”हालाँकि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष ज़ुफर फ़ारूक़ी कहते है। की हमारा ध्यान अस्पताल की तामीर पर ज़्यादा मस्जिद की तामीर कम होगा। क्योकि जहाँ पर मस्जिद की मौजूदा ज़मीन है वहां कसरत से पहले ही से मसाजिद मौजूद हैं और मुसलमानो की आबादी भी है । जायज़ा डेली से बात चीत करते हुए ज़ुफर फ़ारूक़ी ने कहा केअभी प्रोफे़सर एसएम अख़्तर रूबरू बातचीत नहीं हुई है।बोर्ड की मीटिंग के बाद ही प्रारूप तैयार होगा । सुन्नी वक़्फ बोर्ड ने पाँच एकड़ ज़मीन पर क्या काम होना है इसके लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन बनाया था। इसी फ़ाउंडेशन को ज़िम्मेदारी दी गई थी कि इस पाँच एकड़ ज़मीन का कैसे इस्तेमाल होना है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए राम मंदिर के लिए केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था और यूपी सरकार को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जगह देने का फै़सला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या के पास धन्नीपुर गांव में ही यूपी सरकार ने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ ज़मीन दी है। यह ज़मीन कृषि विभाग के 25 एकड़ वाले एक फ़ार्म हाउस का हिस्सा है जहां इस समय धान की फ़सल की रोपाई हुई है। यहाँ अभी एक दरगाह है. यह जगह विवादित स्थल से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर है। हालाँकि अयोध्या के कई मुसलमान और इस विवाद में पक्षकार रहे कई लोग इतनी दूर ज़मीन देने के प्रस्ताव का और मस्जिद बनाने का विरोध कर रहे थे। इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन ने ज़मीन पर मस्जिद बनाने के लिए डिज़ाइन करने वाले आर्किटेक्ट का नाम फाइनल कर लिया है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रोफे़सर एसएम अख़्तर को इस काम के लिए चुना गया है। प्रोफेसर अख़्तर जामिया में आर्किटेक्टर विभाग के डीन भी हैं. तीस साल से इस फील्ड से जुड़े हैं ।और इंडो इस्लामिक नक़्शे डिज़ाइन करने में उन्हें महारत हासिल है। प्रोफे़सर एसएम अख़्तर ने मीडिया को बताय की एक सितंबर को ही उन्हें फोन पर इस बारे में सूचना दी गई कि उन्हें पाँच एकड़ की ज़मीन पर मस्जिद के साथ जो कुछ बनेगा, उसका डिज़ाइन तैयार करना है। दुनिया भर में साल 2007 से इस्लामिक आर्ट एंड आर्किटेक्चर पर एक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस चलती आ रही है। ईरान, पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों में इसका आयोजन हो चुका है। तीन बार दिल्ली में भी उसका आयोजन हुआ है। प्रोफेसर अख़्तर दिल्ली में उन कांफ्रेंस के संयोजक रहे हैं। उनका मानना है कि हो सकता है इस वजह से उनके काम के बारे में फ़ाउंडेशन वालों पता चला हो। उनका दावा है कि प्रोफेसर बनने के पहले उन्होंने कई कंपनियों में बतौर कंसलटेंट काम किया है। जामिया के काफ़ी बिल्डिंग का डिज़ाइन उन्होंने किया है।प्रोफेसर अख़्तर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट उत्तर प्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष और सचिव दोनों रह चुके हैं और लखनऊ से ताल्लुक रखते हैं।

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