जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ बेरोज़गारी को लेकर पूरे देश में कई हलक़ों से आवाज़ें उठती रही हैं।बुधवार को इसे लेकर रात 9 बजे 9 मिनट कैंपेन चलाया गया जिसे कई विपक्षी दलों का भी समर्थन मिला है. इसमें अपने-अपने घरों की लाइट बंद करने की अपील की गई।

इसके साथ ही सोशल मीडिया ट्विटर पर #9बजे9मिनट टॉप ट्रेंड में रहा।देश भर के युवाओं और कई विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे लेकर ट्वीट करने शुरू कर दिए। इससे यह हैशटैग टॉप ट्रेंड में बना रहा, कंगना रनौत को पीछे छोड़ते हुए टॉप पर जा पहुँचा। देश के युवाओं की मांग के समर्थन में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अलग अलग युवाओं के रोज़गार के लिए विरोध प्रदर्शन किया प्रियंका ने ट्वीट किया देश के युवाओं को रोजगार चाहिए। उनकी रूकी हुई भर्तियों की ज्वाइनिंग, परीक्षाओं की डेट, नई नौकरियों की नोटिफिकेशन, सही भर्ती प्रक्रिया और ज्यादा से ज्यादा नौकरियां चाहिए।इसके बदले सरकार कोरे भाषण, लाठियां और उपेक्षा देती है। आखिर कब तक?


समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी एवं पूर्व सांसद श्रीमती डिम्पल यादव जी ने भी बत्तियां बुझाकर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।इस बीच सपा के युवाओं पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज, कई युवा नेताओं को पुलिस ने किया गिरफ्तार, महिला नेताओं से पुलिस की नोकझोंक जारी, सीएम आवास की तरफ जा रहे थे युवा, सीएम आवास की तरफ जाने से रोका।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने देशव्यापी रोजगार के रोजगार की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन का समर्थन किया 9 बजे 9 मिनट के अभियान अभियान में पूरे प्रदेश में जगह जगह कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। प्रदेश मुख्यालय नेहरू भवन पर राष्ट्रीय सचिव श्री धीरज गुर्जर, महासचिव मनोज यादव, प्रशासन प्रभारी दिनेश सिंह, शहर अध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान समेत कई बड़े नेता इस अभियान का हिस्सा बने। राष्ट्रीय सचिव श्री धीरज गुर्जर ने जारी बयान में कहा कि हमारा देश पूरी दुनिया का सबसे नौजवान मुल्क है। नौजवान आने वाली भविष्य की रीढ़ हैं। लेकिन यह सरकार लगातार नौजवानों के साथ धोखा कर रही है। मोदी सरकार नौकरियों का वादा लेकर आई थी लेकिन युवा विरोधी यह सरकार नौजवानों के सपनों का कातिल बन बैठी। यूथ कांग्रेस के नेताओं को लखनऊ पुलिस ने किया गिरफ्तार युवक कांग्रेस के नेता आज बेरोजगार युवाओं के पक्ष में मोमबत्ती, टार्च जलाकर प्रदर्शन करने जा रहे थे। युवक कांग्रेस के नेता “9 तारीख को 9 मिनट अभियान” के समर्थन में कार्यक्रम करने वाले थे। युवक कांग्रेस के नेता ज्ञानेश शुक्ला, शाहनावज़ मंगल आज़मी, शिवम सहित कई नेता गिरफ्तार किये गए ।

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ संवाददाता ईरान का मतलब होता है लैंड ऑफ आर्यन।भारत का भी एक नाम आर्यावर्त है।भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मास्को जाने से पहले ईरान का दौरा किया है।एक हफ्ते में भारत के दूसरे मंत्री ने ईरान का दौरा किया है।इससे पहले मास्को से वापसी पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ईरान गए थे।भारत को ईरान की कितनी  जरूरत है यह बात दो दो मंत्रियों के दौरे  से जाहिर करती है।हालांकि चीन से ईरान के बहुत ही गहरे रिश्ते हैं।ईरान शिया इस्लामिक देश है।और भारत में भी ईरान के बाद सबसे ज़्यादा शिया मुसलमान हैं।अगर भारत का विभाजन न हुआ होता यानी पाकिस्तान नहीं बनता तो ईरान से भारत की सीमा लगती।पाकिस्तान और ईरान भले पड़ोसी हैपर दोनों के संबंध बहुतअच्छे नहीं रहे।क्योंकि पाकिस्तान हमेशां सऊदीअरब का चमचा रहा हैं।पाकिस्तानी सरकारे हमेशां आईएसआई के ज़ेरे असर रही है।और ईरानी सरहद पर हमेशां खुरेज़ी करती है।

मंगलवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान के दौरे पर थे।उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़ारिफ़ से मुलाक़ात की ईरानी विदेश मंत्री ने ट्वीट कर बताया है कि भारतीय विदेश मंत्री से कई मुद्दों पर बहुत ही सकारात्मक बात हुई है।इससे पहले छह सितंबर को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ईरान में थे और उन्होंने ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल आमिर हतामी से मुलाक़ात की थी। चार दिनों के भीतर मोदी सरकार के दो-दो कैबिनेट मंत्रियों का ईरान जाने का मतलब क्या है?कई देशों में भारत के राजदूत रहे राकेश सूद कहते हैं कि ईरान में चार दिनों के भीतर मोदी सरकार के दो-दो कैबिनेट मंत्रियों के जाने को दो तरीक़ों से देखा जा सकता है. राकेश सूद कहते हैं, “राजनाथ सिंह मॉस्को से लौटते वक़्त तेहरान पहुंचे और विदेश मंत्री एस. जयशंकर मॉस्को जाने से पहले ईरान गए. दोनों एयरफोर्स के विमान से गए थे. ऐसे में मॉस्को से सीधे नई दिल्ली या नई दिल्ली से सीधे मॉस्को नहीं जा सकते। बीच में कहीं न कहीं तो रुकना था. दोनों ने तेहरान को चुना. ज़ाहिर है तेहरान के बदले दोनों दुबई को भी चुन सकते थे। लेकिन तेहरान का चुनना केवल रास्ते में रुकने जैसा नहीं है. ईरान भारत के लिए आज के समय में कई मामलों में बहुत अहम है।”राकेश सूद कहते हैं, ”ईरान, चीन, रूस, पाकिस्तान और तुर्की मध्य-पूर्व में साथ आते दिख रहे हैं. चीन तो ईरान और पाकिस्तान में कई बड़ी परियोजनाओं पर काम भी कर रहा है. रूस भी मध्य-पूर्व में अमरीका के ख़िलाफ़ अहम ताक़त है। मध्य-पूर्व में रूस और चीन की लाइन अलग नहीं है. पाकिस्तान, तुर्की और ईरान भी इसी लाइन पर हैं। दूसरी तरफ़ भारत को ईरान से बहुत अच्छी ख़बर नहीं मिल रही. भारत ईरान में चाबहार प्रोजेक्ट को अब भी उस तरह से ज़मीन पर नहीं उतार पाया है। इसके अलावा, मध्य-पूर्व में भारत उन देशों के क़रीब है जिनकी क़रीबी अमरीका से है।मसलन, सऊदी अरब और यूएई.”

 

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