जायज़ा डेली न्यूज़ (संवाददाता) दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस ने अपनी सप्लीमेंट्री यानी पूरक चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेन्द्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और डॉक्युमेंट्री फ़िल्मकार राहुल रॉय को नामज़द किया है।समाचार एजेंसी पीटीआई की इस रिपोर्ट पर सीताराम येचुरी ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर लिखा- ज़हरीले भाषणों का वीडियो है, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? उन्होंने लिखा “हमारा संविधान हमें न सिर्फ़ सीएए जैसे हर प्रकार के भेदभाव वाले क़ानून के विरुद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार देता है बल्कि यह हमारी ज़िम्मेदारी भी है। हम विपक्ष का काम जारी रखेंगे। बीजेपी अपनी हरकतों से बाज़ आए।”उन्होंने लिखा,”दिल्ली पुलिस भाजपा की केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय के नीचे काम करती है। उसकी ये अवैध और ग़ैर-क़ानूनी हरकतें भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के चरित्र को दर्शाती हैं. वो विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरते हैं। और सत्ता का दुरुपयोग कर हमें रोकना चाहते हैं।योगेंद्र यादव ने ट्विटर पर लिखा कि यह तथ्यात्मक रूप से ग़लत है और उम्मीद है कि पीटीआई इसे वापस ले लेगा. पूरक चार्जशीट में मुझे सह-षड्यंत्रकारी या अभियुक्त के रूप में उल्लेख नहीं किया गया है। पुलिस की अपुष्ट बयान में एक अभियुक्त के बयान के आधार पर मेरे और येचुरी के बारे में उल्लेख किया गया है जो अदालत में स्वीकार्य नहीं होगा। कीर्ति दुबे से योगेंद्र यादव ने कहा, “मुझे दिल्ली दंगे से जुड़े एक केस में नामज़द किया गया है न कि मुझे साजिशकर्ता बनाया गया है। मेरा नाम डिस्क्लोज़र बयान में है जिसमें बयान देने वाले का हस्ताक्षर भी नहीं है. सबसे पहले जो भी मैंने रैलियों में कहा है उसका वीडियो मेरे फ़ेसबुक पर उपलब्ध है। पुलिस मेरे बयान को क्यों नहीं लिख देती कि मैंने क्या कहा था। मैंने जो कहा वो गांधी और संविधान की बात ही की. रही बात सीलमपुर की तो जब हमें ये जानकारी मिली थी। कि वहां ये सबकुछ हो रहा है तो हम लोग वहां गए थे।और हमने लोगों को समझाया था कि वे रास्ता खाली कर दें। यहां तक कि मैंने मंच से लाउडस्पीकर पर भी ये बोला था। कि रास्ता खाली करें, जो रहा है। वो सही नहीं है। अपूर्वानंद ने भी यही कहा था कि लोगों को रास्ता खाली कर देना चाहिए।”वहीं पीटीआई के मुताबिक़ पुलिस का कहना है, “ये नाम एक अभियुक्त के एंटी-सीएए प्रोटेस्ट आयोजित करने और संबोधित करने से जुड़े मामले में दिए गए बयान का हिस्सा हैं। इस बयान को रिकॉर्ड किया गया है। सिर्फ डिस्क्लोज़र स्टेटमेंट के आधार पर किसी को अभियुक्त नहीं ठहराया जाता है.”

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