लखनऊ जायजा डेली न्यूज़ एजाज़ रिज़वी पाकिस्तान के मारूफ इस्लामी स्कॉलर अल्लामा डाक्टर ज़मीर अख़तर नक़वी का आज इतवार को इन्तेक़ाल हो गया। दिल का दौरा पड़ने पर गुज़िश्ता शब उन्हें कराची के आग़ा खान अस्पताल मे भर्ती कराया गया था । जहाँ आज सुबह वह अपने मालिक-ए- हक़ीक़ी से जा मिले। उनकी नमाज़-ए- जनाज़ा अन्चोली की इमाम बारगाह में बाद नमाज़-ए- मग़रिब होगी और तदफ़ीन वादिए हुसैन में होगी। अल्लामा ज़मीर नक़वी का जन्म हिन्द व पाक की आज़ादी से पहले 1944 को लखनऊ में हुआ था। इब्तिदाई तालीम से लेकर ग्रेजुएशन तक यहाँ तालीम के बाद वह 1967 मे पाकिस्तान चले गए थे और कराची में बस गए थे। हाई स्कूल हुसैनाबाद इण्टर कालेज से, इण्टरमीडिएट राजकीय जुबिली इण्टर कालेज से और ग्रेजुएशन शिया कालेज से किया था। अल्लामा ज़मीर नक़वी बुनयादी तौर पर एक शायर के तौर पर देखे जाते थे।लेकिन उन्होनें मुख़्तलिफ़ शोबाए हयात में मुख्तलिफ़ मौज़ूआत पर तकरीबन 300 किताबें लिखी हैं। जिसमे अदब, सक़ाफत , मज़हबयात, समाजशास्त्र , फलसफ़ा, सहाफ़त, साईसीं उलूम और तारीख़ ( इतिहास ) वग़ैरह शामिल हैं।अल्लामा ज़मीर नक़वी पाकिस्तान जाने के बाद एक लम्बे अर्से के बाद जब वह पहली बार लखनऊ आए तो तो उनकी यहाँ पर बहुत आव – भगत हुई और मुख़्तलिफ इदारों और तन्ज़ीमों द्वारा सम्मानित भी किये गए। फिर वह अपनी ज़िन्दगी मे कई बार लखनऊ आए उन्होने लखनऊ मे कई मुक़ामात पर मजलिस पढ़ीं और अपने हुनर से दाद व तहसीन वसूली।वह अपने मज़बूत अक़ीदे के लिए भी जाने जाते थे। शबे शहादत इमाम ए चहारुम पर उनके इंतेक़ाल ने साबित कर दिया की वह इमाम के सच्चे चाहने वाले थे।उनको लखनऊ के मारूफ मर्सिया निगार मीर अनीस से खास लगाव था। मर्सिया निगरी परभी उन्होंने काफी लिखा भी और पढ़ा भी।