कोरोना से जंग लड़ रही इलाहाबाद कि सांसद रीता बहुगुणा जोशी की सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल तस्वीर में रीता बहुगुणा जोशी की हालत में सुधार।

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के मुसलमानों के सिविल सेवा में चुने जाने को लेकर दिखाए जा रहे कार्यक्रम पर सख़्त एतराज़ जताते हुए बचे हुए एपिसोड दिखाने पर रोक लगा दी है।सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस चैनल की ओर से किए जा रहे दावे घातक हैं और इनसे यूपीएसी की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लग रहा है और ये देश का नुक़सान करता है।जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा इस तरह के ‘विषैले’ प्रोग्राम देश की स्थिरता के लिए खतरा है यह UPSC की विश्वसनीयता पर सवाल है,क्या इससे ज़्यादा आपत्तिजनक कुछ हो सकता है, जब पत्रकार काम करते हैं,तो उन्हें निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए।जस्टिस जोसेफ ने कहा जब हम पत्रकारिता की आजादी की बात करते हैं, तो यह निरपेक्ष नहीं है। वह अन्य नागरिकों की तरह ही स्वतंत्रता साझा करता है, अमेरिका में पत्रकारों को कोई अलग स्वतंत्रता नहीं है। हमें ऐसे पत्रकारों की जरूरत है जो अपनी बहसों में निष्पक्ष हों जस्टिस के एम जोसेफ -मीडिया को उतनी ही आजादी हासिल है, जितना देश के दूसरे नागरिकों को हासिल है, मीडिया की आजादी बेलगाम नहीं हो सकती, आप TV डिबेट का तरीका देखिए एंकर उन गेस्ट को म्यूट कर देते है, जिनकी राय उनसे अलग होती है सिर्फ एंकर ही बोलते रहते है।

नफरत फैलाने वालो ने अब देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाने वाली सिविल सर्विसेज़ में मुस्लमान आने वाले लड़के और लड़कियो पर निशाना साधना शुरू करदिया है।

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ संवाददाता मुस्लमान लड़के और लड़कियां देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाने वाली सिविल सर्विसेज़ मे अपने दम ख़म पर आते हैं नाकि किसी सोर्स सिफारिश या किसी के रहमो करम पर मगर नफरत फैलाने वालो ने अब देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाने वाली सिविल सर्विसेज़ में मुस्लमान आने वाले लड़के और लड़कियो पर निशाना साधना शुरू करदिया है। संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC के ज़रिए आयोजित होने वाली इन परीक्षाओं को लेकर एक तबका सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहा है। ‘UPSC जिहाद’ हैशटैग से कई ट्वीट काफ़ी समय से ट्रेंड हो रहे हैं और इन ट्वीट्स में मुसलमान उम्मीदवारों के लिए अलग मापदंडों का उल्लेख किया गया है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं, “UPSC में हिंदुओं के लिए 6 मौक़े तो वहीं मुसलमानों के लिए 9 मौक़े”, “यूपीएससी में हिंदू के लिए अधिकतम उम्र 32 साल तो वहीं मुसलमानों के लिए अधिकतम उम्र 35 साल।” इसके अलावा इन ट्वीट्स में उर्दू माध्यम से दी जाने वाली परीक्षा की सफलता दर, मुसलमानों के लिए चलाए जाने वाली कोचिंग सेंटर आदि पर भी सवाल उठाए गए हैं।इन सबसे पहले सोशल मीडिया पर UPSC परीक्षा में ‘इस्लामिक स्टडीज़’ विषय भी काफ़ी ट्रेंड हो चुका है। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा था कि ‘इस्लामिक स्टडीज़ विषय के ज़रिए मुसलमान आईएएस, आईपीएस और आईएफ़एस बन रहे हैं।

जबकि वैदिक या हिंदू स्टडीज़ जैसा कोई विषय UPSC परीक्षा में नहीं है।’ सोशल मीडिया पर किए जा रहे इन दावों की बीबीसी हिंदी की फ़ैक्ट चेक टीम ने एक-एक कर जांच की आइए जानते हैं कि UPSC की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा के क्या मापदंड हैं। इसी साल 12 फ़रवरी को UPSC ने सिविल सर्विसेज़ की प्रारंभिक परीक्षा के लिए नोटिस जारी किया था जिसमें उसने योग्यता, उम्र, आरक्षण और परीक्षा के विषयों आदि के बारे में सिलसिलेवार तरीक़े से जानकारी दी थी।कौन व्यक्ति आईएएस, आईएफ़एस या आईपीएस बन सकता है? इस सवाल पर नोटिस में साफ़ लिखा है कि उसे भारत का नागरिक होना आवश्यक है। नाकि किसी ख़ास धर्म, जाति या नस्ल का,इसके बाद आते हैं उम्र के सवाल पर. UPSC सिविल सेवा की परीक्षा के लिए साफ़ कहता है कि इसके लिए न्यूनतम आयु 21 साल है जबकि अधिकतम 32 साल है।लेकिन इसमें भी सिर्फ़ अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग (OBC), शारीरिक रूप से अक्षम और पूर्व सैन्यकर्मियों के लिए उम्र में छूट है। एससी और एसटी समुदाय के लिए अधिकतम आयु 37 वर्ष, ओबीसी समुदाय के लिए अधिकतम 36 वर्ष और शारीरिक रूप से अक्षम के लिए 42 वर्ष है. इसके अलावा सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा तक आपको ग्रैजुएट होना आवश्यक है। इसमें कहीं भी मुसलमान या किसी और समुदाय का नाम नहीं है. इसका मतलब यह हुआ कि उम्र का पैमाना समुदाय के आधार पर है। न कि धर्म के आधार पर।सोशल मीडिया पर ऐसा दावा किया जा रहा है कि मुसलमानों को UPSC की परीक्षा में 9 बार मौक़ा मिलता है। इस दावे को सच मानने से पहले UPSC के नोटिस को पढ़ते हैं जो साफ़ कहता है कि उम्मीदवारों के लिए 6 मौक़े हैं जबकि SC, ST समुदायों और शारीरिक रूप से अक्षम उम्मीदवारों के लिए परीक्षा देने की कोई सीमा नहीं है। इसके अलावा OBC समुदाय से आने वाले उम्मीदवार 9 बार यह परीक्षा दे सकते हैं. इसका मतलब है कि UPSC किसी धर्म के आधार पर मौक़े नहीं दे रहा है, सिर्फ़ मुसलमानों को 9 बार परीक्षा देने की छूट का दावा झूठ है। इसके अलावा सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा के 26 वैकल्पिक विषयों में कहीं भी इस्लामिक स्टडीज़ का विषय नहीं है। भोपाल में सिविल सर्विसेज़ की कोचिंग देने वाले लक्ष्मी शरण मिश्रा कहते हैं कि इस्लामिक स्टडीज़ विषय वाली बात पूरी तरह झूठ है।

जया बच्चन अभिनेता रवि किशन पर निशाना


समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने बिना नाम लिए बीजेपी के सांसद और अभिनेता रवि किशन पर निशाना साधा है। जया बच्चन ने शून्य काल के दौरान कहा है कि कुछ लोगों वजह से आप पूरी इंडस्ट्री की छवि खराब नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वो बीते कल लोकसभा में फिल्म इंडस्ट्री से ताल्लुक रखने वाले एक लोकसभा सदस्य के ऊपर शर्मिंदा है। सोमवार को रवि किशन ने लोकसभा में फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया था और इस दिशा में कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. उन्होंने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि पाकिस्तान और चीन से मादक पदार्थों की तस्करी हो रही है और यह देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है। हमारे फिल्म इंडस्ट्री में भी यह पहुँच चुका है और एनसीबी इसकी जाँच कर रही है। जया बच्चन ने कहा, “मनोरंजन उद्योग में काम करने वाले लोग सोशल मीडिया से प्रभावित हो रहे हैं. जिन लोगों ने इंडस्ट्री में अपना नाम बनाया है अब वो इसे गटर कह रहे हैं. मैं पूरी तरह से इससे असहमत हूँ. मैं उम्मीद करती हूँ कि सरकार ऐसे लोगों को इस तरह की भाषा नहीं इस्तेमाल करने को कहेगी.”

 

 

 

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