जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली भाजपा की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र सरकार को संकट में डाल दिया है। केंद्र सरकार द्वारा सदन में लाए गए कृषि संबंधी विधेयक का विरोध करने के बाद अब अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के कहने पर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले सदन में अकाली दल ने विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए इसका विरोध किया था। हरसिमरत कौर अकाली दल ने कहा कि सरकार को बाहर से समर्थन जारी रहेगा। कृषि सुधार के दावों के साथ केंद्र सरकार ने जो तीन नए विधेयक पेश किए हैं, उनका देश भर के किसान विरोध कर रहे हैं। किसान संगठनों का आरोप है। कि नए क़ानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र भी पूँजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुक़सान किसानों को होगा। तीन नए विधेयकों में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव के साथ-साथ ठेके पर खेती को बढ़ावा दिए जाने की बात कही गई है।और साथ ही प्रस्ताव है कि राज्यों की कृषि उपज और पशुधन बाज़ार समितियों के लिए गए अब तक चल रहे क़ानून में भी संशोधन किया जाएगा।कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद किसान संगठन इन तीनों विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। किसानों का सबसे ज़्यादा विरोध तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में देखने को मिला है।पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को किसानों से अपील की कि वो अपने विरोध के क्रम में वाहनों की आवाजाही ना रोकें और रास्तों को ब्लॉक ना करें।इसी बीच निषेधाज्ञा के उल्लंघन के आरोप में जिन किसानों के ख़िलाफ़ मामले दर्ज हुए हैं, उन्हें मुख्यमंत्री ने वापस लेने की भी घोषणा की है।कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को लोकसभा में पेश किया, जो इससे संबंधित अध्यादेशों की जगह लेंगे।मंगलवार को आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक लोकसभा से पारित भी हो गया है।भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मलेन में तीनों विधेयकों को “महत्वपूर्ण, क्रांतिकारी और किसानों के लिए लाभकारी” की संज्ञा दी।

प्रधान मंत्री का जन्म दिन विपक्ष ने राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस मनाया


जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ संवाददाता बीजेपी जहां प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दिन विकास सप्ताह के रूप मे मना रही है वही देश में बेरोज़गार नवजवान इसको बेरोज़गार दिवस के तौर पर मना रहे हैं।उधर केन्द्र सरकार की किसान निति पर सरकार मे शामिल पार्टियां विरोध मे आ गई है। 17 सितंबर, गुरूवार को वैसे तो देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 71वां जन्मदिन बनाया गया है। लेकिन इसी मौक़े पर देश के अलग-अलग हिस्सों से बेरोज़गार युवाओं ने राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस भी मनाया। देश के युवाओं के इस प्रदर्शन को प्रमुख विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल था, कई जगहों पर छात्र युवाओं के इस प्रदर्शन में विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं-नेताओं को भी शामिल देखा गया। राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि पिछले छह साल में युवा शक्ति को रोज़गार के नाम पर सिर्फ़ झूठे आश्वासन मिले हैं।यूपी कांग्रेस का राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस आंदोलन को समर्थन लखनऊ में NSUI अध्यक्ष मध्य ज़ोन अनस रहमान समेत कई नेता गिरफ्तार किए गए। बेरोजगारी के खिलाफ कई दिनों से आंदोलित युवाओं को पूरे प्रदेश में कांग्रेस का समर्थन यूथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ओमवीर समेत 18 नेताओं को भेजा जेल गया।इससे पहले नौ सितंबर को देश के अलग-अलग हिस्सों में युवाओं ने रात नौ बजकर नौ मिनट पर टॉर्च, मोबाइल फ़्लैश और दिए जलाकर सांकेतिक रूप से अपना विरोध ज़ाहिर किया था।

 

 

 

 

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