जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ संवाददाता गूगल ने प्ले स्टोर से पेटीएम का ऐप हटा दिया है। गूगल का कहना है कि पेटीएम ने ऑनलाइन गैम्बलिंग की शर्तों का उल्लंघन किया है। पेटीएम भारत का एक अहम स्टार्ट-अप है और दावा है कि इसके महीने के तौर पर पाँच करोड़ एक्टिव यूज़र्स हैं। गूगल ने कहा है कि ऑनलाइन जुआ और दूसरे अनियमित गैम्बलिंग ऐप्स जो सट्टा को बढ़ावा देते हैं, उन्हें प्ले स्टोर रोकता है।और पेटीएम लगातार प्ले स्टोर की नीतियों का उल्लंघन कर रहा है।गूगल की वाइस प्रेसिडेंट सुजेन फ्रे ने कहा है कि गूगल प्ले इस तरह से डिज़ाइन किया गया है। कि ये हमारे ग्राहकों को एक सुरक्षित एहसास देता है। इसके साथ ही डेवलपर्स को ऐसा प्लेटफ़ॉर्म मुहैया कराती है जो उन्हें एक टिकाऊ बिज़नेस का अवसर मुहैया कराता है। हम अपनी वैश्विक नीतियों को हमेशा ऐसे तैयार करते हैं जिसमें सभी पक्षों का ख्याल रखा जाता है। “गैम्बलिंग पॉलिसी को लेकर भी हमारा यही उद्देश्य होता है। हम किसी भी ऑनलाइन जुआ और दूसरे अनियमित गैम्बलिंग एप्स जो सट्टा को बढ़ावा देते हैं, उनकी अनुमति नहीं देते हैं। अगर कोई ऐप ग्राहकों को किसी बाहरी लिंक पर ले जाता है जहाँ किसी पेड टूर्नामेंट या नक़दी जीतने का ऑफ़र किया जाता है तो यह हमारे नियमों का उल्लंघन है।”लेकिन पेटीएम ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है कि प्रिय पेटीएम यूज़र्स, पेटीएम एंड्रॉयड एप गूगल ऐप स्टोर पर नए डाउनलोड और अपडेट्स की वजह से उपलब्ध नहीं है। जल्द ही यह वापस आएगा।आपके पैसे पूरी तरह से सुरक्षित हैं।और आप अपना पेटीएम ऐप पहले की तरह ही इस्तेमाल कर सकते हैं।

भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव अपने चरम पर है। इसी बीच बुधवार को संसद में एक लिखित बयान के बाद केंद्र की मोदी सरकार पर विपक्ष हमलावर हो गया है।कांग्रेस पार्टी कह रही है कि एक ओर जब लद्दाख में सीमा पर चीन के साथ झड़प में भारतीय सैनिकों की मौत हो रही थी। तो दूसरी ओर केंद्र सरकार ‘चीनी बैंक’ से क़र्ज़ ले रही थी। दरअसल, इसकी शुरुआत वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के एक लिखित बयान के बाद हुई। बीजेपी के दो सांसदों ने सवाल किया था। कि कोरोना वायरस महामारी के कारण उपजे हालात से निपटने के लिए केंद्र ने फ़ंड का इस्तेमाल कैसे किया और उसे राज्यों तक कैसे भेजा? इस सवाल पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की संसद को दी जानकारी में यह बात निकलकर आई कि केंद्र सरकार ने चीन स्थित एशियन इन्फ़्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) से कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद दो बार क़र्ज़ लिया। अनुराग ठाकुर ने कहा, “कोविड-19 संकट से निपटने के उपायों के तहत भारत सरकार ने एशियन इन्फ़्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक से दो क़र्ज़ के क़रार किए। पहला क़र्ज़ 8 मई 2020 को 50 करोड़ डॉलर का लिया गया. यह ‘भारत की कोविड-19 आपातकालीन उपाय और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी परियोजना’ को आंशिक रूप से समर्थन करने के लिए लिया गया। इस परियोजना का मक़सद महामारी के कारण उपजे ख़तरे से निपटना और किसी भी हालत से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करना था।” अनुराग ठाकुर ने बताया था कि इसमें से AIIB 25 करोड़ डॉलर दे चुकी है।इसके बाद भारत ने क़र्ज़ का दूसरा क़रार 19 जून को किया. ग़ौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख़ की गलवान घाटी में 15 जून को भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़प में 20 भारतीय जवान मारे गए थे।अनुराग ठाकुर ने संसद में बताया, “19 जून 2020 को दूसरे क़र्ज़ का क़रार हुआ जो 75 करोड़ डॉलर का था. यह भारत सरकार के बजटीय समर्थन के तौर पर था ताकि भारत के कोविड-19 सामाजिक सुरक्षा उपाय कार्यक्रम में तेज़ी आए. प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना (PMGKY) के तहत चलाए गए इस कार्यक्रम में कई क़दम उठाए गए हैं. जिनका लाभ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश तक पहुंचाया गया।”उन्होंने कहा, “PMGKY के तहत आने वाले सभी लाभकर्ताओं को इस क़र्ज़ से लाभ मिला है. अब तक इस क़र्ज़ का पूरा पैसा इस कार्यक्रम के तहत दिया जा चुका है।” इसका अर्थ यह हुआ कि भारत सरकार ने 125 करोड़ डॉलर का क़रार किया जो भारतीय रुपये में 9200 करोड़ से अधिक की रक़म बनती है. इसमें से भी भारत को अभी तक 100 करोड़ डॉलर मिले हैं यानी के भारत को लगभग 7300 करोड़ ही मिल पाए हैं। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए पूछा कि ‘मोदी सरकार भारतीय सेना के साथ है या चीन के साथ?’

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