जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(ज़हीर इक़बाल) यूं तो पाकिस्तान में 80 के दशक से ही शिया समुदाय के लिए माहौल बनना शुरू हो गया था। जिसके जिम्मेदार उस वक्त पाकिस्तान के तानाशाह जर्नल जियाउल हक थे।जिया उल हक के जमाने में ही शिया समुदाय पर पाकिस्तान में अत्याचार शुरू हो गए। जो धीरे-धीरे बढ़ते रहे और फिर खुदकुश धमाकों में तब्दील हो गए ।बीते वर्षो में पाकिस्तान की शिया मस्जिदों इमामबाड़ो में मुहर्रम की मजलिसो में खुदकुश धमाके हुए और हजारों शिया जा बाहक़ हो गए एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक अब तक  खुदकुश धमाकों और टारगेट किलिंग में पाकिस्तान में लगभग 10,000 से ज्यादा शिया समुदाय के लोग मारे जा चुके हैं। जिया उल हक के जमाने के बाद शिया समुदाय के लिए सबसे बदतर दौर नवाज शरीफ का रहा है। पाकिस्तान में टारगेट किलिंग में बड़े-बड़े धर्मगुरु,डॉक्टर्स,इंजीनियर,नोहा खा,शायर,अदीब यहां तक कि पिछले 30 वर्षों में अपने दौर के ज्यादातर नामचीन शियो को मौत का मुंह देखना पड़ा यहां तक की शिया समुदाय के बड़े-बड़े लोग पाकिस्तान छोड़कर दूसरे देशों में जिला वतनी की जिंदगी गुजारने पर मजबूर हो गए लेकिन पाकिस्तान की इस क़त्लो ग़ारत को शिया सुन्नी का झगड़ा नहीं कहा जा सकता है। क्योकि पहले सुन्नी अलीम मौलान इसहाक़ और अमजद सबरी जैसे मशहूर क़व्वाल समेत सैकड़ो वह सुन्नी ना मारे जाते जो मुहर्रम मनाते थे। यही वजह है कि हिंदुस्तान में सेक्युलर मिजाज रखने वाले और शिया सुन्नी इतिहास के अलंबरदार मौलाना मुफ्ती हजरात को पाकिस्तान के कट्टरपंथी आईएसआई एजेंट और कट्टरपंथी मुल्लों की जानिब से धमकियां दी जा रही हैं उनके खिलाफ वीडियो क्लिप बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है पहले शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद नक़वी और अब ख्वाजा अजमेर शरीफ रहमतुल्लाह रहा की दरगाह के सज्जादा नशीन सरवर चिश्ती के खिलाफ एक धमकी भरी वीडियो क्लिप पाकिस्तान के कट्टरपंथी मुल्ला की तरफ से वायरल की गई है। भारत सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पाकिस्तान में शिया समुदाय के इस कत्ले आम में खुद पाकिस्तानी हुकूमत और कट्टरपंथी मुल्लाओ का हाथ रहा है।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने वाले आतंकवादी संगठन

अल कायदा,सिपाहे सहाबा,लश्कर ए झांगवी और तालिबान ने पाकिस्तान में जमकर शिया और सुन्नियो का खून बहाया पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों को सरकार की तरफ से खुली छूट है। क्योंकि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद तक में तालेबान सिपाहे सहाबा समेत दर्जनों आतंकवादी संगठनों के कार्यालय तक खुले हुए हैं। पाकिस्तान में एक के 56 और चाइनीस हथियारों का खुलेआम दिनदहाड़े भरे बाजारों में इस्तेमाल होता है। वह यह साबित करता है। कि इन आतंकवादियों को सरकार की तरफ से खुली हुई छूट हैं। पाकिस्तान का हाल यह हैकी मोटरसाइकिल पर आतंकवादी आते हैंऔर किसी को भी मार कर चले जाते हैं।जनरल परवेज मुशर्रफ के दौर में इन आतंकवादियों संगठनों पर कुछ दिनों के लिए पाबंदी जरूर लगी थी।लाल मस्जिद का ऑपरेशन ओसामा बिन लादेन का मारा जाना परवेज मुशर्रफ की ही देन है। लेकिन मौजूदा वक्त में शियों के खिलाफ पाकिस्तान में जो माहौल बना है। वह निहायती खतरनाक है।अभी हाल में पाकिस्तान में शियों के खिलाफ जो प्रदर्शन हुए उसमें पाकिस्तान की सेना के प्रमुख आईएसआई के प्रमुख तथा सरकार में बैठे हुए बहुत से लोगों का समर्थन प्राप्त था मौजूदा समय में दुनिया दो धढ़ो में बटी हुई नजर आ रही है। सबसे ताकतवर देश कहे जाने वाले अमेरिका ने सऊदी अरब और उसके हिमायती देशों को अपने पाले में खड़ा कर लिया है। जबकि दूसरी तरफ ईरान,तुर्की सीरिया,लेबनान,इंडोनेशिया,रूस और चाइना जैसे मुल्क नजर आ रहे हैं। यूं तो पाकिस्तान हमेशा सऊदी अरब का पिट्ठू रहा है। लेकिन अभी हाल में कश्मीर मसले पर सऊदी अरब का साथ न मिलने से नाराज पाकिस्तान ने ईरान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। लेकिन ईरान से खुला समर्थन ना मिलने के बाद पाकिस्तान नाराज हो गया है। पाकिस्तान में शिया समुदाय के खिलाफ एकदम से जो माहौल बनाया गया है। उससे साबित होता है। कि उसके पीछे कहीं ना कहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की खिसियाहट कारफरमा है। अब इमरान खान सऊदी अरब को खुश करने के हथकंडे इस्तेमाल कर रहा है।पाकिस्तान के बड़े पत्रकार और सोशल मीडिया पर इस बात का जिक्र हो रहा है। कि इस आतंकवादी प्रदर्शन के पीछे खुद वहां के सेना प्रमुख बाजवा और आई एस आई के प्रमुख शामिल है।पाकिस्तान में ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के पत्रकार बिलाल फ़ारूक़ी को पिछले हफ़्ते सेना की आलोचना और धार्मिक नफ़रत फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।उनका क़सूर ये है कि उन्होंने अपने ट्वीट में इस्लामाबाद में शिया विरोधी रैली का एक वीडियो क्लिप पोस्ट करते हुए लिखा है, इन रैलियों में जो संगठन शामिल हो रहे हैं वो गृह मंत्रालय की लिस्ट में प्रतिबंधित हैं। इसके बाद भी इन्हें इतनी छूट कैसे मिल रही है?”बिलाल के इस ट्वीट पर पाकिस्तान की नारीवादी एक्टिविस्ट इस्मत रज़ा शाहजहां ने लिखा है, “मेरा अनुमान है कि चीन-ईरान में 400 अरब डॉलर की डील और ईरान की पोर्ट सिटी बन्दार अब्बास को अहमियत देने से अमरीका-सऊदी के साथ खाड़ी के अन्य देश चिढ़े हुए हैं। पाकिस्तान में शियाओं के ख़िलाफ़ हालिया नफ़रत सेना प्रमुख जनरल बाजवा, आईएसआई प्रमुख के रियाद दौरे और विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी के सऊदी पर बयान के बाद शुरू हुई है।”

 

 

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