जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ( संवाददाता) यूपी में माफियाओं के खिलाफ योगी सरकार का कहर जारी है। मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई के बाद रविवार को अंबेडकरनगर में माफिया सरगना खान मुबारक का घर भी ढहा दिया गया। इस दौरान जिले के पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे। रविवार दोपहर तक कई थानों की फोर्स तथा पीएसी के जवान माफिया सरगना खान मुबारक के हरसम्हार गांव पहुंच गए। कुछ ही देर में मौके पर एसपी आलोक प्रियदर्शी अन्य अधिकारियों के साथ पहुंचे और घर ढहाने की कार्रवाई शुरू कर दी। खान मुबारक का घर जिले के हरसम्हार गांव में स्थित है। उस पर अलग-अलग जिलों में करीब 35 मुकदमें दर्ज हैं। खान मुबारक का भाई खान जफर मुंबई में हत्या समेत कई बड़े मामलों में शामिल रहा है और आजीवन कारावास की सजा के तहत वहीं की जेल में बंद हैं।

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता )पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस की एक 20 वर्षीय महिला उसके गांव के ही चार लोगों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार और बेरहमी से पिटाई के बाद एक सरकारी अस्पताल की आईसीयू में उसके मौत से लड़ रही है. महिला अनुसूचित जाति समुदाय से है, जबकि सभी चार आरोपी एक तथाकथित उच्च जाति से हैं। जिस अस्पताल में महिला को भर्ती कराया गया है वहां के डॉक्टरों का कहना है कि महिला के पूरे शरीर में कई फ्रैक्चर हैं और उसकी जीभ भी कट गई है। डॉक्टरों के अनुसार, उसकी हालत बेहद गंभीर है और उसे दिल्ली में स्थानांतरित करने की आवश्यकता हो सकती है।

पुलिस ने सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उन पर सामूहिक बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया है, और उन्हें जेल भेज दिया है। हालांकि, महिला के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शुरू में उनकी मदद नहीं की और मामले पर गुस्सा जताने के बाद कार्रवाई की है. पुलिस ने आरोप से इनकार किया है। कथित तौर पर यह घटना 14 सितंबर को जिले के एक गांव में हुई, जो दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। महिला के भाई ने बताया, मेरी मां, बहन और बड़े भाई कुछ घास लेने के लिए एक खेत में गए थे। मेरा भाई घास की एक बड़ी गठरी के साथ पहले घर गया, जबकि मेरी मां और बहन ने उन्हें काटना जारी रखा. जहां वे थी, उसके दोनों ओर बाजरे की फसल थी। जल्द ही, दोनों महिलाएं एक दूसरे से थोड़ी दूर हो गईं. चार-पांच लोग पीछे से आए, उन्होंने मेरी बहन के दुपट्टे को उसके गले में डाल दिया और उसे बाजरे के खेतों के भीतर खींच लिया। महिला के भाई ने कहा, ‘मेरी मां को एहसास हुआ कि वह गायब थी और वह उसकी तलाश में गई। मेरी बहन बेहोश पाई गई.उन्होंने उसके साथ बलात्कार किया था। पुलिस ने शुरू में हमारी मदद नहीं की, उन्होंने त्वरित कार्रवाई नहीं की। उन्होंने चार-पांच दिनों के बाद कुछ कार्रवाई की।हाथरस लड़की से सामूहिक दुष्कर्म मायावती और कांग्रेस ने कहा प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित नहीं
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने हाथरस में एक लड़की की बुरी तरह पिटाई और फिर सामूहिक दुष्कर्म किए जाने को अत्यधिक शर्मनाक व निंदनीय करार देते हुए सरकार से इस ओर ध्यान देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यूपी के जिला हाथरस में एक दलित लड़की को पहले बुरी तरह से पीटा गया फिर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। जो अति-शर्मनाक व अति-निन्दनीय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अन्य समाज की बहन-बेटियां भी अब सुरक्षित नहीं हैं। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे। यह बसपा की मांग है।उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय कुमार लल्लू ने इस घिनौने काण्ड की घोर निन्दा करते हुए कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। हर रोज प्रदेश के तमाम जनपदों से हत्या, रेप, गैंगरेप और जघन्य अपराधों की तमाम घटनाएं समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं। लचर कानून व्यवस्था और दोषियों पर तत्काल ठोस कार्यवाही न किये जाने से प्रदेश में ऐसे अपराधों की बाढ़ सी आ गयी है। मुख्यमंत्री जी अपराधियों पर सख्त कार्यवाही करने के बजाए अपनी टीम 11 द्वारा जुटाये गये झूठे तथ्यों के जरिये जनता को गुमराह कर रहे हैं।

राजधानी में कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या भी अधिक

यूपी की राजधानी लखनऊ में कोरोना का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है। राज्य के सबसे अधिक प्रभावित शहर बने लखनऊ में बीते कुछ हफ्तों में कोरोना की रफ्तार तो धीमी हुई है, लेकिन मरने वाले मरीजों की संख्या अब भी बढ़ रही है। प्रदेश की राजधानी में कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या भी अधिक है। बड़ी बात ये कि कोरोना के कारण अब करीब हर दूसरे घंटे एक मरीज को राजधानी में अपनी जान गंवानी पड़ रही है। कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित हुए लखनऊ शहर में अब तक कुल 664 मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से 45 फीसदी यानि की करीब 300 मरीजों को अपनी जान सितंबर महीने में गंवानी पड़ी है। अधिकारियों का कहना है कि कोरोना से जान गंवाने वाले मरीजों में अधिकतर ऐसे मरीज हैं जो कि गंभीर होने के बाद अस्पताल पहुंचे थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हुई। सितंंबर में कुल 303 मरीजों की मौत डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे मरीजों ने पहले कोरोना के सिंपटम्स को सीरियस नहीं लिया और बाद में हालत गंभीर होने के बाद अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों के मुताबिक, तमाम मरीजों की मौत फेफड़े के इंफेक्शन के कारण हुई है और इनमें से कई ऐसे हैं जिनकी जान अस्पताल में भर्ती होने के 12 से 48 घंटे के भीतर हुई है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, सितंबर महीने में कुल 303 कोरोना मरीजों की मौत हुई है। हालांकि रोज आने वाले केसों की संख्या में अब कुछ कमी आ गई है।लखनऊ 2500 कोरोना मरीज लापता होने से हड़कंप, मरीजों ने फोन नंबर,पता गलत दिया था, रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो खोजे नहीं मिल रहे, जांच कराते समय गलत जानकारी दी थी, स्वास्थ्य विभाग,पुलिस इन्हें खोजने में लगी।

 

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