जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ ( जावेद ज़ैदी) शिया धर्मगुरु मौलाना सय्यद कल्बे जव्वाद नकवी ने कहा है कि जब तक जिला मजिस्ट्रेट इमामबाड़ा आसफ़ी ( बड़ा इमामबाड़ा ) से सम्बन्धित अपने बयान को वापिस और इमामबाड़े धार्मिक स्थल होने का तहरीरी ऐलान नहीं करें गें, तब तक हमारा एहतिजाज जारी रहेगा। उन्होने आज रात बड़े इमामबाड़े में मजलिस को सम्बोधित किया। उन्होने कहा कि अब इमामबाड़े मे कल दिन में 11 बजे मजलिस होगी। उसके बाद 24 घण्टे मजलिस व मातम और अज़ादारी होगी। उन्होने शहर की सभी 150 मातमी अन्जुमनों को मुख़ातिब करते हुए कहा कि अशरे ऊला के दौरान अज़ादारी जितने कार्यक्रम नहीं हो सके हैं वह सब बड़े इमाम बाड़े में कल से अन्जाम दे। मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि आग पर मातम, अलम फातेह फुरात ,अलविदाई अलम बरामद करें और शब्बेदारी के प्रोग्राम भी बड़े इमामबाड़े मे करें।
मौलाना कल्बे जवाद ने मजलिस को खिताब के दौरान कहा कुछ लोग झूठा प्रोपेगेन्डा की बात कर रहे हैं तो उनको बता दूँ कि अंग्रेज़ी अख़बार ” इण्डियन एक्स्प्रेस” में बयान आया था (डी. एम.) का कि हम यह तहक़ीक़ करे गे कि इमामबाड़ा मज़हबी मुक़ाम है कि नहीं । मौलाना कल्बे जव्वाद ने मजलिस मे “ज़ुल्म और अदल” पर बात करते हुआ कहा कि हक़दार को उसका हक़ देना अदल है और उसका हक छीनना ज़ुल्म है। उन्होने कहा कि जिस काम के लिये जो मुक़ाम बना है उनमें वही काम अन्जाम न दिया जाए तो यह भी ज़ुल्म है। बड़े इमाम बाडे मे मजलिस, मातम, अज़ादारी, ग़मे हुसैन के लिये इजाज़त न हो और पर्यटक के लिये इजाज़त हो तो यह ज़ुल्म है। उन्होने कहा कि हाकिम का कर्तव्य है कि ज़ुल्म न होने दे न कि ख़ुद ज़ुल्म करे । यह मुनासिब नहीं है। इमाम बाड़ा आसिफ़ -उद-दौला (बड़ा इमामबाड़ा) के सिलसिले में हुसैनाबाद ट्रस्ट के चेयरमैन के तौर पर जिम्मेदारी निभा रहे जिला मजिस्ट्रेट, लखनऊ के द्वारा की गई टिपणी ने एक नया विवाद पैदा कर दिया है। टिपणी जो अखबार में छपी है, ” धार्मिक स्थल है अथवा नहीं”। इस टिपणी पर शिया धर्म गुरु मौलाना सय्यद कल्बे जव्वाद ने कहा कि यह हमारे धार्मिक अधिकारों का हनन है।