जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ ( जावेद जैदी) प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहां है कि  जिला प्रशासन ने  हुसैनाबाद  ट्रस्ट  के अधीन आने वाले अवध के बादशाहो के बनवाए हुए तारीखी इमामबाड़ा को  प्रशासन ने  मान लिया है कि वह पहले धार्मिक स्थल हैं।मौलाना ने कहा कि शिया समुदाय की एक जुकता की वजह से प्रशासन को हम अपने जाएज़ मुतालबा के लिए मनवाने में कामयाब रहे। मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि यह शाही इमाम बाड़े शिया समुदाय की पहचान है। और अजादारी के लिए मख़सूस है। मौलाना कल्बे जवाद ने ऐलान किया है कि 7:30 बजे शब में बड़े इमामबाड़े में होने वाली मजलिस में लोग तशरीफ़ ना लाएं उन्होंने कहा कि हमें हर हाल में कोविड-19 गाइड लाइन का खयाल रखना है। मौलाना ने शिया समुदाय के लोगों से अपील की है कि वह रोज़ा काज़मैन शाहनजफ छोटा इमामबाड़ा तथा दूसरे इमामबाड़ा में मजलिसओं तमाम करें ताकि आजादारो की भीड़ एक जगह जमा ना हो सके लोग अलग-अलग गाइड लाइन के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इमामबाड़ो में मजलिसए करें।

मौलाना ने बताया कि हुसैनाबाद ट्रस्ट के सचिव / नगर मजिस्ट्रेट सुशील प्रताप सिंह ने आज ट्रस्ट के इमामबाड़ों से सम्बन्धित अपने बयान का लिखित खण्डन जारी कर दिया है । उन्होने इस सम्बन्ध में लिखा है, कि हुसैनाबाद एंव सम्बद्ध ट्रस्ट लखनऊ में समस्त धार्मिक स्थलों में परम्परा गत धार्मिक क्रिया कलाप संचालित किये जाएंगें। उन्होंने अग्रेज़ी अखबार दि इण्डियन एक्स्प्रेस लखनऊ को अपना लिखित खण्डन भेजा है जिसमें उन्होंने उस ख़बर का हवाला दिया है कि” 25 सितम्बर को जब अख़बार की तरफ से उनसे सम्पर्क किया गया था तो उन्होने सचिव हुसैनाबाद की हैसियत से कहा था कि इमामबाड़ा धार्मिक स्थल की कैटेगरी मे आता है, यह देखने के बाद निर्णय लेंगें । हम लोगों को बात मौलाना कल्बे जव्वाद से चल रही है। उन सब बातों के आधार पर अब यह निर्णय लिया जायगा।” आज उन्होने अख़बार को खण्डन भेजा है। 

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