उत्तर प्रदेश में आज कोरोना के 4069 और लखनऊ में 532 नए केस मिले।

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ संवाददाता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी के शासन वाले प्रदेश सरकारों से कहा है कि वो केंद्र सरकार के कृषि क़ानून को निष्प्रभावी करने के लिए अपने यहां क़ानून लाने की संभावना पर विचार करें। सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित प्रदेश सरकारों को सलाह दी है कि वो संविधान के अनुच्छेद 254(ए) के तहत क़ानून पारित करने के संदर्भ में गौर करें। हाल में संपन्न हुए संसद के मानसून सत्र में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को दोनों सदनों ने मंज़ूरी दी है। संसद से पारित इन विधेयकों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को मुहर लगा दी है जिसके बाद अब ये क़ानून बन गए हैं। हालांकि संसद में पेश किए जाने से लेकर अब तक इनके विरोध में पंजाब, हरियाणा समेत देश के कई अन्य हिस्सों में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैंकई जगहों पर विरोध प्रदर्शन अब उग्र भी होते जा रहे हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की भारत में अपना काम बंद करने घोषणा

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपना काम बंद करने की घोषणा की है. उसने ये फ़ैसला हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के संस्था के खातों को फ़्रीज़ करने के बाद किया है।एमनेस्टी ने एक बयान में अपना काम बंद करने के लिए “सरकार की बदले की कार्रवाई” को ज़िम्मेदार बताया है। उसने आगे लिखा है, “ये मानवाधिकार संगठनों के ख़िलाफ़ भारत सरकार की ओर से बेबुनियाद और ख़ास मक़सद से लगाए गए आरोपों के आधार पर चलाए जा रहे अभियान की एक ताज़ा कड़ी है।”एमनेस्टी ने अपने बयान में कहा है, “10 सितंबर को एमनेस्टी इंटरनेशल इंडिया को पता चला कि ईडी ने उसके सारे बैंक खातों को फ़्रीज़ कर दिया है, जिससे मानवाधिकार संस्था के अधिकतर काम ठप हो गए हैं।”ईडी ने सीबीआई की ओर से पिछले साल दर्ज एक एफ़आईआर के बाद अलग से जाँच शुरू की थी। एमनेस्टी पर विदेशी चंदा लेने के बारे में बने क़ानून एफ़सीआरए के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।भारत सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और सच से दूर बताया है। साथ ही कहा है कि एमनेस्टी ने बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। भारतीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर अपनी ओर से मामले के तथ्य रखे हैं। “भारत सरकार ने बयान में कहा कि मानवीय कामों और सत्ता से सच बोलने के सभी बढ़िया बयान सिर्फ उनकी ख़ुद की उन गतिविधियों से ध्यान हटाने की चाल है, जो भारतीय क़ानूनों का स्पष्ट उल्लंघन करती हैं। साथ ही ऐसे बयान सालों में की गई अनियमितताओं और अवैधताओं की जांच को प्रभावित करने की कोशिश भी है।”भारतीय गृह मंत्रालय ने साथ ही बयान में ये भी कहा है कि एमनेस्टी अन्य संस्थाओं की तरह ही भारत में मानवीय काम जारी रखने के लिए स्वतंत्र है। “हालांकि भारत विदेशी दान से वित्त पोषित संस्थाओं को अपनी घरेलू राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देता है। ये क़ानून सभी पर बराबर लागू होता है और एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा।”

भारत द्वारा स्थापित लद्दाख को मान्यता नहीं देता है चीन

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वाँग वेनबिन ने कहा है कि है उनका देश भारत द्वारा स्थापित किए गए कथित केंद्र प्रशासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं देता है। भारत ने चीनी दावे को ख़ारिज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “हमनें भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में चीन के एक प्रवक्ता के हवाले से आई रिपोर्ट देखी है। भारत ने कभी भी एक तरफ़ा कार्रवाई के तहत 1959 में बनाए गए एलएसी को स्वीकार नहीं किया है। हमारी यह स्थिति हमेशा से रही है, और चीन समेत सभी को इस बारे में पता भी है।”भारत ने अपने बयान में आगे कहा, “2003 तक दोनों तरफ़ से एलएसी के निर्धारण की दिशा में कोशिश होती रही लेकिन इसके बाद चीन ने इसमें दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी लिहाज़ा ये प्रक्रिया रुक गई इसलिए अब चीन का इस बात पर ज़ोर देना कि केवल एक ही एलएसी है, यह उन्होंने ने जो वादे किए थे, उनका उल्लंघन है।”चीनी सरकार के क़रीब समझे जाने वाले अख़बार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार भारत सीमा से लगे इलाक़ों में सड़क निर्माण कर रहा है, इससे जुड़े सवाल पर वाँग वेनबिन ने कहा, “चीन विवादित सीमावर्ती इलाक़े में सैनिक नियंत्रण के इरादे से बुनियादी ढांचे के निर्माण का विरोध करता है।” भारत की केंद्र सरकार ने पाँच अगस्त 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत भारत प्रशासित कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर दिया था और राज्य को विभाजित कर उसे दो नए केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया था। एक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर बना दिया गया था जबकि लद्दाख को उससे निकालकर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था।

 

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