ब्यूरोक्रेसी में फेरबदल –

नवनीत सहगल को अतिरिक्त प्रभार ACS सूचना विभाग बनाया गया अवनीश अवस्थी से सूचना विभाग का प्रभार हटाया गया शेष विभाग यथावत बने रहेंगे । नवनीत सहगल को अतिरिक्त प्रभार ACS सूचना विभाग बनाया गया । संजय प्रसाद को अतिरिक्त प्रभार प्रमुख सचिव सूचना विभाग बनाया गया । बाबू लाल मीना प्रमुख सचिव समाज कल्याणबनाया गया । मनोज सिंह से समाज कल्याण विभाग हटा कर अपर मुख्य सचिव सचिव उद्यान बनाया गया । सरोज कुमार MD पूर्वांचल विद्युत वितरण विभाग दिया गया ।

जायजा डेली न्यूज़ लखनऊ ( संवाददाता ) इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथरस में दलित लड़की से कथित गैंगरेप और मौत के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार को नोटिस जारी किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने युवती के साथ रेप की घटना का संज्ञान लिया है। कोर्ट ने यूपी सरकार और पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर मामले पर उनसे प्रतिक्रिया मांगी है।जानकारी के मुताबिक, जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस जसप्रीत सिंह ने मामले में नोटिस जारी कर मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। पीठ ने मामले को संज्ञान में लेते हुए यूपी सरकार और एसपी हाथरस को नोटिस जारी किया है और जिला पुलिस द्वारा गैंगरेप विक्टिम के साथ कथित ‘अमानवीय’ तथा ‘क्रूर’ व्यवहार को लेकर प्रतिक्रिया मांगी है। कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई के लिए 12 अक्टूबर की तारीख तय की है।इससे पहले उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने  कहा था कि फ़ोरेंसिक रिपोर्ट में ये साफ़ कहा गया है कि महिला के साथ रेप नहीं हुआ। उनके अनुसार मौत का कारण गर्दन में आई गंभीर चोटें हैं।उन्होंने कहा, ”दिल्ली की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में लड़की की मृत्यु का कारण गले में चोट होने के कारण जो ट्रॉमा हुआ उससे बताई गयी है। फ़ोरेंसिक लैब की रिपोर्ट भी आ गई है, जिसमें ये स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि जो सैंपल इक्कट्ठे किए गए उसमें शुक्राणु/स्पर्म नहीं पाया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि ग़लत तरीक़े से जातीय तनाव पैदा करने के लिए इस तरह की चीज़ें कराई गईं।

पुलिस ने शुरू से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की है।और आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी.” कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इसका जवाब देते हुए कहा है, ”एडीजी(लॉ एंड ऑर्डर) ने निहायत ही घिनौनी बात कही है। वो कहते हैं रेप नहीं हुआ क्योंकि सिमन नहीं मिला। थोड़ा सा क़ानून बता दूं. धारा 375 का 2013 में संशोधन किया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश बनाम बाबूनाथ 1994 केस में साफ़ तौर से कहा है कि सिमन का ना मिलना या लिंग का पेनेट्रेशन ना होना ही रेप नहीं है, उसकी कोशिश करना भी रेप है. शर्म कीजिए।”वहीं दूसरी ओर दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ”20 वर्ष की महिला को 28 सितंबर को सफ़दरजंग अस्पताल में लाया गया और उनकी हालत काफ़ी गंभीर थी। जब उन्हें भर्ती किया गया तो वह सर्वाइकल स्पाइन इंजरी, क्वेड्रिफ़्लेजिया (ट्रॉमा से लकवा मारना) और सेप्टिकेमिया (गंभीर संक्रमण) से पीड़ित थीं।”

 

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