जाएज़ डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) उत्तर प्रदेश सरकार ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। इस अवधि में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को चुनाव प्रक्रिया पूरी करना होगी। यह कार्यकाल दोबारा बढ़ाया गया है। इससे पहले अप्रैल 2020 में सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने पर बोर्ड को 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया था।सितंबर 2020 में 6 महीने पूरे हो गए जिसके बाद एक बार फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।शासनादेश में कहा गया है कि समयत विचार उपरांत यह निर्णय लिया गया है कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड नियमावली की चुनाव की धारा 4 (2)95 के अनुरूप चुनाव कराया जाए इस प्रक्रिया के पूर्ण होने में लगभग 6 महीने की अवधि का समय निर्धारित करते  हुए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के कार्यकाल को 6 महीने के अवधि के लिए बढ़ाया गया है।सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी ने जायजा डेली के संवाददाता से बात करते हुए कहा की वह नए बोर्ड के गठन हेतु कराए जाने की प्रक्रिया आरंभ करने पर शासन के निर्णय का स्वागत करते हैं।उनहोंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है। इस बीच शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है कानूनी जानकारों का कहना हैकि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड और शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड बड़ा अंतर है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के कार्यकाल को कानूनी तौर पर बढ़ाया गया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के लिए जो तर्क दिए गए थे। वह शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के लिए नहीं दिए जा सकते कानूनी जानकारों का कहना है कि सुनो वक्फ बोर्ड में लगभग 500 मुतवल्ली हैं। जो इलेक्शन में वोट करते हैं जबकि शिया वक्फ बोर्ड में लगभग 33 मुतवल्ली ही हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड में 7 मेंबर पार्लियामेंट जिसमें से एक राज्यसभा से और छह लोकसभा के होते हैं। जबकि 30 एमएलए और एमएलसी के दरमियान इलेक्शन होता है। जो 2-2 सदस्यों का चयन करते हैं। कोविड-19 कि पांचवी अनलॉक गाइडलाइन मैं भी 100 व्यक्तियों की ही परमिशन है जबकि यहां लगभग 500 मुतवल्लियों के बीच चुनाव होना है। इन मुतवल्ली में सिक्सटी फाइव प्लस के कई लोग शामिल हैं। कानूनी जानकारों का कहना है। कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के गठन के लिए चुनाव तो कराया जा सकता है। लेकिन एक्सटेंशन देना संभव नहीं है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की अवधि पिछले 18 मई 2020 में समाप्त हो गई थी।। उस समय शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड को एक्सटेंशन नहीं दिया गया क्योंकि अवधि समाप्त हुए भी 6 महीने ज़्यादा का समय गुज़र गया है।इस पर विधि विशेषज्ञों का कहना हैकि नियमाअनुसार अवधि बीत जाने के बाद एक्सटेंशन नहीं दिया जा सकता। इस सिलसिले में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन ने हाईकोर्ट में एक रिट पिटिशन भी दायर कर रखी है। जिसमें कोर्ट से आग्रह किया गया है। कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की कार्य अवधि को भी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरह बढ़ा दिया जाए उस समय कोर्ट ने सरकार से इस सिलसिले में जवाब दाखिल करने को कहा था परंतु वह मुकदमा विचाराधीन है। इसके अलावा पूर्व चेयरमैन के निकट सम्बन्धी ने एक जनहित याचिका दायर करके सरकार से यह मांग की थी कि वह शिया सेंट्रल बोर्ड को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में मर्ज कर दे । अदालत ने इस पर सरकार की विधिक राय मांगी थी। जवाब  दाखिल करने को कहा था इस मुकदमे में भी पेटीशनर ने अवमानना याचिका दाखिल कर रखी है।सूत्र बताते हैं कि सरकार में इस बात को लेकर गहन मंथन हुआ कि एक तरफ तो पूर्व चेयरमैन बोर्ड की अवधि बढ़ने के लिए अदालत से लेकर सरकार तक तर्क पेश कर रहे हैं। परंतु दूसरी तरफ शिया वक्फ बोर्ड को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में मर्ज करने की गुहार लग रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी भ्रष्टाचार के सख्त विरोधी हैं। और वह भ्रष्टाचारयों के खिलाफ लगातार करवाई कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान के शासनकाल में रामपुर में कस्टोडियन की लगभग 28 बीघा  वह भूमि जो भारत सरकार में केंद्रीय सुरक्षा बल के लिए आवंटित की थी को वक़्फ़ इमामुद्दीन कुरेशी की भूमि बता कर शिया वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में दर्ज कर लिया गया उक्त प्रकरण भी माननीय हाईकर्ट की इलाहाबाद बेंच में विचाराधीन है। ताकि इस भूमि का आज़म खान की मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए इस्तेमाल होसके मोहम्मद आजम खान पत्नी और बेटे के समेत जेल में हैं।तथा उन पर भ्रष्टाचार दबंगई जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में मोहम्मद आजम खान जब वह मंत्री थे। तो उस समय मौलाना कल्बे जवाद ने शिया वक्फ बोर्ड में फैले हुए भ्रष्टाचार तथा शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के ख़िलाफ़ आंदोलन चलाया था। उस समय मोहम्मद आजम खान मौलाना कल्बे जवाद के धुर विरोधी हो गए थे। और उनके इशारे पर प्रदर्शनकारियों पर दर्जनों मुकदमे तथा प्रदर्शनकारियों को जेल भी जाना पड़ा था। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मौलाना कल्बे जवाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके शिया वक्फ बोर्ड के भ्रष्टाचार के लिए शिकायत की थी तथा सीबीआई जांच की मांग की थी जरा सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने मौलाना को आश्वस्त किया था कि उनकी मांगों पर विचार कर नियमानुसार कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था। सूत्र बताते हैं कि शायद यही वजह है कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दोबारा एक्सटेंशन नहीं दिया जा रहा है।सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल द्वारा गठित 15 सदस्य टीम शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अभिलेखों की जांच कर रही है।

सईद आलम का क्षेत्रीय मंत्री बनाए जाने पर अभिनंदन
राजकीय वाहन चालक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रांतीय संघ उत्तर प्रदेश लखनऊ के द्वारा लखनऊ मंडल के श्री सईद आलम वाहन चालक एडी मंडल लखनऊ को क्षेत्रीय मंत्री बनाए जाने पर हार्दिक अभिनंदन बहुत-बहुत बधाई हो। श्री शहीद आलम भाई को रत्नेश यादव जी की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं और ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि आप अपने पद की गरिमा को बनाए रखें और अपने पद पर सही दिशा निर्देश के साथ कार्य करते रहें।….. रत्नेश यादव (जिला संगठन मंत्री) राजकीय वाहन चालक संघ चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश लखनऊ जनपद -शाखा उन्नाव

 

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