बचे जो अगले बरस हम हैं और ये ग़म फिर है
जो चल बसे तो ये अपना सलाम ए आख़िर है

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (जावेद हैदर ज़ैदी ) कोरोना वबा के इस दौर में अज़ादारी-ए-इमामे मज़लूम पर बन्दिशों की वजह से इस साल हुसैनी अज़ादार अपने मौला का ग़म खुलकर नहीं मना सके।अब जब कोविड – 19 की गाईड लाईन में काफ़ी रियाएत का ऐलान हो चुका है ऐसे में समझा जा रहा था कि शायद अय्यामेअज़ा की आख़री रातों में दो अंजुमनों के प्रोग्रामों और आठ रबिअल अव्वल को चुप ताज़िये का जुलूस निकालने की इजाज़त मिल जाएगी।

लेकिन प्रशासन से इसकी इजाज़त के लिये जो शर्तें रखी गईं, उनके साथ यह मुमकिन नहीं था। इस सिलसिले में डाक्टर हसन बाकर ने आज ऐलान कर दिया कि चुप ताजिये का जुलूस इस साल बरामद नहीं होगा।

उन्होने कहा कि वह खानवादाए नवाब अग़ग़न साहब मरहूम की जानिब से यह ऐलान कर रहे हैं।

अय्याम-ए-अज़ा के दो माह आठ रोज़ में से दो माह गुज़र जाने के बाद अब अज़ादारों की आस आठवीं पर टिकी हुई थी लेकिन 2020 के कोरोना काल में अब वह आस भी टूट गई अय्याम – ए – अज़ा की आख़री रातें सात और आठ रबिअल अव्वल को रौज़ा – ए – काज़मैन में होनें वाली शब्बेदारी इस साल नहीं होगी। अन्जुमन काज़मिया आबिदया के सेक्रेट्री नसीर अहमद खां ने यह ऐलान कर दिया है। वहीं इस मौक़ पर साथ में ही करबला दयानत-उद-दौला बहादुर में अन्जुमन हुसैनिया क़दीम की जानिब से होने वाली शब्बेदारी भी इस साल नहीं होगी।

इस मौक़ पर रौज़ा -ए -काज़मैन में होने वाला आग पर मातम भी मुल्तवी कर दिया गया है। रोज़ा-ए-काज़मैन में 8 रबिअल अव्वल को रात में मजलिस होने की इत्तिला है जिसको मौलाना यासूब अब्बास ख़िताब करेंगे। वहीं करबला दयानुत दौला में रात को होने वाली मजलिस के सिलसिले में फ़िलहाल कोई हत्मी फ़ैसला नहीं हो सका है। इस मजलिस को मौलाना सय्यद क्लबे जव्वाद ख़िताब करते हैं लेकिन इस साल कोरोना वबा के चलते वह मौक़े पर पढ़ने के बजाय ऑन लाईन मजलिस को ख़िताब करने को तरजीह दे रहे हैं।हालाँकि मौलाना कल्बे जवाद ने जायज़ा डेली के संवाददाता से कहा है की अगर अंजुमन हुसैनिया क़दीम कोरोना गाइड लाइन के तहत मजलिस करेगी तो पढ़ने जाऊंगा। समझा जा रहा है कि जिस तरह से दूसरे मौक़ों पर कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए मातमी अंजुमनों ने अपने-अपने अन्दाज़ में नौहा ख़्वानी व सीना ज़नी करके ख़िराजे अक़ीदत पेश किया था।अगर मुमकिन हुआ तो उसी तरह से आठवीं के मौके पर भी कर सकती हैां इस बीच रौज़ा-ए-काज़मैन में सात रबिअल अत्वल को रात में आग पर मातम के मुंतज़िम रज़ा इक़बाल ने बताया कि इस साल अंजुमन की शब्बेदारी मुल्तवी होने की वजह से आग पर मातम का प्रोग्राम भी इस साल नहीं होगा।

रज़ा इक़बाल इसी वजह से इस साल दुबई से लखनऊ नहीं आए। रज़ा इक़बाल के चचा छोटे नवाब मरहमू पहले इस मातम के मुन्तज़िम थे, उनके बाद से रज़ा इक़बाल इस मातम के मुंतज़िम हैं।

 

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