जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता)उत्तर प्रदेश के बागपत में एक अजीब मामला सामने आया है। यहां एक दारोगा को सस्पेंड कर दिया गया है। आप सोचेंगे कि इसमें अजीब क्या है? दारोगा ही तो सस्पेंड हुए हैं, लेकिन उनके सस्पेंशन के पीछे कारण उनकी दाढ़ी है। उन्होंने बिना उच्च अधिकारियों की अनुमति लिए अपनी दाढ़ी बढ़ाई। उन्हें चेतावनी दी गई लेकिन नहीं माने तो कार्रवाई झेलनी पड़ी। मामला रमाला थाने पर तैनात एक दारोगा का है। एसपी बागपत अभिषेक सिंह ने बताया कि दारोगा इंसार अली ने अपनी दाढ़ी बढ़ाई। विभाग की अनुमति के बिना ही दाढ़ी रख रहे थे। तत्कालीन एसपी ने भी उन्हें हिदायत दी। पिछले एसपी ने उन्हें तीन बार दाढ़ी कटवाने के लिए कहा। इसके बावजूद भी दारोगा ने निर्देशों का पालन नहीं किया। एसपी ने बताया कि बार-बार निर्देश न मानने पर उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई कर दी गई है। एसपी ने बताया कि पुलिस में किसी भी धर्म के व्यक्ति को दाढ़ी रखनी होती है तो उसे विभाग की अनुमति लेनी पड़ती है लेकिन दारोगा इंसार अली बार-बार पुलिस विभाग के नियमों को ताक पर रख रहे थे और निर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे। स्वयं एसपी ने तीन बार हिदायत दी गई, लेकिन दारोगा ने दाढ़ी नहीं कटाई। वहीं दारोगा इंसार अली का कहना है कि उन्होंने आईजी कार्यालय में दाढ़ी रखने के लिए अनुमति मांग रखी है। लेकिन अभी तक उनके मांग पत्र पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।दरोगा ने अपनी सफाई में कहा की 2013 से दाड़ी रखने की मांग रहा हु अनुमति,आज तक विभाग ने न अनुमति दी न प्रतिबंध लगाया,फिर करवाई क्यों?सहारनपुर निवासी इंतसार अली यूपी पुलिस में एसआई के पद पर भर्ती हुए थे और पिछले तीन साल से वह बागपत जिले में कार्यरत हैं। लॉकडाउन से पहले उन्हें रमाला थाने में तैनाती दी गई थी। पुलिस विभाग के नियमों के विपरीत लंबी दाढ़ी रखने को लेकर चर्चा में आए थे।

पत्रकारों के उत्पीड़न को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रेस संस्थाओं का प्रधानमंत्री को पत्र
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता) दो अंतरराष्ट्रीय प्रेस संस्थाओं,द इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट और इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त पत्र लिखकर, उनसे यह आग्रह किया है कि ‘वे पत्रकारों के उत्पीड़न को रोकने के लिए तत्काल ज़रूरी क़दम उठायें।’दोनों संस्थाएं संपादकों, पत्रकारों और मीडिया में काम करने वालों की अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं हैं जिन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि ‘पीएम मोदी राज्य सरकारों को पत्रकारों के ख़िलाफ़ सभी मामले वापस लेने का निर्देश दें।’ इस पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में पत्रकारों पर अपना काम करने के बदले आईपीसी के सेक्शन-124ए के तहत राजद्रोह के मुक़दमें भी लगाये गये हैं जिन्हें वापस लिया जाना चाहिए। इस पत्र में केरल के पत्रकार सिद्दक़ी कप्पन की गिरफ़्तारी पर विशेष रूप से चिंता ज़ाहिर की गई है जो हाथरस केस की रिपोर्टिंग कर रहे थे। पत्र के अनुसार, कोरोना महामारी फैलने के बाद पत्रकारों के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इस पत्र में एक रिपोर्ट का हवाला देकर कहा गया है कि 25 मार्च से 31 मई के बीच, महामारी कवर करने वाले 55 पत्रकारों को निशाना बनाया गया और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा उन पर केस किये गए। इन संस्थाओं ने लिखा है कि “स्वास्थ्य संकट का उपयोग उन लोगों को चुप कराने के लिए किया जा रहा है, जिन्होंने सरकार की प्रतिक्रिया में कमी को उजागर किया है. मगर स्वतंत्र मीडिया का होना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।

अमरीका को डर रूस और ईरान प्रभावित करना चाहते हैं चुनाव
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता) अमरीका में ख़ुफ़िया अधिकारियों ने कहा है कि रूस और ईरान ने 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले वोटर्स को प्रभावित करने के लिए उनकी जानकारियाँ हासिल कर ली हैं।अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जानकारी दी कि रूस और ईरान दोनों देश मतदाताओं को ग़लत जानकारी देने के लिए संपर्क करना चाहते हैं।अधिकारियों ने बताया कि कई राज्यों में डेमोक्रेट मतदाताओं को ईरान से धमकी भरे ईमेल भेजे जा रहे हैं। नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक जॉन रेटक्लिफ़ ने बताया कि ये ईमेल दक्षिणपंथी ट्रंप समर्थक समूह की ओर से आए हैं और अशांति फैलाने के इरादे से भेजे गए थे। रेटक्लिफ़ के मुताबिक़ अमरीकी अधिकारियों को ये भी पता चला है कि ईरान और रूस ने कुछ मतदाताओं के रजिस्ट्रेशन की जानकारी भी हासिल की है। यह जानकारी राष्ट्रपति चुनाव के महज 13 दिनों पहले आई है।

 

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