जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) बांग्लादेश की राजधानी ढाका में फ़्रांसीसी सामानों के बहिष्कार की मांग के समर्थन में दसियों हज़ारों लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। फ़्रांस के इस्लामिक अतिवाद के ख़िलाफ़ कड़े रुख़ के कारण विवाद बढ़ता जा रहा है। इसे लेकर इस्लामिक देशों से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। ढाका में प्रदर्शनकारियों ने फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का पुतला जलाया। इमैनुएल मैक्रों ने फ़्रांसीसी पत्रिका शार्ली हेब्दो में पैग़ंबर मोहम्मद पर छपे कार्टून का समर्थन किया था। प्रदर्शनकारी ढाका स्थित फ़्रांसीसी दूतावास की तरफ़ बढ़ रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इमैनुएल मैक्रों ने फ़्रांसीसी

सेक्युलरिज़्म का बचाव किया था और उसके बाद से वो कई मुस्लिम बहुल देशों के निशाने पर हैं। इस महीने की शुरुआत में पैग़ंबर मोहम्मद पर छपे कार्टून को लेकर फ़्रांस में एक शिक्षक का सिर कलम कर दिया गया था। उस शिक्षक को श्रद्धांजलि देते हुए मैक्रों ने कहा था कि वो कार्टून के मामले में नहीं झुकेंगे। सोमवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने भी फ़्रांसीसी सामानों के बहिष्कार की अपील की थी। टेलीविज़न पर प्रसारित अपने भाषण में अर्दोआन ने कहा था, ”जिस तरह से दूसरे विश्व युद्ध के बाद यहूदियों को निशाना बनाया जा रहा था उसी तरह से मुसलमानों के ख़िलाफ़ अभियान चल रहा है। यूरोप के नेताओं को चाहिए कि वे फ़्रांस के राष्ट्रपति को नफ़रत भरे अभियान रोकने के लिए कहें।” हालांकि यूरोप के देशों की सभी सरकारों ने इमैनुएल मैक्रों का समर्थन किया है

और अर्दोआन की प्रतिक्रिया की निंदा की है।अर्दोआन ने शनिवार को इस्लामिक अतिवाद पर फ़्रांस के राष्ट्रपति के रुख़ को लेकर कहा था कि मैक्रों को मानसिक इलाज कराने की ज़रूरत है.।प्रतिक्रिया में अर्दोआन ने फ़्रांस से अपने राजदूत वापस बुलाने की भी घोषणा की थी। पुलिस के अनुमान के मुताबिक़ फ़्रांस के ख़िलाफ़ मार्च में क़रीब 40 हज़ार लोग शामिल हुए। इस मार्च का आयोजन इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश ने किया था। यह बांग्लादेश की बड़ी इस्लामिक पार्टियों में से एक है।प्रदर्शनकारी फ़्रांसीसी सामानों के बहिष्कार का नारा लगा रहे थे और राष्ट्रपति मैक्रों को सज़ा देने की मांग कर रहे थे। इस्लामी आंदोलन के नेता अताउर रहमान ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि मैक्रों उन चुनिंदे नेताओं में से एक हैं जो शैतान की इबादत करते हैं। रहमान ने बांग्लादेश की सरकार से फ़्रांस के राजदूत को वापस भेजने की भी मांग की।लीबिया, बांग्लादेश और ग़ज़ा पट्टी में फ़्रांस सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए और उनमें फ़्रांसीसी चीज़ों के बहिष्कार की अपील की गई. इसके साथ ही तुर्की के साथ फ़्रांस का वाक युद्ध भी तेज़ हो गया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इन बहिष्कारों का समर्थन किया और जब पिछले सप्ताह मैक्रों ने फ़्रांस के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का बचाव किया तो उन्होंने कहा कि फ़्रांसीसी राष्ट्रपति का दिमाग़ ख़राब हो गया है। फ़्रांस ने तुर्की से अपने राजदूत को बुला लिया है।

ईरान की संसद मे प्रस्ताव पारित

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के ख़िलाफ़ कई देशों में ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा है। पैग़ंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून दिखाने के फ़ैसले का बचाव करने के कारण कई अरब देशों ने मैक्रों की खुलकर निंदा की है।सोमवार को पाकिस्तान और ईरान की संसद ने भी एक प्रस्ताव पारित कर मैक्रों की आलोचना की।पाकिस्तान की संसद ने तो फ़्रांस से अपना राजदूत वापस बुलाने की माँग की है।जबकि ईरान की संसद का कहना है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर पैग़ंबर मोहम्मद का अपमान फ़्रांसीसी सरकार के रुख़ पर सवाल उठाता है। पिछले दिनों फ़्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने पैग़ंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाने के एक फ़्रांसीसी शिक्षक के फ़ैसले का समर्थन किया था। सैमुएल पैटी नाम के इस शिक्षक की हत्या कर दी गई थी।इसके बाद फ़्रांस में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे।उस दौरान मैक्रों ने इसे ‘इस्लामिक आतंकवादी’ हमला कहा था और ये भी कहा था कि इस्लाम संकट में है। मैक्रों ने इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों पर कार्रवाई का भी ऐलान किया था। उसके बाद से कई संगठन सरकार के निशाने पर हैं और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई भी हुई है।लेकिन इस्लाम पर मैक्रों के बयान को लेकर कई मुस्लिम देश नाराज़ हैं और कई देशों में फ़्रांस के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार हज़ारों लोगों ने फ़्रांस के सामानों के बहिष्कार की माँग की और फ़्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का पुतला जलाया।

 

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