जायज़ा डेली न्यूज़ पटना (संवाददाता)बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पहले चरण में 16 जिलों की 71 सीटों पर सख्त सुरक्षा में छिटपुट हिंसा के बीच वोटिंग खत्म हो गई है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए आज पहले चरण का मतदान पूरा हो गया है। बिहार विधानसभा चुनाव भारत में कोराना महामारी के बीच पहला चुनाव है। पहले चरण के मतदान में बिहार के 16 ज़िलों की कुल 71 सीटों पर वोटिंग हुई। चुनाव आयोग के अनुसार शाम छह बजे तक 53.54 प्रतिशत वोट डाले गए हैं। चुनाव आयोग की तरफ़ से फ़ाइनल आंकड़े आने के बाद एक-आध फ़ीसद का अंतर हो सकता है। सबसे अधिक मतदान बांका ज़िले के धौरय्या विधान सभा सीट पर हुआ जहां 62.50 प्रतिशत वोट डाले गए।

सबसे कम वोट भोजपुर ज़िले की संदेश सीट पर डाले गए जहां शाम छह बजे तक 43.80 प्रतिशत वोट पड़े. एक ओर कई सीटों पर विभिन्न प्रत्याशियों के समर्थक आपस में भिड़ गए तो वहीं तीन अलग -अलग जगहों पर तीन की मौत हो गई है। उधर सुबह मतदान के शुरुआती दौर में कई जगहों पर बड़़ी संख्या में ईवीएम खराब मिल रही थी। इसकी वजह से जमुई के 12 बूथों पर मतदान का समय 4 बजे से बढ़ाकर 7 बजे कर दिया गया था। कड़ी सुरक्षा के बीच हो रहे मतदान के बीच औरंगाबाद जिले के ढिबरा इलाके से सुरक्षाबलों ने दो इंप्रोवाइज्ड विस्फोटक उपकरण(IED) बरामद किया । वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र के इस पर्व में कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखकर मतदान करने की अपील की । उधर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी मतदान के दौरान मंदिर पहुंचे। वहीं राहुल गांधी ने भी चुनाव के लिए लोगों को शुभकामनाएं दीं। बिहार चुनाव में 71 सीटों पर दो करोड़ से अधिक मतदाता 1066 उम्मीदवारों के भाग्य का आज फैसला कर दिया है। उम्मीदवारों में आठ मंत्री सहित 952 पुरुष व 114 महिला प्रत्याशी शामिल हैं। अब रिजल्ट 10 को आएगा।

स्मृति ईरानी कोरोना पॉजिटिव बिहार चुनाव में भाजपा की स्टार प्रचारक हैं
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। उन्होंने गुरुवार को यह जानकारी ट्वीट के जरिए दी। इसके साथ ही उन्होंने अपने संपर्क में आए लोगों से जल्द जांच कराने को कहा है। स्मृति ने ट्वीट करते हुए कहा- इस बात का ऐलान करने के लिए शब्दों का चयन मेरे लिए दुर्भ है। इसलिए इसे साधारण रखते हुए कहती हूं कि मेरा कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है और उन लोगों से अनुरोध करना चाहूंगी जो मेरे संपर्क में आए हैं वे जल्द से जल्द अपनी जांच करवा लें। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने पिछले हफ्ते अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी का भी दौरा किया था, जहां पर उन्होंने अपने लोकसत्रा क्षेत्र के लिए कई परियोजनाओं का ऐलान किया था। कोरोना वायरस रोकथाम के लिए मार्च में लगाए गए लॉकडाउन के बाद यह अमेठी का उनका पहला दौरा था।इससे पहले, बिहार के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी कोरोना संक्रमित पाए गए थे। उन्हें इलाज के लिए पटना स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था। सुशील मोदी ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी। जबकि, चुनाव प्रचार करते हुए बीजेपी के एक और स्टार प्रचार और पार्टी के सीनियर नेता शाहनवाज हुसैन रैली करते हुए कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। स्मृति ईरानी बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की स्टार प्रचारक हैं

भाजपा और बसपा में नजदीकियां बढ़ रही हैं सपा समर्थित निर्दल प्रकाश बजाज का पर्चा निरस्त
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता)सपा समर्थित निर्दल प्रकाश बजाज का पर्चा निरस्त।
प्रस्तावकों में से एक का गलत नाम पाए जाने के कारण पर्चा ख़ारिज किया गया।इस बात को लेकर चर्चा थी की बसपा के विधायक टूट रहे है।सपा समर्थित निर्दल प्रकाश बजाज को वोट देगे बसपा में बगावत कोई नई बात नहीं है। यूपी की राजनीति में अगर देखा जाए तो सबसे अधिक बगावत बसपा के ही खाते में रही है। चाहे जो भी दौर रहा हो, बसपा में बगावत के सुर हमेशा मुखर होते रहे हैं। इन सबके बावजूद बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसकी कभी परवाह नहीं की। जो गया उसे जाने दिया। मायावती यह बाखूबी जानती थी कि रामजी गौतम को राज्यसभा पहुंचाने के लिए उनके पास जरूरत भर वोट नहीं है। इसके बाद भी उन्होंने दांव खेला। रामजी गौतम को मैदान में उतार कर सभी को चौंकाया। राजनीतिक गलियारे में इसके मायने तलाशे जाने लगे। भाजपा के आठ उम्मीदवारों की घोषणा के बाद यह चर्चाएं शुरू हुई कि भाजपा और बसपा में नजदीकियां बढ़ रही हैं। मिशन 2022 में नए गठबंधन की नई संभावनाओं पर चर्चाएं शुरू हो गईं। इसी बीच सपा समर्थित प्रकाश बजाज ने मैदान में आकर सभी को चौंका दिया। इसके अगले ही दिन यानी बुधवार को बसपा विधायकों का बागी होना और उनका सपा मुख्यालय पर जाकर अखिलेश से मिलना, काफी कुछ साफ कर रहा है। बसपा विधायकों के बगावत ने 17 साल पहले वर्ष 2003 की उस घटना की याद ताजा कर दी, जब मुलायम सिंह यादव ने कम विधायक होने के बावजूद बसपा के 13 विधायक तोड़ लिए और सरकार बना ली थी। यह मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और आखिरकार बसपा के विधायकों की सदस्यता रद्द हुई थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सपा सरकार ने करीब-करीब अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। उस समय बसपा के 37 विधायकों ने मायावती से बगावत करते हुए लोकतांत्रिक बहुजन दल के रूप में मान्यता दी गई, जिसका बाद में सपा में विलय हो गया। बसपा से एक-एक कर अपने बेगाने होते रहे। राज बहादुर, आरके चौधरी, डा. मसूद, शाकिर अली, राशिद अल्वी, जंग बहादुर पटेल, बरखू राम वर्मा, सोने लाल पटेल, राम लखन वर्मा, भगवत पाल, राजाराम पाल, राम खेलावन पासी, कालीचरण सोनकर आदि अनेकों ऐसे नेता हैं जो बसपा से बाहर हो गए। इसमें से आरके चौधरी और सोने लाल पटेल ने अपनी पार्टी बना ली थी। विधानसभा चुनाव 2017 से पहले बसपा में ऐसी भगदड़ मची की स्वामी प्रसाद मौर्या, बृजेश पाठक, धर्म सिंह सैनी जैसे नेता निकल कर भाजपाई हो गए।

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