जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता )फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के पैग़ंबर मोहम्मद साहब पर छपे कार्टून का समर्थन करने के बाद से फ्रांस मे के जहाँ मुस्लिम देशो से रिश्ते ख़राब हुए हैं। वहीँ फ्रांस मे खाना जंगी जैसे हालत हो रहे है। फ़्रांस के नीस शहर में एक संदिग्ध हमलावर ने कई लोगों पर चाकू से हमला किया है। फ़्रांस की पुलिस के मुताबिक़ हमले में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है जिसमें एक महिला का सिर काट दिया गया है। यह हमला फ़्रांस के मशहूर नॉट्रे डाम चर्च के पास हुआ है। हमले में कुछ लोग घायल भी हुए हैं।नीस के मेयर क्रिश्चियन एस्ट्रोसी ने पत्रकारों को बताया कि संदिग्ध हमलावर बार-बार ‘अल्लाहू अकबर’ (अल्लाह महान है) चिल्ला रहा था। हमलावर को गिरफ़्तार कर लिया गया है। मेयर ने कहा कि जिस तरह यह हमला हुआ है, उससे इसके ‘आतंकी हमला होने के’ संकेत मिलते हैं। फ़्रांस की राष्ट्रीय आतंकविरोधी टीम ने मामले की जाँच शुरू कर दी है। नीस भूमध्य सागर के तट पर स्थित दक्षिणी फ़्रांस का एक प्रमुख शहर है।
भारत का फ़्रांसीसी राष्ट्रपति को समर्थन
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता) मुस्लिम देशों से फ्रांस के ख़िलाफ़ एकजुट होने की अपील के बाद। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दे दी है। बुधवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने फ़्रांसीसी राष्ट्रपति का समर्थन किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है, “अंतरराष्ट्रीय वाद-विवाद के सबसे बुनियादी मानकों के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़िलाफ़ अस्वीकार्य भाषा में व्यक्तिगत हमलों की हम निंदा करते हैं। हम साथ ही भयानक तरीक़े से क्रूरआतंकवादी हमले में फ़्रांसीसी शिक्षक की जान लिए जाने की भी निंदा करते हैं। हम उनके परिवार और फ्रांस के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं. किसी भी कारण से या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद के समर्थन का कोई औचित्य नहीं है।भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान को भारत में फ़्रांस के राजदूत इमैनुएल लीनैन ने ट्वीट किया है।भारतीय विदेश मंत्रालय का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में फ़्रांस और भारत हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने फ्रांस को चेतावनी
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने फ्रांस को चेतावनी दीइस बीच ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने फ्रांस को चेतावनी दी है कि पैगंबर की आलोचना करने से ‘हिंसा और रक्तपात’ को बढ़ावा मिलेगा। रुहानी ने कहा कि पश्चिमी देशों को यह समझना होगा कि…पैगंबर की आलोचना करना सभी मुस्लिमों, सभी पैगंबरों और सभी मानवीय मूल्यों की आलोचना करना है। पैगंबर की आलोचना करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। यह अनैतिक है। यह हिंसा को बढ़ावा दे रहा है।’
पैगंबर हज़रत मुहम्मद का अपमान निंदनीय और असहनीय है:मौलाना कल्बे जवाद
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) मजलिसे ओलमाए हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने आज फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन द्वारा पैगंबर हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स0अ0व0) के अपमान की कडी निंदा करते हुए बयान जारी किया। मौलाना ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रोन का बयान आया है कि फ्रांस पवित्र पैगंबर के कार्टून बनाने की प्रक्रिया को जारी रखेगा, निंदनीय और असहनीय बयान है। यूरोप जो खुद को धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी कहता है यह उसकी मुनाफिकाना नीति का सबूत है। मौलाना ने कहा कि मैक्रॉन ने पहले भी कहा है कि इस्लाम वैश्विक संकट से पीड़ित है, अगर ऐसा है तो इस्लाम यूरोप में तेज़ी से क्यों फैल रहा है। मैक्रोन के बयान उनकी बीमार मानसिकता का प्रतीक हैं और वह लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काना चाहते हैं।मौलाना ने कहा कि जो लोग पैगंबर हज़रत मोहम्मद के चरित्र और उनकी सीरत से अनजान हैं, एसा निन्दात्मक बयान दे सकते हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इस्लामोफोबिया का शिकार हैं और अपनी चरमपंथी मानसिकता का इज़हार कर रहे हैं। मौलाना ने कहा कि यूरोप इस्लामोफोबिया का शिकार है। युवा पीढ़ी मैक्रोन जैसे इस्लामोफोबिया से पीड़ित लोगों के शब्दों पर कम ध्यान देती है, युवा पीढ़ी अनुसंधान और अध्ययन में रूची रखती है और जिसने भी इस्लाम और पैगंबर हज़रत मोहम्मद की सीरत और उनकी ज़िंदगी का अध्ययन किया है वह लोग प्रभवित हुए बिना नही रह सके।मौलाना ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति खुद की थोड़ी सीभी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते और अपने आलोचकों को जेल भेज देते है, लेकिन उन्होंने पैगंबर हज़रत मोहम्मद का अपमान करके अपनी द्वैध नीति और बीमार मानसिकता का सबूत दिया है। फ्रांस के लोगों को इस संबंध में अपने राष्ट्रपति से सवाल करना चाहिए और उनके खिलाफ प्रतिक्रिया देनी चाहिए क्योंकि मैक्रॉन की ये हरकतें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं।मौलाना ने कहा कि इस्लामी दुनिया मुस्लमान देशों की पाखंडी भूमिका का खामियाज़ा भुगत रही है। अगर सभी मूस्लमान देश ऐसे चरमपंथी और इस्लामोफोबिया का शिकार देशों और पवित्र पैगंबर हज़रत मोहम्मद (स0अ0व0) का अपमान करने वालों का कजुट हो कर बहिष्कार करते तो ऐसे निंदनीय बयान कभी अस्तित्व में नहीं आते। मौलाना ने कहा कि सभी इस्लामिक देशों को एकजुट होकर फ्रांसीसी अधिकारियों के बयानों की निंदा करनी चाहिए और अगर वह माफी नहीं मांगते हैं, तो उन्के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लेने चाहिए और पैगंबर हज़रत मोहम्मद के प्रति अपने प्यार और वफादारी को प्रदर्शित करना चाहिए।