जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (सवाददाता) प्रदूषण से कोरोना वायरस अधिक सक्रिय हुआ है। कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। गम्भीर मरीज भी बढ़ रहे हैं। मरीजों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर सपोर्ट की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया समेत एल-3 कोविड अस्पतालों में 15 दिन पहले 100 से ज्यादा वेंटीलेटर बेड खाली हो गए थे। जो अब दोबारा से भर गए हैं। आईसीयू बेड के लिए मरीजों को चार से सात दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। डाक्टरों का कहना है कि यदि प्रदूषण पर नियंत्रण नही किया गया तो संभावित कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों के लिए अधिक घातक साबित होगा। पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख व कोविड अस्पताल के आईसीयू प्रभारी डॉ. जिया हाशिम बताते हैं कि प्रदूषण से समस्या गंभीर हो रही है। अक्टूबर में संक्रमित मरीज कम होने पर गम्भीर मरीजों की संख्या में कमी आयी थी। आईसीयू वार्ड में मरीजों का दबाव कम हुआ था। करीब 15 दिन पहले पीजीआई के कोविड अस्पताल के 80 वेंटीलेटर बेड में से करीब 15 खाली हो गए थे। वहीं केजीएमयू में 195 के मुकाबले करीब 20, लोहिया 20 बेड के मुकाबले तीन बेड खाली हो गए थे। इसके अलावा वेंटीलेटर वाले निजी अस्पताल एरा मेडिकल कालेज, विवेकानंद, सहारा, मेदान्ता अपोलो मेडिक्स, चंदन, मेयो में 75 से ज्यादा आईसीयू बेड खाली हो गए थे। अब इनमें से अधिकांश बेड दोबारा भर गए हैं। इसमें एल- 3 के 10 अस्पताल, एल-2 के 8 अस्पताल बाकी अन्य एल- 1 और आइसोलेशन सेंटर 12 बनाए गए थे। इनमें से पांच को कोविड से हटा दिया गया है। जिसमें कुल बेड की क्षमता 3914 है। मौजूदा समय में करीब 700 मरीज भर्ती हैं।जबकि 3200 बेड खाली हैं। इसमें आइसोलेशन के 2781 के मुकाबले 2693 बेड खाली हैं। एचडीयू के 698 के मुकाबले 406 खाली हैं। आईसीयू के 403 बेड के मुकाबले सिर्फ 30 खाली हैं। यह बेड एल-1 और एल -2 अस्पतालों के हैं। डॉ. जिया हाशिम बताते है कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए प्रदूषण बहुत नुकसानदेह है। यह दूषित हवा और धुंध फेफड़ों में जाकर संक्रमण को बढ़ा देती है। जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने की तकलीफ बढ़ जाती। ऑक्सीजन सपोर्ट तक जरूरत पड़ जाती है। प्रदूषण से खासकर अस्थमा और टीबी के मरीज खासी सर्तकता बरतें।

लखनऊ में अब इन गांवों को मिलेंगी नगर निगम की सुविधाएं, होंगे हाईटेक
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (सवाददाता)लखनऊ नगर निगम में शामिल हुए 88 नए गांवों में जल्द ही नगर निगम की सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएगी। ग्राम पंचायत से बाहर हुए गांवों का नगर निगम ने अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया है। सड़क-नाली आदि जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सर्वे शुरू हो गया है। विकास कार्य के लिए शासन से बजट की मांग होगी। राज्य वित्त आयोग से अतिरिक्त धन मुहैया कराने के लिए इसी माह मांग पत्र भेज दिया जाएगा। 88 गांवों को नगर निगम में शामिल करने के लिए नगर विकास विभाग से तो नोटिसफिकेशन जारी कर दिया था लेकिन पंचायती राज विभाग से डी-नोटिफिकेशन जारी न होने से यह गांव मजधार में लटके पड़े थे। इस असमंजस को पंचायती राज विभाग ने दूर कर दिया है। एक पत्र जारी कर कहा है कि एक नवम्बर से 88 गांव नगर निगम के हवाले रहेंगे। इसी पत्र को आधार मानकर नगर निगम ने अधिग्रहण की कवायद शुरू कर दी। 88 गांवों में सरकारी जमीनों को खंगालने का काम शुरू हो गया है। तहसीलों से अभिलेखों को कब्जे में लिया जा रहा है। नगर निगम की तहसीलदार सविता शुक्ला ने कहा कि सरकारी जमीनों को बाड़ लगाकर सुरक्षित किया जाएगा। जिन जमीनों पर कब्जा होगा उसे खाली कराया जाएगा। अभिलेखों के आधार पर जमीनों को चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया गया है। खरगापुर, उत्तरधौना, लौलाई, भिठौली, मिर्जापुर, गुड़म्बा समेत 88 गांव के लोगों को साफ-सफाई, सड़क, नाली, पानी आदि नगरीय सुविधाएं भी मिलने लगेंगी। सर्वे के बाद स्थिति साफ हो जाएगी कि कितने बजट की जरूरत है। सर्वे का काम अंतिम चरण में है। इस माह के अंत तक बजट की मांग शासन को भेज दी जाएगी।

 

 

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