शिया धर्मगुरू मोलाना कल्बे जव्वाद की मुख्यमन्त्री योगी से मुलाकात,
शिया वक़्फ़ बोर्ड में ऐडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने की मांग,
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ ( संवाददाता )प्रमुख शिया धर्म गुरु मौलाना सय्यद कल्बे जव्वाद ने मुख्य मन्त्री योगी आदित्य नाथ से उनके आवास पर मुलाक़ात की। उत्तर प्रदेश में हुए हालिया उपचुनाव में सत्ता पार्टी की कामयाबी के दूसरे ही रोज़ मौलाना की इस मुलाक़ात को मुख़तलिफ़ पहलुओं से देखा जा रहा है। मौलाना कलबे जव्वाद ने मुख्य मन्त्री से आज की मुलाक़ात मे शिया सेन्ट्रल वक्फ़ बोर्ड के सिलसिले में अपनी मागों पर ग़ौर करने की बात रखी। वक़फ़ बोर्ड का कार्य-काल ख़त्म होने के बाद चेयरमैन पद पर वसीम रिज़वी का अधिकार किसी भी सूरत में बाक़ी न रहे इस बात पर ज़ोर दिया गया। वक्फ़ बोर्ड के गठन के लिये बोर्ड में ऐडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति करने की बात मौलाना कल्बे जव्वाद की ओर से रखी गई। वक्फ़ बोर्ड में Administrator पद के लिये नाम की सिफ़ारिश भी मौलाना ने की है। वक़्फ़ बोर्ड के गठन के लिये अभी चार माह का समय है मौलाना कल्बे जव्वाद की ओर से सिफ़ारिश की गई है कि बोर्ड के गठन के लिये जो चुनावी प्रक्रिया है वह ऐडमिनिस्ट्रेटर की निगरानी में अमल में आए। मुख्य मन्त्री से मौलाना कल्बे जव्वाद की पाँच मुलाक़ातें हो चुकी हैं, और इस बात को मौलाना जवाद अपनी प्रेस कान्फ्रेन्स में भी कह चुके हैं कि वह हर मुलाक़ात में शिया वक़फ़ बोर्ड में फैले भृष्टाचार को ख़त्म करने के लिये चेयरमैन पद पर से वसीम रिज़वी को हटाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन मुख्य मन्त्री ने उनकी मांग पूरी नहीं की। अब जब वक्फ़ बोर्ड का कार्य- काल ख़त्म हो चुका है और मौलाना कल्बे जव्वाद ने वक़फ़ बोर्ड में ऐडमिनिस्ट्रेटर के नियुक्त करने की मांग की है मुख्यमन्त्री आवास पर शाम को आधे घण्टे की मुलाक़ात में मौलाना को आश्वासन मिला है।अब देखना है कि मुख्य मन्त्री शिया वक़्फ़ बोर्ड के सिलसिले में क्या फ़ैसला और कितने दिनों में लेते हैं। जबकी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दो बार एक्सटेंशन दिया जा चूका है। इस की वजाह से पूरी शिया क़ौम मे बेचैनी पैदा हो गई है।लोग सरकार की तरफ से इस बात को लेकर बदज़न हैंकि शिया समुदाय को नज़रअंदाज़ किया जा रह है।मौलाना मौसूफ़ जो पूरी शिया क़ौम की नुमाइंदगी करते हैं। मुख्य मन्त्री से मौलाना कल्बे जव्वाद की पाँच मुलाक़ाते होने का कोई फ़ायदा नज़र नहीं आ रहा है।जबकि मुख्य मन्त्री खुद भृष्टाचार के खिलाफ हैं।और मौलाना शिया वक़फ़ बोर्ड में फैले भृष्टाचार को ख़त्म करने के लिये चेयरमैन पद पर से वसीम रिज़वी को हटाने की मांग कर रहे हैं।मौलाना मौसूफ़ का कहना है की पूरे उत्तर प्रदेश में भूमाफियाओ की इमारते गिराई जा रही है।लेकिन प्रयागराज के वह ईमारत क्यों नहीं गिराई गई जो वक़फ की भूमि पर नाजाएज़ तामीर है।वहां की तरकीयाती अथार्टी उसके खिलाफ मुक़दमा लिखा कर उसको गिराने का आदेश देचुकि है।

बसपा के लिए चुनौती बनती नजर आ रही है आजाद समाज पार्टी
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (सवाददाता)यूपी विधानसभा उप चुनाव का परिणाम अब सबके सामने है। यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि भाजपा का विकल्प बनने के लिए विरोधियों को और मेहनत करनी होगी। खासकर बसपा को। पश्चिमी यूपी की एक सीट बुलंदशहर में बसपा को आजाद समाज पार्टी ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। आजाद समाज पार्टी भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने बनाई है। पहली बार विधानसभा उपचुनाव में एक सीट पर उम्मीदवार उतार कर आजाद समाज पार्टी ने सभी को चौंका दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि बसपा ने अगर इसकी काट न निकाली तो यह आगे चलकर मुसीबत भी बन सकती है। वजह, चंद्रशेखर बसपा से नाराज होने वालों को अपने साथ जोड़ रहे हैं। चंद्रशेखर ने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) बनाई है। चंद्रशेखर युवा हैं और दलित समाज के हितों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वह भी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में लगे हैं। पश्चिमी यूपी में अनुसुचित जाति में जाटव जाति का दबदबा है। मायावती की इस वोट बैंक पर अच्छी पकड़ मानी जाती रही है लेकिन विधानसभा उपचुनाव में आजाद समाज पार्टी ने बुलंदशहर सीट पर उतरे मो. यासीन ने 13530 वोट पाकर चौंकाने वाला काम किया है। यह वोटिंग प्रतिशत भले ही 6.69 हो लेकिन बसपा के माथे पर बल लाने के लिए काफी है। सीधे तौर पर देखा जाए तो इसे बसपा का ही वोट बैंक कटा हुआ माना जाएगा। बसपा को अगर यह वोट मिलता तो भाजपा से जीत का अंतर 8172 हो जाता या यूं कहें कि आजाद समाज पार्टी का उम्मीदवार न उतरता तो चुनावी परिणाम कुछ और होता। बसपा उम्मीदवार मो. यूसुफ यहां दूसरे स्थान पर रहे। विधानसभा उपचुनाव परिणाम को देखा जाए तो बसपा को अगड़ों के साथ मुस्लमानों का भी साथ नहीं मिला। बसपा ने दो ब्राह्मण के साथ दो मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। उन्होंने उपचुनाव वाली सीटों पर ब्राह्मण नेता सतीश चंद्र मिश्र और मुस्लिम नेता मुनकाद अली और शमसुद्दीन राइनी को कमान सौंपी, लेकिन अगड़ों और मुस्लिमों का जैसा साथ मिलने की उम्मीद थी, वह नहीं मिला। बसपा विधानसभा चुनाव 2007 के सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर लड़ने की दिशा में काम कर रही थी। उपचुनाव परिणाम के बाद अब उसे इस पर भी गंभीरता से सोचना होगा।

अभिनेता आसिफ़ बसरा अपने आवास में मृत पाए गए
जायज़ा डेली न्यूज़ मुंबई (सवाददाता)अभिनेता आसिफ़ बसरा हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज के अपने निजी आवास में गुरुवार को मृत पाए गए धर्मशाला के नज़दीक मैक्लोडगंज एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने आसिफ़ की मौत की पुष्टि की है और बताया कि वो बीते पांच साल से यहां रह रहे थे और अपनी एक विदेशी महिला मित्र के साथ मिलकर एक कैफ़े-रेस्टॉरेंट चलाते थे। पुलिस पहली नज़र में इसे आत्महत्या के कारण हुई मौत का मामला मान रही है. एसपी विमुक्त रंजन ने फ़ॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ घटनास्थल का दौरा किया है और सुबूत इकट्ठा किए हैं। संजय कुंडू ने कहा, “शुरुआती जांच में यह हिमाचल प्रदेश में एक और अवसाद का मामला लग रहा है. राज्य की पुलिस ने बढ़ते अवसाद के मामलों को लेकर एक विस्तृत विश्लेषण किया है. पुलिस की सिफ़ारिश के बाद राज्य सरकार इस मुद्दे को देख रही है।” 53 वर्ष के आसिफ़ बसरा ने अभी हाल ही में वेब सीरीज़ पाताल लोक में काम किया था. इससे पहले 1993 मुंबई बम ब्लास्ट पर आधारित फ़िल्म ब्लैक फ़्राइडे और 2002 गुजरात दंगों पर आधारित फ़िल्म परज़ानिया में वो नज़र आ चुके थे।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here