जायज़ा डेली लखनऊ ( प्रमुख संवाददाता ) उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी के ख़िलाफ़ C.B.I. द्वारा दो FlR दर्ज करने के बाद अब सूत्र बताते हैं कि CBl कुछ नए मामले भी दर्ज करने की तैयारी में है, और अपनी जाँच का दायरा बढ़ाते हुए पूर्व चेयरमैन के मददगारों और उनसे जुड़े लोगों को अपने रडार पर ले सकती है। जिनमें मुख्य रूप से पूर्व वक़्फ़ मन्त्री मोहम्मद आजम खाँ और प्रयाग राज के भूमाफ़िया अतीक़ अहमद के क़रीबी लोग शामिल हैं। प्रमुख शिया धर्मगुरू मौलाना सय्यद कल्बे जवाद द्वारा विगत कई वर्षों से पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी के कार्य- काल की CBI द्वारा जाँच की मांग की जा रही थी। जिसके लिये मौलाना को लम्बी लड़ाई लड़ना पड़ी । मौलाना जवाद ने CBI जाँच के लिये सरकार को जो शिकायती पत्र सौंपा था उसमें प्रयागराज और लखनऊ में पुलिस द्वारा दर्ज किये गए मुक़दमों के अलावा समाजवादी पार्टी सरकार के कार्य-काल में CBCID जाँच के वह प्रकरण भी शामिल हैं जिनमें CBCID ने ज़िला आगरा के थाना कुतुब नगर क्षेत्र और बरेली में शिया वक़्फ़ सम्पत्तियों की गड़बड़ी का प्रकरण की जाँच की थी। इतना ही नहीं रामपुर में पूर्व वक़्फ़ मन्त्री मोहम्मद आज़म खाँ द्वारा बनाई राई जौहर यूनिवर्सिटी के लिये शिया वक़्फ़ बोर्ड द्वारा दी गई लगभग 28 बीघा वह भूमि भी शामिल है, जो शत्रु सम्पत्ति थी, परन्तु शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन द्वारा अभिलेखों में हेराफेरी कर के फर्ज़ी वसीयत के तहत वह भूमि मोहम्मद आज़म खाँ की यूनीवर्सिटी को स्थानान्तरित कर दी थी। बताया जाता है कि इसी भूमि पर केन्द्रीय पुलिस बल की छावनी हुआ करती थी। शिया धर्मगुरु का आरोप है कि वसीम रिज़वी ने अपने कार्य काल में शिया वक़्फ़ बोर्ड की लगभग दस हज़ार करोड़ मालयत की सम्पत्तियाँ ख़ुर्द बुर्द की है। इन सम्पन्तियों में विशेष कर भगौड़ा विजय मालिया को मेरठ में शराब भाट्टियों के लिये दी जाने वाली भूमि, कानपुर में बेशकीमती वक़्फ़ सम्पत्ति, प्रयागराज में इमाम बाड़ा ग़ुलाम हैदर और उसकी भूमि जो भूमाफिया अतीक़ अहमद के क़रीबी लोगों को व्यसायिक काम्पलेक्स के निर्माण के लिये और मेरठ में वक़्फ़ मंसबिया जैसे कई प्रकरण CBI जांच के दायरे में आना सम्भावित हैं। या यूँ कहा जाए कि प्रयागराज, कानपुर, के अलावा रामपुर, मेरठ, आगरा, बरेली, सहारनपुर आदि के प्रकरण भी CBI के रडार पर आना यक़ीनी हैं।शिया सेन्ट्रल वक़फ़ बोर्ड में वसीम रिज़वी के कार्य काल मे सम्पत्तियों को बेचने, डिलीट करना, अभिलेखों में हेराफेरी करना जैसे ग़ैर क़ानूनी कामों पर Central Waqf Council ने अपनी जाँच रिपोर्ट जो 36 पन्नों पर आधारित है दाख़िल की थी । यह रिपोर्ट भी CBI को सहायता पहुंचा सकती है।बताते चलें कि मौलाना कल्बे जव्वाद के अलावा प्रयागराज से समाजी कार्यकर्ता अस्र फाउन्डेशन के अध्यक्ष शौकत भारती ने प्रयागराज में इमामबाड़ा गुलाम हैदर का प्रकरण उठाया था जिसमे (पी डी ए ) के अवर अभियन्ता सुधाकर मिश्रा ने वसीम रिज़वी को नामज़द करते हुए 26 अगस्त 2016 को कोतवाली में FIR दर्ज कराई थी। जिसमें रिज़वी के ख़िलाफ़ IPC की धारा 447 और 441 के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ था बाद में 153 A, 295 A भी इसमें जोड़ दी गई थी। 153A के तहत चार्जशीट दाख़िल करने और मुक़दमा चलाने के लिये पुलिस नें सरकार से अनुमति मांगी थी जो उसे 2019 में मिल गई थी। अब तक इस मामले में चार्जशीट दाख़िल नहीं की गई और न ही अभियुक्त गंण की गिरफ़तारी हुई थी। अब यह मामला CBI के हाथ में है, देखना होगा। कि इस मामले में कौन-कौन शिकंजे में आएगा।रामपुर में शत्रु सम्पत्ति को वक़्फ़ बोर्ड द्वारा आजम खां की यूनिवर्सिटी को दिये जाने का मामला समाजी कार्यकर्ता आर टी आई ऐक्टिविस्ट जमीर नक़वी द्वारा उठाया गया था उन्होंने शिकायत दर्ज कराई थी ।