जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ ( प्रमुख संवाददाता ) विश्व विख्यात इस्लामी स्कालर आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष, शिया धर्मगुरु मौलाना डाक्टर कल्बे सादिक़ के जनाज़े को आज इमामबाड़ा गुफरानमाब में कसीर मजमें की मौजूदगी में सिपुर्दे ख़ाक कर दिया गया। इससे क़ब्ल इमामबाड़े में मौलाना मरहूम की रूह के ईसाले सवाब के लिये मजलिस सय्युदुस शोहदा हुई जिसको रहबर-ए- मोअज़्ज़म आयत उल्लाह ख़ामनाई के नुमाइन्दे आग़ा मेहदी मेहंदीपुर ने खिताब किया।

इससे क़ब्ल नमाज़े जनाज़ा जो यूनिटी कालेज कैम्पस में अदा की गई वह भी आग़ा मेहदवीपुर ने पढ़ाई। डाक्टर कल्बे सादिक की दूसरी नमाज़े जनाज़ा घण्टाघर के सामने हुसैनाबाद में हुई जिसको अहले सुन्नत वल जमाअत के इमाम टीले वाली मस्जिद मौलाना फज़लुल मन्नान ने पढ़ाई। डाक्टर कल्बे सादिक़ का इन्तेक़ाल 24 नवम्बर की रात दस बजे हो गया था। उनकी मय्यत को आज सुबह जामा मस्जिद तहसीन गंज लाया गया था वहाँ

उनका गुस्ल हुआ। दस बजे उनका जनाज़ा यूनिटी कालेज कैम्पस ले जाया गया जहाँ आख़री दीदार के लिये उनके चाहने वालों का ताँता लग गया जिनमें उलेमा, खुतबा, नोजवान, बुजुर्ग व औरतें भी शामिल थीं। सभी ने मौलाना के बेटों कल्बे हुसेन, मौलाना कल्बे सिब्तैन नूरी

 

और दायाद नज़्मुल हसन को ताज़ियत पेश की। साढ़े ग्यारा बजे नमाज़े जनाज़ा के बाद कसीर मजमे के साथ घण्टाघर, कोनेशवरों चौराहा, चौक, मेडिकल कालेज चौराहा होते हुए मौलाना के जनाज़े को इमामबाड़ा गुफरानमाब ले जाया गया जहाँ उनके ख़ानदान के बुजुर्ग व दीगर आइज़्ज़ा दफ़्न हैं। मरहूम डाक्टर कल्बे सादिक़ के भतीजे शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद जम्मू- कशमीर के दौरे पर गए हुए थे अपने अम्मू के इन्तेकाल की ख़बर पर वह तीन बजे हवाई अड्डे से से सीधे इमामबाड़ा गुफ़राममाब पहुंच कर तदफ़ीन में शरीक हुए।

डाक्टर कल्बे सादिक़ के इन्तेक़ाल पर राष्ट्रपति राम कोविन्द , प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी राहुल गाँधी राजनाथ सिंह सपा प्रमुख अखलेश यादव बसपा प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री योगी आदित्य नाथ और केन्द्रीय मन्त्री मुख़्तार अब्बास नक़वी दिल्ली के मुख्य मन्त्री केजरीवाल ने अपने शोक सन्देश के ज़रिये ताज़ियत पेश की है। इनके अलावा विभिन्न पार्टियों व संगठनों और मुस्लिम इदारो की ओर से ताज़ियती पैगाम भेज कर मौलाना के इन्तेक़ाल को क़ौम व मुल्क के लिये बड़ा नुक़सान बताया गया है। डाक्टर कल्बे सादिक़ को शिक्षा को बढ़ावा देने की उनकी कोशिशों के लिये तालीम के मैदान में काम करने वाले सर सय्यद अहमद के बाद

मुसलामानों में दूसरा नाम डाक्टर कल्बे सादिक़ का बताया जाता है। डाक्टर कल्बे सादिक़ को उनके उदारवादी विचारों की वजह से शिया-सुन्नी एकता पर जोर देने वाले के तौर पर याद किया जाता है वहीं उनकी उदारवादी विचार धारा की वजह से उन्हें विरोध भी झेलना पड़ा है।डाक्टर कल्बे सादिक़ शुरुआत से ही बहुत ज़हीन थे। अपनी ख़िताबत के शुरुआती दौर में उन्हें ज़ाकिर फ़ातेह फुरात के लक़ब से शोहरत मिली थी आहिस्ता-आहिस्ता उन्होने हिन्द व पाक के अलावा पश्चिमी देशों में मजलिसों को ख़िताब कर के शोहरत हासिल की ।

उन्होंने इन्तिहाद बैनुल मुस्लमीन और मिल्लत की तालीमी गुरबत को दूर करने के लिये हर मुम्किन कोशिश की । उन्होने अपने को लखनऊ में होने वाली “क़ौमियात” से किनारा कशी का बाक़ायदा ऐलान किया था और कहा था कि सिर्फ़ तालीम को फ़रोग देना ही उनकी ज़िन्दगी का मक़सद बाक़ी है। सन् 1982 में उन्होंने ग़रीब बच्चों की तालीम को यक़ीनी बनाने के लिये तौहीदुल मुस्लमीन ट्स्ट क़ायम किया था। फिर उस ट्रस्ट के ज़ेरे इन्तिज़ाम यूनिटी कालेज कालेज क़ायम किया। जिससे हज़ारों ग़रीब बच्चों ने फ़ायदा उठाया। इसके साथ ही मौलाना ने एराज़ मेडिकल कालेज की स्थापना में अहम किरदार अपनाया। डाक्टर कल्बे सादिक का मुसलमानों के अलावा दूसरे मज़ाहिब के अफ़राद भी एहतेराम करते थे।डाक्टर कल्बे सादिक ने किताबें भी लिखी हैं जिनमें ख़ुतबात -ए – नमाज़े जुमा, हकीकत ए दीन, इस्लाम और मज़हबे अहले बैत और इस्लाम में इल्म की अहमियत वग़ैरह मशहूर किताबें हैं ।डाक्टर कल्बे सादिक के इन्तेक़ाल से ख़ानदाने इजतेहाद का एक ऐसा आफ़ताब ग़ुरूब हो गया जिससे मौजूदा दौर में ख़ानदाने इजतेहाद का इल्मी व अदबी वक़ार क्रायम था।

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