जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए किसानों का आंदोलन अब रफ्तार पकड़ने लगा है। सिंघु बॉर्डर पर डटे संयुक्त किसान आंदोलन के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने शनिवार को कहा कि 14 दिसंबर को सभी किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर एक ही मंच पर भूख हड़ताल पर बैठेंगे। हम चाहते हैं कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले, हम इनमें किसी प्रकार के संशोधन के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार हमारे आंदोलन को विफल करना चाहती है, लेकिन हम इसे शांतिपूर्वक जारी रखेंगे।पन्नू ने कहा कि हम अपने आंदोलन को विफल करने के लिए केंद्र द्वारा किसी भी प्रयास को कामयाब नहीं होने देंगे। हमें विभाजित करने और हमारे आंदोलन के लोगों को भड़काने के लिए सरकार ने कई प्रयास किए थे, लेकिन हम शांतिपूर्वक ढंग से इस आंदोलन को जीत की ओर ले जाएंगे।

उन्होंने कहा कि हजारों किसान ‘दिल्ली चलो’ के आह्वान के साथ रविवार सुबह 11 बजे राजस्थान के शाहजहांपुर से ट्रैक्टर मार्च शुरू करेंगे और जयपुर-दिल्ली हाइवे को जाम करेंगे। इस बीच कृषि बिल के विरोध में किसानों द्वारा टोल प्लाजाओं को फ्री कराने की घोषणा को लेकर योगी सरकार ने पुलिस-प्रशासन अमला सतर्क किया है। यूपी के सभी टोल पर सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं। फोर्स के अलावा मजिस्ट्रेट की भी ड्यूटी लगाई गई है। वहीं किसान पद यात्रा को लेकर सपा के कई पूर्व मंत्रियों को हाउस अरेस्ट किया गया है।

कृषि बिल के विरोध में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व पश्चिमी यूपी के किसानों का आंदोलन चल रहा है। तीन दिन पहले केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच वार्ता विफल हो गई थी। किसान संगठनों ने 12 दिसंबर को टाल प्लाजाओं पर कब्जा करके उन्हें फ्री कराने की घोषणा की है।किसान यूनियन के नेता ने कहा कि यदि सरकार एक बार फिर से बातचीत शुरू करना चाहती है, तो हम तैयार हैं, लेकिन हम पहले तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने पर चर्चा करेंगे।गौरतलब है कि शुक्रवार को सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा था कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने देने के लिए सतर्क रहें। साथ ही, कहा कि प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं, लेकिन कुछ असामाजिक, वामपंथी और माओवादी तत्व आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। दरअसल, विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किए गए सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग करने वाली तख्तियां लिए टिकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें वायरल हुई थी। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से आज जब यह पूछा गया कि क्या ‘राष्ट्र-विरोधी तत्व’ आंदोलन में शामिल हो गए हैं? तो उन्होंने कहा कि अगर किसी प्रतिबंधित संगठन के लोग हमारे बीच घूम रहे हैं, तो उन्हें सलाखों के पीछे डाल दें। पुलिस और खुफिया एजेंसियों को उन्हें जरूर पकड़ना चाहिए। हमें ऐसा कोई व्यक्ति यहां नहीं मिला, अगर हम ऐसा कोई मिला तो हम उन्हें वापस भेज देंगे। भाकियू नेता ने कहा कि जबतक सरकार तीनों नये कानूनों को निरस्त नहीं करती है तब तक घर लौटने का सवाल ही नहीं है। गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 17वां दिन है। सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर चुके किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही पंजाब-हरियाणा समेत कई जगहों पर किसानों द्वारा टोल फ्री कराए जाने के बाद अलग-अलग राज्यों से किसानों के जत्थे दिल्ली की ओर कूच करने लगे हैं।बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।

बंगाल से जुड़े ये तीन घटनाक्रम, क्या कसने जा रहा ममता सरकार पर शिकंजा?
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता )पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने से पहले घटनाक्रम काफी तेज हो गए हैं। बीजेपी और ममता बनर्जी के बीच टकराव की स्थिति यूं तो बहुत पहले से ही बनी हुई थी, लेकिन राज्य में कई बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याओं के बाद हालात और बिगड़ गए। हाल ही में जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाल को दौरा किया, तो उनके काफिले पर हुए पथराव का आरोप भी टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा। हालांकि, ममता बनर्जी ने उल्टा आरोप बीजेपी पर ही लगा दिया। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) लगातार आरोप लगाती रही है कि बीजेपी बंगाल में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि ममता के खिसकते जनाधार की वजह से टीएमसी ऐसे कदम उठा रही है। पश्चिम बंगाल से जुड़े हुए तीन बड़े घटनाक्रम हुए हैं या फिर होने वाले हैं, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में ममता बनर्जी और उनकी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में सेवारत भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तीन अधिकारियों को सेंट्रल डेप्युटेशन पर अपनी सेवा देने के लिए शनिवार को एकतरफा तरीके से तलब किया है। यह कार्रवाई राज्य में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले और पार्टी द्वारा सुरक्षा में लापरवाही के आरोप लगाए जाने के कुछ दिन के भीतर हुई है। अधिकारियों ने बताया कि तीनों अधिकारी बीजेपी अध्यक्ष की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे। माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय के इस कदम से पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी नीत सरकार और केंद्र की बीजेपी नीत सरकार के बीच दो दिन पहले नड्डा के काफिले पर हुए हमले के पैदा हुई खींचतान और बढ़ेगी। सेंट्रल डेप्युटेशन पर बुलाए गए तीनों आईपीएस अधिकारी पश्चिम बंगाल कैडर के हैं। गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर लागू होने वाली नियमावली के तहत लिया गया है। उधर गृह मंत्री अमित शाह 19 दिसंबर को दो दिनों के लिए बंगाल के दौरे पर जाने वाले हैं। शाह का यह दौरा इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि विगत वर्षों में शाह और ममता बनर्जी के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। दोनों एक दूसरे पर वार-पलटवार करते आए हैं। शाह रणनीति तैयार करने के लिए पिछले महीने 4 नवंबर को भी बंगाल गए थे। उन्होंने पार्टी के कुछ कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया था। पार्टी ने कहा था कि शहा और नड्डा हर महीने बंगाल आएंगे। राज्य में बीजेपी के महासचिव सायंतन बसु ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह 19 और 20 दिसंबर को बंगाल में होंगे। वहीं, गृह मंत्री के अलावा, बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी ममता बनर्जी से उखड़े हुए हैं। वे लगातार ममता बनर्जी को चेतावनी देते आए हैं। बीजेपी को लगातार बाहरी पार्टी करार देने संबंधी ममता बनर्जी की टिप्पणी की निंदा करते हुए धनखड़ ने उनसे ऐसी राजनीति से दूर रहने को कहा था जो राष्ट्रीय ताने-बाने को कमजोर करती हैं। इसके साथ ही, धनखड़ ने ममता बनर्जी को चेतावनी देते हुए कहा था कि उन्हें संविधान के हिसाब से ही चलना होगा।पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 17 दिसंबर को डेप्युटी इलेक्शन कमिश्नर सुदीप जैन दो दिनों के दौरे पर जाएंगे। खबर की पुष्टि करते हुए, भारतीय चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “डेप्युटी इलेक्शन कमिश्नर 17 दिसंबर से दो दिनों की यात्रा पर पश्चिम बंगाल में होंगे।” हांलांकि, चुनाव आयोग के अधिकारी का बंगाल दौरा राजनीति से न जुड़ा होकर विधानसभा चुनाव से जुड़ा है। लेकिन, कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग बंगाल के चुनाव के लिए किसी भी तरह की ढील देने वाला नहीं है। आयोग अपनी तैयारियों को जल्द-से-जल्द पूरा कर लेना चाहता है। सूत्रों की मानें तो डेप्युटी इलेक्शन कमिश्नर अपने दौरे के दौरान राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों और डीएम से मुलाकात करेंगे और चुनाव की तैयारियों का जायजा लेंगे। वहीं, 14 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के चुनाव आयोग की जिलाधिकारियों के साथ आंतरिक बैठक होगी। पश्चिम बंगाल राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है।

 

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