जायज़ा डेली न्यूज़ जम्मू कश्मीर (संवाददाता )प्रमुख शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं।जहां आज मौलाना ने जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से मुलाक़ात की मौलाना के उनके भाई शमील शम्सी के अलावा पूर्व आईएएस असलम कुरैशी पत्रकार सुहैल काज़मी और ताहिर शाह नक़वी शामिल थे। जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा और मौलाना कल्बे जवाद मे लगभग एक घंटा चली मुलाक़ात मे श्री नगर मे उठने वाले जुलुस हाय अज़ा के सिलसिले मे हुई बात चीत मे आइंदा मुहर्रम से क़बल जुलूस उठने की उम्मीद नज़र आरही है।बताते चले की पिछले तीस वर्षो से वहां जुलूस हाय अज़ा पर पाबन्दी लगी हुई है।

इसके अलावा मौलाना ने गवर्नर से मुतालबा किया की एक शिया अफ़सर को बहैसयत मुशीर गवर्नर हाउस मे रखा जाए मौलाना ने शिया इलाक़ों मे परिसीमन कराए जाने की मांग भी की जिससे की शिया समुदाय की ज़्यादा सीटें चुनाव मे निकल सकें और शिया समुदाय के लोग सत्ता मे हिस्से दारी पा सके मौलाना ने जायज़ा के संववाददाता को बताया की जम्मू कश्मीर शिया समुदाय के लोग वोटिंग मे ज़्यादा हिस्सा लेते हैं ।लेकिन उनका इस्तेहसाल किया जाता है।जम्मू कश्मीर शिया समुदाय के लोग पाकिस्तान के बहकावे मे नहीं आते हैं ।और देश हित काम करते है। मौलाना ने जायज़ा के संववाददाता को बताया की वह इंशा अल्लाह आइंदा मुहर्रम से क़बल वहां जुलूस उठने की भरपूर कोशिश करेगे।

कृषि कानूनों पर चर्चा को फिर वार्ता की टेबल पर आए सरकार और किसान
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता )कृषि कानूनों को लेकर सरकार के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का 20वां दिन है। सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (किसान) के सदस्यों ने मंगलवार को कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की।वहीं इसको लेकर किसान संगठन आज बैठक करने वाले हैं। किसान महापंचायत जैसिंघपुर-खेरा बॉर्डर के रामपाल जाट ने कहा- ये तीन कृषि कानून व्यापारियों के लिए फायदेमंद है न कि किसानों के लिए। इस बीच दिल्ली के सिंघू बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा) सीमा पर रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और अतिरिक्त बल को तैनात किया गया है।इधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है। गौरतलब है कि किसान यूनियनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है और उन्होंने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल की। तोमर ने कहा कि बैठक निश्चित रूप से होगी। हम किसानों के साथ संपर्क में हैं।” सरकार ने एक बार फिर किसानों के साथ समझौते के लिए बातचीत की बात कही है। इसपर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति (AIKSCC) ने कहा कि वे तीन शर्तों पर बात करेंगे- पहली- बातचीत पुराने प्रस्तावों के बारे में नहीं होगी, जिसे कृषि संघों ने अस्वीकार कर दिया है। दूसरी, सरकार को एक नया एजेंडा तैयार करना होगा। और तीसरी शर्त है कि, चर्चा कृषि कानूनों खत्म करने पर केंद्रित होनी चाहिए।

किसान नेता बोले- लड़ाई ऐसे दौर में पहुंच गई है जहां हम जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 20वां दिन है। आंदोलन के 20वीं के दिन सिंघू बॉर्डर पर बैठे किसान नेताओं ने कहा कि लड़ाई ऐसे दौर में पहुंच गई है, जहां हम जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सिंघु बॉर्डर से किसान नेता जगजीत सिंह ने कहा कि बड़े दुख से ये बात बतानी पड़ रही है कि आज तक जबसे हमने दिल्ली में आकर आंदोलन लड़ना शुरू किया।नेताओं ने कहा कि यहां तक आते-आते हमारे लगभग 13-14 किसान, रोजाना औसतन एक किसान शहीद हो रहा है। हम 20 तारीख को पूरे देश में इन सभी किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सोमवार को देश के 350 जिलों में हमारा प्रदर्शन सफल रहा, किसानों ने 150 टोल प्लाजा को मुक्त कराया।नेताओं ने कहा कि यहां तक आते-आते हमारे लगभग 13-14 किसान, रोजाना औसतन एक किसान शहीद हो रहा है। हम 20 तारीख को पूरे देश में इन सभी किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सोमवार को देश के 350 जिलों में हमारा प्रदर्शन सफल रहा, किसानों ने 150 टोल प्लाजा को मुक्त कराया। किसान नेताओं ने कहा कि हम वार्ता से नहीं भाग रहे, लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्ताव के साथ आना होगा। सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को निरस्त नहीं करेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे। किसान नेताओं ने कहा कि अब तक विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 20 किसान शहीद हो गए। प्रदर्शन शुरू होने के बाद से हर दिन औसतन एक किसान की मौत हुई हैं। आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को लोग 20 दिसंबर को गांवों, प्रखंडों में श्रद्धांजलि देंगे।

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