जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (ज़हीर इक़बाल ) आंध्रा प्रदेश के हैदराबाद से सियासी सफर शुरू करने वाले ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी अब रियासत उत्तर प्रदेश मे अपना दम ख़म आज़माने की कोशिश कर रहे है।ओवैसी की आमद से मुसलमानो के वोट पर बरसो से मौज करने वाली सियासी जमाते कुछ परेशांन सी नज़र आरही हैं। एक पढ़ी लिखी रियासत मे तीन दहाइयों से सांसद रहने वाले असदुद्दीन ओवैसी की सियासी सूझ बुझ का अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है की वह तेलंगाना महाराष्ट्र और बिहार मे अपना सियासी परचम लहरा चुके हैं। बिहार मे चुनाव के बाद ओवैसी को पांच विधानसभा की सीट हासिल हुई थी। लेकिन उनपर बीजेपी की बी टीम होने का इल्ज़ाम भी लगा है लेकिन मुसलमानो का ओवैसी से लगाव इस इल्ज़ाम को ख़ारिज करता नज़र आरहा है। ओवैसी यूपी मे बसपा के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। क्यों की उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों में से करीब 130 से 135 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमानों के वोट की संख्या अधिक है।और पश्चिम यूपी की 59 सीटों पर मुसलमान वोट निर्णायक हैं। इन सीटों पर जिस पार्टी की तरफ मुसलमान वोट बड़ी संख्या में चले जाते हैं उसकी जीत सुनिश्चित मानी जाती है। इनमें मेरठ, सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, आजमगढ़, मऊ में ज्यादातर सीटों पर मुसलमान निर्णायक वोट बैंक की हैसियत रखता हैं। इस तरहां पश्चिम यूपी के तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का भरोसा हासिल किए बिना किसी भी उम्मीदवार के लिए जीत हासिल करना मुश्किल है। यूपी की कुल मुस्लिम आबादी तकरीबन 19 फीसदी है। ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं। उधर उत्तर प्रदेश मे ज़्यादा तर दलित वोट बसपा के पाले में ही जाता है। यही वजहा की ओवैसी यूपी मे बसपा के साथ गठबंधन करना चाहते हैं।अभी बिहार मे ओवैसी बसपा के साथ गठबंधन करके अच्छा प्रदर्शन के चुके हैं।पश्चिमी उत्तर प्रदेश, में ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने पहले से ही अच्छी और मज़बूत पकड़ बना राखी है। उत्तर प्रदेश की वह सियासी पार्टीयां जो १०० से ज़्यादा मुसलमानो को टिकट देकर तीन सौ से ज़्यादा सीटे हासिल की और सरकार बना चुकी है उन्होंने कभी अपनी पार्टी के किसी मुस्लिम लीडर को उप मुख्यमंत्री की कुर्सी देने क्यों नहीं मुनासिब समझा जबकि बीजेपी से दो दो हाथ करने के लिया लीडर विरोधी दल बना दिया।उत्तर प्रदेश का मौजूदा सियासी शीराज़ा बिखरा हुआ है।तमाम तर बड़े नेता ट्वीटर से काम चला रहे हैं।

लेकिन ओवैसी और केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ा दिया है।ओवैसी की नज़र मुस्लिम वोट पर है। क्यों की सियासी जमातों ने मुसलमनो का वोट तो लिया लेकिन उनको कुछ दिया नहीं कई दहायो से उत्तर प्रदेश मे हुकूमत करने वाली पार्टीयो का हाल यह रहा की वह हर शोबे मे पिछड़ते चले गए महाराष्ट्र जैसी रियासत मे उर्दू मीडियम स्कूल है।लेकिन जिस रियासत की दूसरी ज़बान उर्दू है वहां एक भी उर्दू मीडियम स्कूल नहीं है।आपको बताते चले की आजमगढ़ में 38 फीसदी मुस्लिम वोट है जबकि-अंबेडकर नगर में 20 फीसदी – फैजाबाद में 30 फीसदी – मऊ में 43 फीसदी – बलरामपुर में 40 फीसदी – गाजीपुर में 30 फीसदी – बहराइच में 20 फीसदी – गोरखपुर में 22 फीसदी – इलाहाबाद में 28 फीसदी – जौनपुर में 22 फीसदी -औरैया में 28 फीसदी – लखनऊ में 20 फीसदी – सीतापुर में 20 फीसदी अब ज़रा पश्च‍िमी यूपी में मुस्ल‍िम वोट मुलाहज़ा फरमाए – बिजनौर में 67 फीसदी – गौतमबुद्धनगर में 65 फीसदी – अलीगढ़ में 42 फीसदी – मुजफ्फरनगर में 49 फीसदी – प्रबुद्वनगर (शामली) में 42 फीसदी – बरेली में 47 फीसदी – सहारनपुर में 42 फीसदी – ज्योतिबाफुले नगर (अमरोहा) में 40 फीसदी – मेरठ में 37 फीसदी – मथुरा में 14 फीसदी – गाजियाबाद में 21 फीसदी – आगरा में 20 फीसदी – बागपत में 20 फीसदी मुस्लिम वोट है।दिल्चस्प बात ये है कि पिछले विधान सभा चुनाव मे बीजेपी तीन सौ से ज़्यादा सीट लाई थी तब यहाँ कौन से ओवैसी चुनाव लड़ रहे थे।मुसल्मानो को इस बात पर ग़ौर करना होगा की वह अपना सियासी वजूद बाक़ी रखने के लिया कब तक मजबूरन इन पार्टीयो को वोट देते रहेगे जो मुसलमानो पर वक़्त पड़ने पर आंखे फेर लिए करती हैं जैसा के अभी पिछले देने मे बा खूबी देखने को मिला है

जम्मू कश्मीर डीडीसी चुनाव: पहली बार कश्मीर घाटी में BJP उम्मीदवार एजाज हुसैन जीते
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता )जम्मू-कश्मीर के जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव की मतगणना जारी है, जिसके शुरुआती रूझान में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद बना गुपकर घोषणा पत्र गठबंधन (पीएजीडी) भाजपा से आगे दिख रहा है। जम्मू संभाग में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा है तो दूसरी तरफ पहली बार कश्मीर घाटी में कुछ सीटों पर कमल खिलता दिख रहा है। वादी में बीजेपी दो सीटें जीत चुकी है।श्रीनगर के बलहामा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार एजाज हुसैन ने जीत दर्ज की है। कश्मीर के तुलैल सीट और पुलवामा में भी बीजेपी उम्मीदवार ने जीत हासिल की है, हालांकि अभी इनकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। कुछ सीटों पर बीजेपी बढ़त बनाए हुई है तो अन्य कई सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को मिले वोट उत्साहजनक हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार हुए चुनाव में बीजेपी को मिली इस सफलता को काफी अहम माना जा रहा है।श्रीनगर में बलहामा सीट से जीते बीजेपी के उम्मीदवार एजाज भारतीय जनता युवा मोर्चा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्होंने कहा, ”हम गुपकार गठबंधन के खिलाफ लड़े और आज श्रीनगर में बलहामा सीट से जीते हैं। मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों और सुरक्षाबलों को बधाई देता हूं।” नतीजों पर बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, ”बीजेपी ने एजाज हुसैन की जीत के साथ कश्मीर घाटी में खाता खोल लिया है। हम घाटी में कई और सीटों पर आगे चल रहे हैं। यह दिखाता है कि कश्मीर घाटी के लोग विकास चाहते हैं।

केजरीवाल सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को दी बड़ी राहत, लॉकडाउन के दौरान दर्ज केस वापस लेने का दिया आदेश

जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को एक बड़ी राहत देते हुए कोरोना वायरस के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर और शिकायतों को वापस लेने का फैसला लिया है।दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर और शिकायतों को वापस लेने के लिए विभाग को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी। लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 संबंधी दिशानिर्देशों के उल्लंघन को लेकर पुलिस ने अनेक लोगों पर मामले दर्ज किए थे।सत्येंद्र जैन ने ट्वीट कर कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश के अनुसार गृह विभाग को प्रवासी मजदूरों के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर व शिकायतों को वापस लेने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं।

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