जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े किसानों ने रविवार को फिर से कहा कि जब तक कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, वे आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि वे लोहड़ी के दिन कृषि कनूनों की प्रतियों को जलाएंगे। दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हजारों किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की सरकार के साथ बातचीत भी चल रही है, लेकिन अभी प्रमुख मांग पर सहमति बनते हुए आसार नहीं दिख रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, ”हम 13 जनवरी को कृषि कानूनों की कॉपियों को जलाकर लोहड़ी मनाएंगे। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाएंगे।” किसान नेता ओंकार सिंह ने कहा, ”आज किसान आंदोलन का 37वां दिन है, सरकार को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए। जब तक कानून वापस नहीं लिए जाएंगे, तब तक हम वापस नहीं जाएंगे। यह अफसोसजनक बात है कि किसानों की जान जा रही है। सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। नए साल की शुरुआत के बाद से हाड़ कंपा देने वाली सर्दी और रविवार को बारिश के कहर के बीच कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर डटे हुए हैं। बॉर्डर पर किसान किसी तरह अपने आप को ठंड से बचाने की जद्दोजहद में लगे रहे। बारिश से खुद को बचाने के लिए कुछ किसान भागकर टेंट और ट्रॉली के नीचे छिप गए। कड़ाके की ठंड के बीच हुई बारिश ने ठिठुरन और ज्यादा बढ़ा दी है। किसानों ने बारिश में भीगते हुए सरकार से कानूनों को वापस लेने की मांग की।

किसानों का दिल्ली कूच, पुलिस ने दागे आंसू गैस के गोले

जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) हरियाणा के रेवाड़ी में दिल्ली-जयपुर हाइवे पर स्थित खेड़ा बॉर्डर व संगवाड़ी से किसानों के कुछ जत्थों ने दिल्ली कूच किया लेकिन पुलिस ने धारूहेड़ा के पास सड़क पर कंटेनर लगाकर रोक दिया। इसके चलते किसानों ने कंटेनर हटाने के प्रयास किए तो वहीं पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। वहीं धारूहेड़ा में किसान व अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं। बारिश व कड़ाके की ठंड के बीच किसान दिल्ली जाने पर अड़े हैं। वहीं प्रशासन ने पुलिस बल बढ़ा दिया है। बता दें कि शनिवार को झज्जर से 500 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली में तीन हजार से ज्यादा किसान रेवाड़ी पहुंचे थे। रात को रुकने के बाद किसानों ने शाम करीब चार बजे दिल्ली की ओर कूच कर दिया। लेकिन पुलिस ने खेड़ा बॉर्डर से करीब 20 किमी दूर धारूहेड़ा के मसानी बैराज पर किसानों को कंटेनर लगाकर रोक दिया है।इसके चलते किसान डिवाइडर पार करते हुए दिल्ली से जयपुर की ओर जाने वाली लेन पर आ गए। इसके चलते ही पुलिस व किसानों में टकराव बढ़ गया। अभी भी हालात तनावपूर्ण बने हैं। धारूहेड़ा के पास करीब एक हजार किसान व सैंकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़क पर हैं। 

पहली बार सत्ता में आई है ऐसी अहंकारी सरकार:सोनिया गांधी
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) किसानों के प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को केंद्र सरकार की आलोचना की। सोनिया ने कहा कि देश की आजादी के बाद से पहली बार ऐसी अहंकारी सरकार सत्ता में आई है, जिसे आम जनता तो दूर, देश का पेट भरने वाले अन्नदाताओं की पीड़ा और संघर्ष भी दिखाई नहीं दे रहा। इसके साथ ही उन्होंने नए कृषि कानूनों को बिना शर्त फौरन वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘हाड़ कंपा देने वाली ठंड और बारिश के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के समर्थन में 39 दिनों से संघर्ष कर रहे अन्नदाताओं की हालत देखकर देशवासियों सहित मेरा मन भी बहुत व्यथित है।’सोनिया ने कहा, ‘अब भी समय है कि मोदी सरकार सत्ता के अहंकार को छोड़कर तत्काल बिना शर्त तीनों काले कानून वापस ले और ठंड व बारिश में दम तोड़ रहे किसानों का आंदोलन समाप्त कराए। यही राजधर्म है और दिवंगत किसानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि भी।’उन्होंने कहा, ‘आंदोलन को लेकर सरकार की बेरुखी के चलते अब तक 50 से अधिक किसान जान गंवा चुके हैं। कुछ (किसानों) ने तो सरकार की उपेक्षा के चलते आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लिया। पर बेरहम मोदी सरकार का न तो दिल पसीजा और न ही आज तक प्रधानमंत्री या किसी भी मंत्री के मुंह से सांत्वना का एक शब्द निकला।’उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र का अर्थ ही जनता और किसान-मजदूरों के हितों की रक्षा करना है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘लोकतंत्र में जनभावनाओं की उपेक्षा करने वाली सरकारें और उनके नेता लंबे समय तक शासन नहीं कर सकते। अब यह बिल्कुल साफ है कि मौजूदा केंद्र सरकार की ‘थकाओ और भगाओ’ की नीति के सामने आंदोलनकारी धरती पुत्र किसान मजदूर घुटने टेकने वाले नहीं हैं।’

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here