किसान आंदोलनः सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा, क़ानून पर रोक लगाएँ वरना हम लगा देंगे

जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) कृषि कानून को चुनौती देने वाले और दिल्ली की तमाम सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा है कि अभी जो हो रहा है उससे वह बेहद निराश हैं।चीफ़ जस्टिस ने सरकार का पक्ष पेश कर रहे अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा है कि क्या बातचीत नाकाम हो गई है?उन्होंने इसके बाद टिप्पणी करते हुए कहा – ‘’एक महीने से ये सब चल रहा है, हमें समझ नहीं आ रहा कि सरकार और किसानों के बीच क्या बातचीत चल रही है.’’‘’ये एक संवेदनशील परिस्थिति है। हम चाहते हैं कि इस मामले में कोई सौहार्दपूर्ण निष्कर्ष दे सकें.’’चीफ़ जस्टिस नेअटर्नी जनरल से पूछा है ।कि क्या कृषि कानून को कुछ वक़्त के लिए रोका जा सकता है? उन्होंने कहा है कि एक भी याचिका ऐसी नहीं है ।जिसमें कहा गया हो कि ये कानून अच्छे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘’ क्या परेशानी है, क्या ये कानून कुछ वक़्त के लिए रोके नहीं जा सकते हैं, क्या हो रहा है? लोग खुदकुशी कर रहे हैं, बुज़ुर्ग परेशान हैं, महिलाएं प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं, क्या हो रहा है?‘’


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, “हमें नहीं पता कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का हिस्सा हैं.”शीर्ष अदालत ने कृषि क़ानूनों पर समिति की ज़रूरत को दोहराया और कहा कि अगर पैनल क़ानूनों को लागू करने से रोकने की सिफारिश करेगा, तो वो उसे मानेंगे.सुप्रीम कोर्ट ने कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों से भी कहा, “भले ही आपको भरोसा हो या ना हो, हम भारत का सुप्रीम कोर्ट हैं, हम अपना काम करेंगे.”सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कृषि क़ानूनों पर कई याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।इनमें डीएमके सांसद तिरूचि शिवा और आरजेडी सांसद मनोज झा की याचिकाएँ भी शामिल हैं जिनमें केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।सुप्रीम कोर्ट में प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली की सीमाओं से तुंरत हटाने की मांग करने वाली एक याचिका पर भी सुनवाई होनी है।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here