किसान आंदोलनः सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि क़ानूनों पर लगाई रोक

 

जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं और किसान आंदोलने से जुड़े याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है पिछले साल बने इन क़ानूनों को लेकर विभिन्न किसान संगठन पिछले महीने से दिल्ली सीमा पर धरने पर बैठे हैं।अदालत ने साथ ही इस संबंध में आगे वार्ता के लिए चार सदस्यों की एक समिति गठित कर दी है।इस समिति के सदस्य होंगे – बीएस मान, प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवंत।मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने प्रदर्शनकारी किसानों के रुख़ पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘हम एक कमिटी का गठन कर रहे हैं ताकि हमें एक साफ़ तस्वीर नज़र आ सके’उन्होंने कहा, “हम ये तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान कमिटी के पास नहीं आना चाहते, हम परेशानी को सुलझाना चाहते हैं। अगर किसान अनंतकाल तक आंदोलन करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।”उन्होंने ये भी कहा कि ‘हम कानूनों को निलंबित करने की योजना बना रहे हैं लेकिन अनिश्चित काल के लिए नहीं’। मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने प्रदर्शनकारी किसानों के रुख़ पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘हम एक कमिटी का गठन कर रहे हैं ताकि हमें एक साफ़ तस्वीर नज़र आ सके’उन्होंने कहा, “हम ये तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान कमिटी के पास नहीं आना चाहते, हम परेशानी को सुलझाना चाहते हैं. अगर किसान अनंतकाल तक आंदोलन करना चाहते हैं तो कर सकते हैं.”सुप्रीम कोर्ट ने हरीश साल्वे के आरोप पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन इस प्रदर्शन को फंडिंग कर रहे हैं। इसका उल्लेख अदालत के समक्ष एक याचिका में किया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एजी वेनुगोपाल से पूछा- क्या आप कन्फर्म कर सकते हैं कि यह सही है? एजी वेनुगोपाल ने कहा- हम पुष्टि कर सकते हैं। हमें एक दिन का समय दीजिए … 26 जनवरी को देश में हाई सिक्योरिटी होती है। एक लाख लोगों को राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्हें अपने फायदे के लिए न्यायालय की सहायता नहीं लेनी चाहिए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे पुलिस पर ही छोड़ दिया जाए। हमें इसका निर्णय लेने का हक नहीं। हरिश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की कि कोर्ट जब आदेश दे तो उसमे लिख दे एम एस पी जारी रहेगी और किसानों को रामलीला मैदान में प्रदर्शन के लिए रहने दिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा यदि वे आग्रह करें तो विचार किया जाएगा। मगर किसानों को प्रदर्शन के लिए पुलिस से अनुमति लेनी होगी। उच्चतम न्यायालय ने किसान संगठनों से कहा, ‘यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा।’ सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात पर जोर देते हुे कहा कि कमेटी हम बनाएंगे ही, दुनिया की कोई ताकत उसे बनाने से हमें नहीं रोक सकती है। हम जमीनी स्थिति समझना चाहते हैं। इसके बाद अटार्नी जनरल ने कहा कि कमेटी अच्छा विचार है हम उसका स्वागत करते हैं। याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए पेश होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का कहना है कि कानूनों को लागू करने पर रोक को राजनीतिक जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे कानूनों पर व्यक्त चिंताओं की एक गंभीर परीक्षा के रूप में देखा जाना चाहिए।कृषि कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि समिति इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है। हम कानूनों को निलंबित करने की योजना बना रहे हैं लेकिन अनिश्चित काल के लिए नहीं होगा।किसानों की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों का कहना है कि कई व्यक्ति चर्चा के लिए आए थे, लेकिन इस बातचीत के जो मुख्य व्यक्ति हैं, प्रधानमंत्री नहीं आए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को नहीं कह सकते कि आप मीटिंग में जाओ। वह इस केस में कोई पार्टी नहीं हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here