ट्रैक्टर रैली के बाद संसद कूच करेंगे किसान,एक फरवरी को पैदल मार्च का किया ऐलान
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) दिल्ली बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने सोमवार को बड़ा ऐलान किया। किसान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च के बाद एक फरवरी को संसद मार्च करेंगे। सिंधु बार्डर पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में ट्रैक्टर रैली पर पुलिस की आशंकाओं को भी किसानों ने दूर किया। किसानों ने कहा कि दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर हम शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर रैली करेंगे और रैली करने के बाद अपने स्थान पर वापस आ जाएंगे। हमारा आंदोलन 26 जनवरी के बाद भी चलेगा। क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल ने कहा कि एक फरवरी को हम दिल्ली के अलग-अलग जगहों से संसद की ओर पैदल मार्च करेंगे। इस दिन कैसे कहां जाना है, ये हम 28 जनवरी को तय करेंगे। उन्होंने कहा कि एक फरवरी से ही संसद का सत्र शुरू हो रहा है। उस दिन बजट भी पेश होगा। यह भी चेताया कि पूरे संसद सत्र के दौरान हम अलग अलग कार्यक्रम करते रहेंगे। वहीं, ट्रैक्टर रैली पर स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा कि मीडिया में केवल तीन जगह से ट्रैक्टर परेड की बात कही जा रही है। जबकि तीन नहीं कुल नौ जगहों से किसान गणतंत्र परेड निकालेंगे। सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाज़ीपुर बॉर्डर, धंसा बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर के अलावा 4 और बॉर्डर हैं जो कि हरियाणा बॉर्डर पर हैं। शाहजहांपुर से निकलने वाली गणतंत्र परेड में 20-25 राज्यों की झांकियां भी निकलेंगी। कल जो भी परेड होगा वो शांतिपूर्ण तरीके से होगा।योगेंद्र यादव ने कहा कि ट्रैक्टर मार्च से देश की गणतंत्र की इज्जत बढ़ेगी, घटेगी नहीं। किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के श्रवण सिंह पंढेर ने कहा कि ट्रैक्टर मार्च पूरी तरह शांतिपूर्ण होगी। इससे पहले किसानों के प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च को लेकर पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव सोमवार को सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे थे। इस क्रम में वह मुकरबा चौक पर पहुंचे, जहां से मार्च को मुड़ना है। इसके बाद उन्होंने टिकरी बार्डर का भी दौरा किया। पुलिस आयुक्त ने कहा कि किसान संगठन प्रतिनिधियों से बात के बाद तीन रूट चिन्हित किया गया है। इस रूट का जिक्र किसान प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए अपने आवेदन में भी किया गया है। इसके अलावा पुलिस लगातार किसान संगठनों के सम्पर्क में है। किसान संगठन प्रतिनिधियों को इन रूट के बारे में पूरी जानकारी भी दी गई है।

हाई कोर्ट ने सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड का एक्सटेंशन रद्द कर प्रशासक नियुक्त किया,क्या शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड पर भी होगा इस आदेश का असर?


जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) हाई कोर्ट ने आज सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के दूसरे एक्सटेंशन को आज रद्द करते हुए सरकार को आदेश दिया है की नए बोर्ड के गठन के लिए 28 फरवरी से पहले इलेक्शन करा दिया जाए हाई कोर्ट ने सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड मे प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज को प्रशासक बना दिया है।इस बीच सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष ज़ुफर फ़ारूक़ी ने हाई कोर्ट के नियुक्त प्रशासक को कारभार भी सौंप दिया है।ज़मीर नक़वी की पीआईएल पर फैसला सुनाते हुए चीफ़ जस्टिस श्री गोविन्द माथुर और जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने ये फैसला सुनाया।अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को दिए गए दूसरे एक्सटेंशन को आज रद्द कर दिया परन्तु 30 सितम्बर से पहले वाले एक्सटेंशन को सही माना है।अदालत के इस आदेश मे  खास बात ये है की इस अवधि मे सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा किये गए निर्णय वैद्य माने जायेगे।बताये चले की पहली अप्रैल 2015 सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का गठन हुआ था।अप्रैल 2020 मे कार्यकाल ख़त्म होने के बाद सरकार ने सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को 6 माह का एक्सटेंशन दे दिया जो 30 सितम्बर तक था।उत्तर प्रदेश सरकार ने सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को सितम्बर मे दूसरा एक्सटेंशन दे दिया जिसकी मुद्दत मार्च 2021 तक है।अदालत ने इस दूसरा एक्सटेंशन को सही नहीं मानते हुए रद कर दिया है और प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज को प्रशासक बना दिया है। लेकिन वह रोज़ मर्राह के काम काज ही देख सकेगे वह पॉलिसी मैटर पर कोई निर्णय नहीं ले सकेगे।वैसे तो उपरोक्त आदेश मे शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड का कोई ज़िक्र नहीं है। लेकिन अबतक की जो परम्परा रही है।उसके मद्दे नज़र शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड मे भी जल्द चुनाव की प्रकिर्या शुरू हो सकती है।अदालत ने सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के गठन के लिए 28 फरवरी से पहले इलेक्शन करा दिए जाने को कहा है।

बाबरी नहीं होगा अब बाबरी मस्जिद का नाम,मौलवी अहमदुल्ला शाह के नाम पर रखने की तैयारी
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) बाबरी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अयोध्या में बनाई जाने वाली प्रस्तावित मस्जिद का नाम अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले मौलवी अहमदुल्ला शाह के नाम पर हो सकता है। मस्जिद निर्माण की देखरेख के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा गठित न्यास इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि अवध क्षेत्र में ‘विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले शाह के नाम पर मस्जिद का नाम रखने के बारे में गंभीरता से विचार किया जा रहा है। न्यास का गठन होने के बाद इस बारे में चर्चा चली थी कि मस्जिद का नाम मुगल शासक बाबर के नाम पर रखा जाएगा जैसा कि बाबरी मस्जिद का रखा गया था या फिर किसी और नाम पर विचार किया जाएगा। न्यास के सूत्रों के मुताबिक अयोध्या में बनने वाली मस्जिद की परियोजना को सांप्रदायिक भाईचारे तथा देशभक्ति के संकेत के रूप में प्रस्तुत करने के लिए न्यास ने इस परियोजना को शाह के प्रति समर्पित करने का फैसला लिया है, जो इन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ इस्लाम के सच्चे अनुयायी भी थे। हुसैन ने कहा, न्यास अयोध्या मस्जिद परियोजना को महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह को समर्पित करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इस संबंध में हमें विभिन्न मंचों से सुझाव मिले हैं। यह एक अच्छा सुझाव है। विचार-विमर्श के बाद इस बारे में आधिकारिक घोषण करेंगे। शाह, पांच जून 1858 को शहीद हो गए थे। जॉर्ज ब्रुस मालेसन तथा थॉमस सियटन जैसे अंग्रेज अधिकारियों ने उनके साहस, शौर्य तथा उनकी संगठनात्मक क्षमताओं का जिक्र किया है। भारत के 1857 के संग्राम पर आधारित किताब ‘हिस्ट्री ऑफ इंडियन म्यूटिनी में मालेसन ने शाह का कई बार जिक्र किया है। शाह ने अवध क्षेत्र में विद्रोह छेड़ा था तथा फैजाबाद के चौक इलाके में स्थानीय मस्जिद ‘मस्जिद सराय को मुख्यालय बनाया था जहां वह क्रांतिकारी नेताओं के साथ बैठकें करते थे।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बोले- किसानों के हित में नया कृषि कानून


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किसान से लेकर जवान तक को संबोधित किया और बताया कि किस तरह ये अपने देश की सेवा कर रहे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नया कृषि कानून किसानों के हित में है। राष्ट्रपति ने कहा कि किसान लंबे समय से अपेक्षित थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 2020 में घोषित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ में प्रौद्योगिकी के साथ-साथ परंपरा पर भी ज़ोर दिया गया है। इसके द्वारा एक ऐसे नए भारत की आधारशिला रखी गई है जो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ज्ञान-केंद्र के रूप में उभरने की आकांक्षा रखता है। नीचे पढ़ें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के देश के नाम संबोधन अहम बातें-हमारे सशस्त्र बलों, अर्ध-सैनिक बलों और पुलिस के जवान, प्रायः अपने परिवार-जन से दूर रहते हुए त्योहार मनाते हैं। उन सभी जवानों को मैं विशेष बधाई देता हूं। प्रवासी भारतीय, हमारे देश का गौरव हैं। उनमें से कुछ लोग राजनैतिक नेतृत्व के उच्च-स्तर तक पहुंचे हैं, और अनेक लोग विज्ञान, कला, शिक्षा, समाज सेवा, और व्यापार के क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान कर रहे हैं।हम सबको ‘संवैधानिक नैतिकता’ के उस पथ पर निरंतर चलते रहना है जिसका उल्लेख बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने 4 नवंबर, 1948 को, संविधान सभा के अपने भाषण में किया था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि ‘संवैधानिक नैतिकता’ का अर्थ है – संविधान में निहित मूल्यों को सर्वोपरि मानना। मैं आज पुनः इस बात को दोहराऊंगा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और विचारों पर मनन करना, हमारी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। हमें हर सम्भव प्रयास करना है कि समाज का एक भी सदस्य दुखी या अभाव-ग्रस्त न रह जाए।बिहार जैसी घनी आबादी वाले राज्य तथा जम्मू-कश्मीर व लद्दाख जैसे दुर्गम व चुनौती भरे क्षेत्रों में निष्पक्ष व सुरक्षित चुनाव सम्पन्न कराना हमारे लोकतन्त्र एवं चुनाव आयोग की सराहनीय उपलब्धि रही है। मेरे विचार में, सन 2020 को सीख देने वाला वर्ष मानना चाहिए। पिछले वर्ष के दौरान प्रकृति ने बहुत कम समय में ही अपना स्वच्छ और निर्मल स्वरूप फिर से प्राप्त कर लिया था। ऐसा साफ-सुथरा प्राकृतिक सौंदर्य, बहुत समय के बाद देखने को मि

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