जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता )उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में शनिवार को भारतीय किसान यूनियन की महापंचायत हुई। इसमें हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में किसान पहुंचे थे। महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा कि चौधरी अजित सिंह को हराकर हमने बड़ी भूल की। अब किसान भाजपा को समर्थन नहीं देगा। महापंचायत को राष्ट्रीय लोक दल ने समर्थन दिया था। इसमें हिस्सा लेने के लिए चौधरी अजित सिंह के बेटे और पार्टी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी पहुंचे थे।

नरेश टिकैत और जयंत चौधरी गले भी मिले। हालांकि किसान महापंचायत बगैर किसी फैसले के समाप्त हो गई। भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने किसानों के भारी सैलाब के बीच कहा कि कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा। उनके इस बयान से साफ हो गया कि किसान संगठन कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी जंग जारी रखेंगे। बता दें कि उनके भाई और बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। नरेश टिकैत ने किसानों से अपील की कि आज गाजीपुर जाने की आवश्यकता नहीं है। आप चाहें तो कल जा सकते हैं।

किसान महापंचायत के दौरान मुजफ्फरनगर दंगे का भी जिक्र आया। नेताओं ने कहा कि जो हुआ उसे भूल जाओ। अब आगे की तैयारी करने का वक्त आ गया है। नरेश टिकैत ने कहा कि हमने तो धरना खत्म कर दिया था, पर भाजपा के लोनी विधायक ने हमें संजीवनी दे दी। अब किसान आंदोलन की लड़ाई लंबी चलेगी। हम अपना हक वापस लेकर ही रहेंगे।महापंचायत को संबोधित करते हुए आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों का सामाजिक बहिष्कार करें। ये लोग आपकी वोट से ही जीते हैं। उन्होंने अपील की कि कृषि कानून वापस न होने तक भाजपा के जनप्रतिनिधियों की हुक्का पानी बंद कर दें।मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में आयोजित किसान महापंचायत में 20 हजार से अधिक किसानों से हिस्सा लिया। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि राकेश टिकैत के आंसू बेकार नहीं जाएंगे। नेताओं का कहना था कि हम हिन्दू, मुस्लिम और सिख नहीं बल्कि सब किसान हैं।

24 घंटों मे बदल गई सूरत और मज़बूत होकर पलटा किसान आंदोलन

जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) कल तक जो किसानआंदोलन दम तोड़ता नज़र आरहा था 24 घंटों मे उस किसान आंदोलन की सूरत ही बदल गई और देखते देखते हज़ारो की भीड़ का फिर किसान आंदोलन से जुड़ गई दिल्ली-ग़ाज़ीपुर बॉर्डर वो जगह है जहाँ पर गुरुवार शाम से सबकी निगाहें जमी हुई हैं। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर दो महीनों से तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। हज़ारों लोगों का जमावड़ा, नारे, भाषण, वाद-विवाद, चर्चाएँ और मीडिया का जमावड़ा वहाँ रोज़ का नज़ारा है। लेकिन, गुरुवार को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर की सूरत बिल्कुल अलग थी। एक समय ऐसा लगा कि जैसे दो महीने से आंदोलन का एक केंद्र रहा यह धरना-स्थल देर रात खाली करा लिया जाएगा. सोशल मीडिया पर भी इस तरह का ट्रेंड तेज़ी से चलने लगा। लेकिन, सुबह तक नज़ारा कुछ और ही था। धरना-स्थल पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई थी और माहौल में तनाव कम हो गया था। गिरफ़्तारी और धरना-स्थल को खाली करने के अनुमानों के बीच आधी रात के बाद पुलिस बल वापस लौट गया।इस पूरे घटनाक्रम में आए एक मोड़ ने पूरे हालात को बदल दिया और किसान आंदोलन में 29 फ़रवरी का दिन भी एक अहम तारीख़ के तौर पर जुड़ गया। बुधवार रात (27 जनवरी) – ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर हालात में बुधवार रात से ही बदलाव होने शुरू हो गये थे, जब ग़ाज़ीपुर में धरना-स्थल पर बिजली काट दी गई. इस तरह का अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रशासन कोई बड़ी कार्रवाई करने वाला है। यहाँ प्रदर्शनकारियों की संख्या भी कम हो गई थी. राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह के किसान आंदोलन से पीछे हटने के बाद उनके समर्थक वापस लौट चुके थे। कोई बड़ी कार्रवाई होने के कयासों के बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के साथ सख़्ती ना करने को लेकर चेतावनी दी। गुरुवार रात को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर के उनके एक भावुक वीडियो से ना सिर्फ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बल्कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसानों में भी आंदोलन के लिए एक नई ऊर्जा देखने को मिली है। सोशल मीडिया पर इन इलाक़ों के सैकड़ों लोग हैं जिन्होंने लिखा है कि ‘उनके यहाँ कल रात खाना नहीं बना’ और वो ‘अपने बेटे की पुकार’ पर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुँच रहे हैं। 26 जनवरी के दिन लाल क़िले पर हुई घटना के बाद किसान संगठन जिस नैतिक दबाव का सामना कर रहे थे, उसके असर को ग़ाज़ीपुर की घटना ने कम कर दिया है और किसान नेता राकेश टिकैत के क़द को बढ़ा दिया है। नवंबर 2020 में जब इस आंदोलन की शुरुआत हुई, तब राकेश टिकैत की भूमिका बहुत सीमित बताई जा रही थी. लोग उन्हें ‘बिकाऊ’ कह रहे थे और कुछ लोगों का मानना था कि ‘उनके होने से किसान आंदोलन का नुक़सान होगा।’ 52 वर्षीय राकेश टिकैत ने गुरुवार को ऐलान किया कि ‘देश का किसान सीने पर गोली खाएगा, पर पीछे नहीं हटेगा।’ उन्होंने यह धमकी भी दी कि ‘तीनों कृषि क़ानून अदिल्ली में गर वापस नहीं लिये गए, तो वे आत्महत्या करेंगे, लेकिन धरना-स्थल खाली नहीं करेंगे।उनके इस तेवर ने लोगों को नामी किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की याद दिलाई, जिन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक बड़ा इलाक़ा सम्मान से ‘बाबा टिकैत’ या ‘महात्मा टिकैत’ कहता है।

इजराइली दूतावास के पास धमाका, जांच एजेंसियां मौके पर;अलर्ट पर दिल्ली
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) राजधानी दिल्ली के बेहद पॉश इलाके औरंगजेब रोड पर इजराइली दूतावास के पास शुक्रवार शाम बम धमाका होने की खबर है। NIA की टीम धमाके वाली जगह पर पहुंच रही है। वहीं दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम ने मौके पर पहुंचे कर वहां ब्लास्ट के सबूत इकट्ठा कर रहे हैं। इसके साथ-साथ आसपास के इलाके में चेकिंग भी की जा रही है। ब्लास्ट के बाद दिल्ली पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया है। घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिसबल और सीआरपीएफ की तैनाती की गई है।ब्लास्ट के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इजरायल के विदेश मंत्री गैबी अश्केनाजी से बात की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि इजरायल के दूतावास के नजदीक विस्फोट के बारे में वहां के विदेश मंत्री गैबी अश्केनाजी से बात की है और हम इसे बहुत गंभीरता से लिया है। दूतावास और इजरायली राजनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है। विदेश मंत्री ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है।इस ब्लास्ट में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। शुरुआती जानकारी के अनुसार इस धमाके में वहां खड़ी कुछ कारों के शीशे छतिग्रस्त हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने बम धमाके की पुष्टि की है। स्पेशल सेल की टीम जांच के लिए मौके पर पहुंच गई है और पूरे इलाके को सील कर दिया गया है। ब्लास्ट की सूचना मिलने के बाद घटना स्थल पर पहुंचे फायर ऑफिसर प्रेम लाल ने बताया कि हमें विस्फोट के बारे में शाम करीब 5:45 बजे फोन आया जिसके बाद हम मौके पर पहुंचे। घटना में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है। जानकारी के अनुसार, शुक्रवार शाम दिल्ली स्थित इजराइली दूतावास के बाहर धमाके की सूचना से हड़कंप मच गया। दिल्ली पुलिस व फायर विभाग को करीब 5:45 बजे धमाके की कॉल मिली थी। धमाके में यहां खड़ी कुछ गाड़ियों के शीशे टूट गए हैं। धमाके के बाद स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के साथ ही खुफिया विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंच कर जांच कर रहे हैं। अभी तक की जांच में आईडी ब्लास्ट की बात सामने आ रही है। मौके फायर कर्मियों के साथ स्थानीय पुलिस भी मौके पर मौजूद है।बता दें कि इस पहले 13 फरवरी 2012 को भी दिल्ली में इजराइली दूतावास की कार पर बम हमला किया गया था। उस हमले में इजरायली राजनयिक ताल येहोशुआ और चालक सहित चार लोग घायल हो गए थे। मामले की जांच के बाद दिल्‍ली पुलिस की स्‍पेशल सेल ने उस मामले में एक व्‍यक्ति को गिरफ्तार किया था।

सात साल से कम सजा के मामलों में आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट की रोक, अधिकारियों को चेताया भी
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की पुलिस को सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न करने के कानून का पालन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को भी गिरफ्तारी पर पुलिस रिपोर्ट से संतुष्ट होने पर ही पुलिस कस्टडी रिमांड देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पुलिस को सीआरपीसी की धारा 41(1)बी व 41ए की शर्तों का पालन करते हुए जरूरी होने पर ही अभियुक्त की गिरफ्तारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि अनावश्यक गिरफ्तारी की गई तो गलती करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने की कार्यवाही की जाएगी। कोर्ट ने पुलिस को व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं सामाजिक व्यवस्था के बीच बैलेंस कायम रखने का भी आदेश दिया है। साथ ही आदेश की कॉपी व परिपत्र प्रदेश के डीजीपी, विधि सचिव व महानिबंधक को सभी पुलिस थानों को अनुपालनार्थ भेजने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ केजे ठाकर एवं न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने एटा के विमल कुमार व तीन अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने याची को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी है। मामले के तथ्यों के अनुसार याची की प्रियंका के साथ शादी तय हुई। सगाई में में साढे छह लाख रुपये दिए गए। उसके बाद कार की मांग पूरी करने पर शादी करने की शर्त रखी गई है। इस पर एटा की कोतवाली में 28 नवम्बर 2020 को दहेज उत्पीड़न के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस गिरफ्तारी के लिए याची के घर पर लगातार दबिश दे रही है। याची का कहना था कि धारा 41(1)बी की शर्तों व सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के तहत बिना ठोस कारण के सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न करने पर रोक लगी है। इसके बावजूद पुलिस एफआईआर दर्ज होते ही कानूनी उपबंधों की अवहेलना करते हुए गिरफ्तारी करने के लिए दबिश देने लगती है, जो कानून के विपरीत है। इस धारा में आरोपी की हाजिरी की दो सप्ताह का नोटिस देने तथा साक्ष्य व पर्याप्त वजह होने पर ही गिरफ्तार करने का अधिकार है। कहा गया कि सामान्यतया पुलिस सात साल से कम सजा वाले अपराध के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी नहीं कर सकती। कोर्ट ने मजिस्ट्रेटों को भी रूटीन रिमांड न देने का निर्देश जारी किया है और कहा है कि बिना ठोस कारण के अभियुक्त की गिरफ्तारी की रिपोर्ट जिला एवं सत्र न्यायाधीश के माध्यम से महानिबंधक को भेजी जाए ताकि मनमानी करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जा सके। कोर्ट ने जिला न्यायाधीश को प्रशासन के साथ मासिक बैठक में इसकी जानकारी देने को भी कहा है। कोर्ट ने सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की हाईकोर्ट में लगातार गिरफ्तारी पर रोक की मांग में आ रही याचिकाओं को दुखःद बताया और कहा कि गंभीर अपराधों के सिवाय बिना ठोस वजह आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न की जाए। पुलिस अभियुक्त की गिरफ्तारी की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करे और मजिस्ट्रेट संतुष्ट होने पर ही रिमांड देने का निर्देश दे।इस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए।

 

 

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