जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में बजट पेश करते हुए कहा कि इस साल विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए का है।उन्होंने कहा वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचकर 2.1 लाख करोड़ रुपए हासिल करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया। वित्र मंत्री ने कहा कि पिछले साल बड़े विनिवेश की योजना तैयार की गई थी. जिसमें एलआईसी के शेयर बेचे जाने की बात भी शामिल थी. इस योजना को इस साल पूरा किया जा सकता है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 1.05 लाख करोड़ और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 80 हज़ार करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा था।अब सरकार इस विनिवेश के लक्ष्य को पूरा करने के लिए दो सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी समेत कई पब्लिक सेक्टर की कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने जा रही है।सरकार का इरादा आईडीबीआई बैंक, बीपीसीएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड समेत कई अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर रकम जुटाने का है।जब वित्त मंत्री संसद में अपने बजट भाषण में विनिवेश का जिक्र कर रहीं थी, उसी समय सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे।अब नेता और आर्थिक विश्लेषकों से लेकर आम जनता, सभी लोग फ़ेसबुक और ट्विटर समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर बजट की चर्चा कर रहे हैं।ट्विटर पर कुल 22 ट्रेंड्स बजट से ही जुड़े हुए हैं और गूगल ट्रेंड्स भी बजट छाया हुआ दिख रहा है। इस दौरान बजट से जुड़ी जिन बातों की सबसे ज़्यादा चर्चा है, उनमें शामिल है सरकार का बड़े स्तर पर विनिवेश (डिसइन्वेस्टमेंट) का ऐलान। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि बीमा कंपनियों में एफ़डीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49% से बढ़ाकर 74% करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा वित्त मंत्री ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के शेयर बाज़ार में उतारे जाने की घोषणा की. उन्होंने कहा, “हम साल 2021-22 में जीवन बीमा निगम का आईपीओ लेकर आएँगे, जिसके लिए इसी सत्र में ज़रूरी संशोधन किए जा रहे हैं।”इतना ही नहीं, इस बजट में ये भी बताया गया कि राज्य सरकारों के उपक्रम के विनिवेश की अनुमति दी जाएगी. इससे पीएसयू (पब्लिक सेक्टर यूनिट्स) में विनिवेश का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा. इस दिशा में लागू की जाने वाली नीति इस बजट में दी गई है। राज्य सरकारों को भी उनके उपक्रम में विनिवेश की अनुमति दी जाएगी। निर्मला सीतारमण ने लंबे समय से घाटे में चल रही कई सरकार कंपनियों के निजीकरण की बात की है। इनमें बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड), एयर इंडिया, आईडीबीआई, एससीआई (शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), सीसीआई (कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), बीईएमएल और पवन हंस के निजीकरण का ऐलान किया गया है।सीतारमण ने कहा, “बेकार एसेट्स आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान नहीं करते हैं। मेरा अनुमान है कि विनिवेश से साल 2021-22 तक हमें 1.75 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे।”केंद्र सरकार का कहना है कि घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों के विनिवेश से उन्हें घाटे से तो उबारा ही जा सकेगा, साथ ही रेवेन्यू भी बढ़ाया जा सकेगा।

आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं,लेकिन 75 साल से अधिक उम्र वालों कों आयकर रिटर्न नहीं भरना होगा। 
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता )आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया है। इस बजट से नौकरीपेशा लोगों को टैक्स में कोई राहत नहीं मिली है। जबकि करदाता यह उम्मीद कर रहे थे कि सीतारमण कोई सौगात देगी। भले ही इस बार नौकरीपेशा को मोदी सरकार ने कुछ नहीं दिया, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज टैक्स से जुड़ी कुछ अहम घोषणाएं की हैं।उन्होंने एक ओर जहां वरिष्ठ नागरिकों को राहत दी, वहीं आम आयकरदाताओं के लिए कोई घोषणा नहीं की। यह बजट इस दशक का पहला आम बजट है। बजट 2021 पहला डिजिटल बजट भी है। आइए जानते हैं सीतारमण ने टैक्स से जुड़ी क्या घोषणाएं कीं।वित्त मंत्री ने बताया कि छोटे करदाताओं के लिए मुकदमेबाजी कम करने के लिए विवाद समाधान समिति गठित करने का प्रस्ताव किया गया है। यह दक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी। 50 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले और 10 लाख रुपये तक की विवादित आय वाले व्यक्ति इस समिति के समक्ष जाने के योग्य होंगे।आम आयकरदाताओं को बजट 2021 में कोई राहत नहीं मिली है। केवल 75 साल से अधिक उम्र वालों कों आयकर रिटर्न नहीं भरना होगा। निर्मला सीतारमण ने एनआरआई लोगों के लिए भी सहूलियतों की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि एनआरआई लोगों को टैक्स भरने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। लेकिन इस बार सरकार ने उन्हें डबल टैक्स सिस्टम से छूट दी है।सीतारमण ने कहा कि यह टैक्स सिस्टम पारदर्शी रखने का वक्त है। माल एवं सेवा कर (GST) अब चार साल पुरानी हो गई है। जीएसटीएन सिस्टम की क्षमता भी बढ़ाई गई है। फर्जी बिलर्स की पहचान हो रही है।  इसका नतीजा उत्साहजनक है। पिछले कुछ महीनों में रेकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन हुआ है। अब तक टैक्स रिअसेसमेंट छह साल और गंभीर मामलों में 10 साल बाद भी केस खोले जा सकते थे। लेकिन अब इसे घटाकर तीन साल कर दिया गया है। अगर गंभीर मामलों में एक साल में 50 लाख से ज्यादा की इनकम छिपाने की बात होगी, तभी 10 साल तक केस खोले जा सकेंगे। हालांकि, उसके लिए कमिश्नर से मंजूरी लेनी होगी।टैक्स ऑडिट की लिमिट पांच करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है। इस तरह सरकार ने टैक्सेशन सिस्टम की जटिलता को खत्म करने का प्रयास किया।वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार ने निवेश आकर्षित करने के लिए कॉरपोरेट टैक्स घटाया है और डिविडेंड टैक्स हटाया गया है।इस बार बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पिछले साल आयकर दरों में बदलाव हुआ था, जो इस प्रकार हैं।5 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं। 5 लाख से 7.5 लाख तक की आय पर 10 फीसदी की दर से कर।7.5 लाख से 10 लाख तक की आय पर 15 फीसदी की दर से कर।10 लाख से 12.5 लाख तक की आय पर 20 फीसदी की दर से कर।12.5 लाख से 15 लाख तक की आय पर 25 फीसदी की दर से कर।15 लाख के ऊपर की आय पर 30 फीसदी की दर से कर। 

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