जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में आज भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बैनर तले किसान सम्मान महापंचायत हुई। महापंचायत में भारी संख्या में किसान पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने सरकार को जमकर घेरा। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के बेटे गौरव टिकैत महापंचायत में पहुंचे तो जय जवान, जय किसान के नारों से मैदान गूंज उठा।

गौरव टिकैत ने कहा कि किसान किसी के आगे झुकने वाले नहीं हैं। सरकार किसानों के आंदोलन को खालिस्तानियों का आंदोलन बताकर तांडव मचाने की कोशिश कर रही है। लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। किसान हर हाल में कृषि कानूनों को वापस कराकर ही दम लेंगे। उधर, रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि जो जमीन किसानों को चौधरी चरण सिंह ने दिलाई थी आज वो खतरे में है। किसान की जमीन पर सभी की नजर है। लेकिन सरकार भूल गई है कि किसान हनुमान हैं, किसानों को हनुमान बनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंका जलानी होगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हुसैन अहमद अंसारी ने किसान महापंचायत का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से आज हमारा अन्नदाता परेशान है। रोड पर बैठा हुआ है। हम सरकार से मांग करते हैं कि अन्नदाताओं को परेशान न किया जाए। उनकी जो भी मांगे हैं।

उसको तुरंत पूरा किया जाए। किसान ही है जो सबका पेट भरने का काम करता है। अगर किसान अन्न न उगाए तो किसी का भी पेट भर नहीं पाएगा। वक्ता बोले-टिकैत के आंसुओं ने खोलीं देश की आंखें, नहीं हटेंगे पीछे हुसैन अहमद अंसारी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार देश में विकास नहीं, जाति वाद का जहर घोल कर फिर से यूपी में सत्ता हथियाने की फिराक में है। इस बार ऐसा नहीं होगा। उधर, प्रशासन ने बिजनौर की ओर जाने वाली रोडवेज बस समेत बड़े वाहनों को जलालाबाद नहर बाईपास मार्ग पर रोक दिया। जिससे लंबी दूरी के यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। किरतपुर और उसके आसपास के यात्रियों को घर जाने के लिए पैदल ही सफर करना पड़ा। प्रशासन सोमवार को बिजनौर में किसान महापंचायत को देखते हुए सतर्क रहा। पुलिस प्रशासन ने बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद, मवाना, दिल्ली जाने वाले बड़े वाहनों रोडवेज, टैंकर, ट्रक आदि को दोपहर 12 बजे से जलालाबाद नहर बाईपास मार्ग पर रोक दिया। करीब पांच घंटे के बाद हाईवे पर रोके गए वाहनों को गंतव्य के लिए जाने की अनुमति मिली।पौड़ी डिपो, कोटद्वार डिपो, गढ़मुक्तेश्वर डिपो की बसों में बैठे यात्री पंकज नेगी, सतेश्वरी देवी, सुनील कुमार, सुनीता देवी, सुभाष, विपिन रावत ने बताया कि उन्हें दिल्ली जाना था, लेकिन पुलिस द्वारा रोके जाने से वह देर शाम तक भी दिल्ली नहीं जा सके।

पीएम अपना नंबर बता दें, हम बात करने का इंतज़ार कर रहे हैं: किसान नेता राकेश टिकैत
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर बॉर्डर मौजूद किसान नेता राकेश टिकैत ने अब से थोड़ी देर पहले किसानों को संबोधित किया और कहा, “बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।“उन्होंने कहा, “जिस तरह की किसानों की फौज अभी तैयार हुई है उसे टूटने नहीं देना है।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर कहा कि “प्रधानमंत्री अपना नंबर बता दें कि कौन से नंबर पर बात करनी है. हम उनसे बात करने का इंतज़ार कर रहे हैं.”बीते शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वदलीय बैठक के दौरान किसान आंदोलन पर अपनी बात रखी थी और कहा था कि “सरकार चर्चा के लिए तैयार है. अगर किसान संगठन आगे भी चर्चा चाहते हैं तो मैं एक फ़ोन कॉल दूर हूँ।” गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “आंदोलन को दफन करने की कोशिश हुई है, लेकिन अब घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है।”उन्होंने कहा किसानों को बदनाम करने की कोशिश हो रही है।उन्होंने कहा, “26 तारीख़ को चार लाख किसान अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली आए थे, यहाँ गुरु परंपरा से जुड़े लोग थे लेकिन किसानों को बदनाम किया गया है. उन्हें खालिस्तानी कहा गया, अफ़ग़ानिस्तानी कहा गया, कभी इसे पंजाब और हरियाणा का आंदोलन कहा गया तो कभी उत्तर प्रदेश का कहा गया. लेकिन ये आंदोलन पूरे भारत का।”उन्होंने एक बात फिर कही कि किसानों की माँगों को लेकर जो प्रदर्शन चल रहा है, उसका हल बातचीत से निकलना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम बातचीत को तैयार हैं. किसानों की जो 40 संगठनों की कमिटी है, उससे बात करें. हम कमिटी के ही सदस्य है, उससे अलग नहीं हैं। सिंघु बॉर्डर के पास सड़क पूरी तरह खोद दी गई है. संयुक्त किसान मोर्च के मंच से पहले एक किसान संघर्ष समिति का स्टेज है. इसी स्टेज पर दो दिन पहले पत्थरबाज़ी की गई थी. इस स्टेज के आगे सीमेंट और सरिया डाल कर पूरी तरह से बैरिकेडिंग की गई है।सिंघु बॉर्डर जाने के लिए हर रास्ते बंद कर दिए गए हैं. नरेला की तरफ़ से धरने में शामिल होने के लिए आ रहे 46 किसानों को हिरासत में रखकर पूछताछ की गई है।सिंघु बॉर्डर पर मौजूद एक किसान नेता सुरजीत सिंह ढेर ने बताया, “मोदी सरकार दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर ऐसी दीवार खड़ी कर रही है, जैसी दीवार बनाने की घोषणा ट्रंप ने अमेरिका और मैक्सिको सीमा पर की थी।”जम्हूरी किसान सभा के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने बताया, “सरकार ने इंटरनेट बंद करके और बैरिकेडिंग करके किसान आंदोलन की ख़बरों को बाहर आने से रोक दिया है. इसके अलावा मोदी सरकार अपने प्रचार साधनों से यह जताने की कोशिश कर रही है कि धरना कमजोर पड़ गया है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. हरियाणा और पंजाब से किसानों का आना लगातार जारी है।”संयुक्त किसान मोर्चे के नेता सतनाम सिंह अजनारा ने बताया, “सरकार तमाम गैरमानवीय क़दम उठा रही है. इसमें बिजली काटना, पानी बंद करना और इंटरनेट बंद करना शामिल है. अब सरकार बैरिकेडिंग कर रही है. ये सब सरकार को तुरंत बंद करना चाहिए. अगर सरकार बातचीत करना चाहती है तो उसे पहले बातचीत का माहौल तैयार करना होगी।”इस तरह की बैरिकेडिंग टिकरी, सिंघु और गाज़ीपुर हर बॉर्डर पर हो रही है. सरकार का ये तरीका किसानों को मनोबल को गिराने की कोशिश है लेकिन किसान पूरे जोश में हैं और तीनों क़ानून रद्द करवा कर और एमएसपी का क़ानून बनवाकर ही वापस जाएंगे।सिंघु बॉर्डर के एक स्थानीय युवा सागर ने बताया कि दो महीने से किसानों के प्रदर्शन से स्थानीय लोगों को कोई तकलीफ़ नहीं हो रही थी लेकिन 26 जनवरी के बाद सरकार की बैरिकेडिंग और सख़्ती से लोगों की तकलीफ़ बढ़ गई है।

 

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