राहुल गांधी ने संसद में कहा, ‘आज इस देश को सिर्फ़ चार लोग चलाते हैं – हम दो, हमारे दो’
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को संसद में मोदी सरकार द्वारा लाये गए कृषि क़ानूनों पर जमकर हमला बोला।बुधवार को पीएम मोदी ने कहा था कि ‘अच्छा होता कि कांग्रेस पार्टी नये कृषि क़ानूनों के रंग से ज़्यादा उनके इंटेंट और कंटेंट पर चर्चा करती।’पीएम मोदी की इस टिप्पणी का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि “कल सदन में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमें इन क़ानूनों के कंटेंट (विषय वस्तु) और इंटेंट (उद्देश्यों) पर बात करनी चाहिए थी. इसलिए उन्हें ख़ुश करने के लिए आज मैं कृषि क़ानूनों के इंटेंट और कंटेंट पर ही बात करूंगा।”“इनके द्वारा लाये गये पहले क़ानून का कंटेंट है कि कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी, कितना भी अनाज, फल और सब्ज़ी ख़रीद सकता है. अगर अनलिमिटेड (असीमित) ख़रीद की इजाज़त होगी तो मण्डी में कौन जायेगा? तो पहले क़ानून का कंटेंट और उसका लक्ष्य मण्डियों को ख़त्म करना है।“दूसरे क़ानून का कंटेंट भारत में जमाखोरी को लाइसेंस देने का है. दूसरे क़ानून का कंटेंट है कि बड़े से बड़े उद्योगपति जितना भी अनाज, जितना भी फल, जितनी भी सब्ज़ी जमा करना चाहें, वो जमा कर सकते हैं।”तीसरे क़ानून का कंटेंट है कि जब किसान अपने अनाज के लिए, अपनी सब्ज़ी के लिए, अपने फलों के लिए सही दाम मांगे, तो उसे अदालत में नहीं जाने दिया जायेगा।” जिस समय राहुल गांधी सदन में तीन कृषि क़ानूनों के बारे में बोल रहे थे, तब बीजेपी के सांसद सदन में हल्ला कर रहे थे. उनकी दलील थी कि ‘गांधी को आम बजट पर अपनी राय रखनी है, वे कृषि क़ानूनों पर अब नहीं बोल सकते। लेकिन राहुल गांधी ने अपना भाषण जारी रखा। उन्होंने कहा, “फ़ैमिली प्लानिंग का एक नारा था – ‘हम दो, हमारे दो.’ आज ये नारा दूसरे रूप में आया है. इसमें इन क़ानूनों का इंटेंट (उद्देश्य) छिपा है. आज इस देश को चार लोग चलाते हैं, यानी ‘हम दो, हमारे दो’. इनके नाम सब जानते हैं. ये इन्हीं चार की सरकार है. सरकार चाहती है कि उनके दो मित्रों में जो बड़ा मित्र है, उसे पूरे हिन्दुस्तान के अनाज, फल और सब्ज़ी को बेचने का अधिकार दे दो. ये है इनके पहले क़ानून का इंटेंट. इससे नुक़सान छोटे व्यापारियों का होगा और फेरी वालों का होगा।” इसके बाद राहुल गांधी ने कहा, “इनके दूसरे क़ानून का इंटेंट, अपने दूसरे मित्र को अनाज, फल और सब्ज़ी की जमाखोरी का सारा अधिकार देने का है. ये कहते हैं कि हमने तो किसानों को विकल्प दिया है।मैं कहता हूँ, हाँ इन्होंने विकल्प दिया है. तीन विकल्प दिये हैं- भूख, बेरोज़गारी और आत्महत्या. दरअसल, मामला ये है कि भारत में सबसे बड़ा व्यापार अब खेती है, 40 प्रतिशत आबादी इस पर जीती है, ये 40 लाख करोड़ रुपये का धंधा है। उस पर इनकी नज़र है।अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने कहा, “जब ये क़ानून लागू होंगे, तो जो इस देश के किसान हैं, छोटे व्यापारी हैं, छोटे मज़दूर हैं, उनका धंधा बंद हो जायेगा. किसानों के खेत जायेंगे, छोटे दुकानदारों की दुकानें बंद हो जायेंगी. तब सिर्फ़ दो लोग – हम दो, हमारे दो – इस देश को चलायेंगे।

उद्धव सरकार ने राज्यपाल को नहीं दी सरकारी प्लेन से उड़ान की इजाजत, उतरना पड़ा नीचे,राज्यपाल को सरकारी विमान न देने के मामले में बोले संजय राउत, नियमों का पालन किया गया


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता )महाराष्ट्र में राजभवन से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला आया है। राजभवन और राज्य की उद्धव सरकार के बीच पहले ही तनावपूर्ण रिश्तों में आज एक और विवाद खड़ा हो गया. दरअसल, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राज्य सरकार के एक विमान से देहरादून जाने वाले थे। वह सरकारी चार्टर प्लेन में 20 मिनट तक बैठे इंतजार करते रहे, लेकिन उद्धव ठाकरे नीत राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार ने चार्टर प्लेन की इजाजत नहीं दी। इसके बाद गर्वनर को विमान से उतरना पड़ा और फिर प्राईवेट एयरलाइंस से टिकट बुक करके मुंबई से देहरादून रवाना हुए। जानकारी के मुताबिक, एक हफ्ते पहले ही गर्वनर हाउस ने राज्यपाल की देहरादून यात्रा की जानकारी राज्य सरकार को दी थी. राज्य सरकार की ओर से इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है. माना जा रहा है कि मौजूदा विवाद के बाद विपक्षी बीजेपी और सत्ताधारी एमवीए सरकार के बीच तल्खी और बढ़ सकती है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सरकारी चार्टर्ड प्लेन के इस्तेमाल की इजाजत मुख्यमंत्री के अंतगर्त आने वाले सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दी जाती है. लेकिन विभाग की ओर कोई जानकारी नहीं दी गई. इसके बाद भगत सिंह कोश्यारी विमान से उतरे और वीआईपी जोन में जाकर बैठ गए. वह करीब आधे घंटे तक वहां बैठे रहे, लेकिन तब तक सीएम ऑफिस से कोई फोन या जानकारी नहीं आई तो उन्होंने फिर प्राइवेट विमान का इस्तेमाल करने का फैसला लिया. उन्होंने फिर स्पाइसजेट की 12.15 PM पर मुंबई से देहरादून जाने वाली फ्लाइट का टिकट लिया और उसी के जरिये गंतव्य की ओर रवाना हुए। शिवसेना नेता संजय राउत ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की उत्तराखंड यात्रा के लिए सरकारी विमान का उपयोग करने की अनुमति नहीं दिए जाने के मामले में सभी तय नियमों का पालन किया। राज्यपाल का अपमान किए जाने के भाजपा के आरोप को खारिज करते हुए राउत ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि इस घटना में किसी तरह की राजनीति शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि हम राज्यपाल का सम्मान करते हैं। सरकार ने संविधान का पालन किया, जैसा कि मुझे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ हुई बातचीत में पता चला। राउत ने कहा, ”यदि राज्यपाल निजी कार्य के लिए सरकारी विमान का उपयोग करना चाहते हैं तो उसके लिए कुछ नियम तय हैं और क्या सरकार ने उन नियमों का उल्लंघन किया?’’ शिवसेना सांसद ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय द्वारा तय नियमों का पालन किया। इस दौरान, राउत ने विधान परिषद में राज्यपाल के कोटे से उन 12 नामों के मनोनयन में देरी करने को लेकर कोश्यारी की आलोचना भी की, जिनकी सिफारिश मंत्रिमंडल ने की थी उल्लेखनीय है कि राज्यपाल कोश्यारी गुरुवार को एक सरकारी विमान से उत्तराखंड के देहरादून जाने वाले थे, लेकिन उड़ान के लिए अनुमति नहीं दी गई, जबकि राज्यपाल विमान में चढ़ चुके थे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्यपाल बाद में देहरादून की यात्रा के लिए एक वाणिज्यिक उड़ान से रवाना हुए।

कोविड-19 टीकाकरण के बाद (सीएए) लागू होगा:अमित शाह
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के ठाकुरनगर में एक रैली में कहा कि कोविड-19 टीकाकरण के बाद सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देना शुरू करेगी। हालाँकि उन्होने ने ये नहीं बताया की देश की डेढ़ अरब की आबादी का टीकाकरण कितने साल मे होगा ।उन्होंने इस दौरान कहा कि विपक्ष सीएए पर अल्पसंख्यकों को गुमराह कर रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यह क़ानून भारत के अल्पसंख्यकों की नागरिकता पर कई असर नहीं डालेगा.उन्होंने कहा, “ममता दीदी ने कहा कि हम झूठे वादे करते हैं. उन्होंने सीएए का विरोध शुरू कर दिया और कहा कि वो इस क़ानून को अनुमति नहीं देंगी। बीजेपी जो वादे करती है वो पूरा करती है. हम इस क़ानून को लेकर आए और शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस क़ानून से मतुआ समुदाय को लाभ होगा. मतुआ मूलतः वे लोग हैं जो विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान और फिर बांग्लादेश के गठन के समय भारत आ गए थे।

 

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