सीबीआई की जाँच मे फंसे वसीम रिज़वी अपने बचाव मे एक ख़तरनाक़ खेल खेल रहे हैं जो ना सिर्फ हिन्दू मुस्लिम बल्कि शिया सुन्नीयों की नफरतो मे इज़ाफ़ा करेगा देश विदेश मे शिया समुदाय के लोग कट्टर पंथी तथाकथित मुसलमानो के निशाने पर आजाएगे खास कर पाकिस्तान जहाँ शिओ का क़त्लेआम आम बात है वहां शिओ की परेशानी बढ़ जाएगी मुस्लिम तंज़ीमों को चाहिए की वह इस मसले पर फतवे बाज़ी बचे बल्कि प्रधान मंत्री से शिकायत करे

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (ज़हीर इक़बाल) सीबीआई की जाँच मे फंसे वसीम रिज़वी ने इस बार अपने बचाव मे एक ख़तरनाक़ खेल खेला है जो ना सिर्फ हिन्दू मुस्लिम बल्कि शिया सुन्नीयों की नफरतो मे इज़ाफ़ा करेगा।जहाँ देश मे इसके ज़रिए हिन्दू मुस्लिम नफरतो मे इज़ाफ़े की कोशिश होगी वही देश विदेश मे शिया समुदाय के लोग कट्टर पंथी तथाकथित मुसलमानो के निशाने पर आजाएगे खास कर पाकिस्तान जहाँ शिओ का क़त्लेआम आम बात है वहां शिओ की परेशानी बढ़ जाएगी।आपको बताते चले की वसीम रिज़वी ने कहा है की वह सुप्रीम कोर्ट मे दरखास्त करने जा रहे हैं की क़ुरआन पाक की 26 आयतो को क़ुरान से हटाया जाये जो आंतकवाद के लिए प्रेरित करती हैं।उनका कहना है कि ये आयते क़ुरान मे बाद मे जोड़ी गई हैं। इसके बाद मुसलमानो मे ज़बरदस्त रोष है।हरतरफ़ इसकी मज़म्मत हो यही है।खुद वसीम की हिमायत करने वाले लोग भी इस मामले मे बैक फुट पर है।बात ये है की तहरीफ़ ए क़ुरान (यानि क़ुरान मे घटना बढ़ाना)का शिया फ़िरक़े पर बहुत पुराना इलज़ाम है जो सुन्नी फ़िरक़े की जानिब से शिओ पर लगाया जाता रहा है।शहर लखनऊ मे बाक़ाएदा एक मुहीम चला कर शिओ को क़ुरान मे तहरीफ़ के क़ाएल होने का इलज़ाम लगा कर बदनाम करने की कोशिश की जा चुकी है वसीम रिज़वी का ये इलज़ाम उसकी पुष्टि करता है।अब सवाल ये पैद्दा होता है कि वसीम इस्लाम के ज्ञानी नहीं है तो फिर उसके पीछे ये ज्ञान देने वाला कौन है? हालाँकि मुसलमानो के दूसरे फ़िरक़े मे भी तहरीफ़ ए क़ुरान की कुछ बाते मौजूद हैं। लेकिन मुसलमानो का हर फ़िरक़ा तहरीफ़ ए क़ुरान को नाजाएज़ मानता है। पूरे इस्लामी जगत मे सब से पहले क़ुरान और रसूल(सा) पर नाज़िल होने वाली वही(अल्लाह का संदेश) का खुल कर इंकार करने वाला यज़ीद इब्ने माविया इब्ने अबू सुफियान था।जो बज़ाहिर मुसलमान था। इमाम हुसैन को क़त्ल करने के बाद उसने यही कहा था की न कोई वही आई न कोई रसूल ये तो हुकूमत पाने के लिए बनी हाशिम ने खेल खेला था।सितम ये था की जब नवासे रसूल हज़रात इमाम हुसैन अकाबिरे सहाबा से यज़ीद के ख़िलाफ़ खड़े होने को कहरहे थे तो सब के सब मस्लहत की चादर ओढ़कर मदीने को अपनी अमानगह समझ रहे थे। लेकिन क़त्ल ए इमाम हुसैन के बाद यज़ीद ने काबे मे आग लगवा दी और फिर मदीना को ताराज कर दिया। अब ज़रा थोड़ा पीछे चलते हैं।अभी कुछ साल ही गुज़रे हैं। जब सुबे मे सपा की हुकूमत थी। उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे कद्दावर कहे जाने वाले वज़ीर मोहम्मद आज़म खां पर वसीम रिज़वी का जादू सर चढ़ कर बोल रहा था।एक तरफ आज़म खां के मंज़ूर ए नज़र सरकार के हिमायत याफ़्ता वसीम रिज़वी थे। तो दूसरी तरफ बेयारो मददगार मौलाना कल्बे जवाद अकेले सरकार से लड़ रहे थे।खास बात ये है कि ये लड़ाई कल्बे जावद की ज़ाती लड़ाई नहीं थी।बाल्कि अल्लाह की जानिब मंसूब उन वक़्फ़ अम्लाक को बचाने की लड़ाई थी। जिसको न सिर्फ शिया फ़िरक़ा बल्कि पूरी उम्मते मुस्लिमा बहुत अहम मानती है। शिया वक़्फ़ बोर्ड मे फैली बेमानी के ख़िलाफ़ मौलाना कल्बे जवाद मोर्चा खोले थे। और वसीम की हिमायत मे मोहम्मद आज़म खां कल्बे जवाद जैसे आलिम ए दींन के खिलाफ बेहूदा ज़बान का इस्तेमाल करके उल्टा मौलाना को चोर और वक़्फ़ का लुटेरा साबित करने की कोशिश कर रहे थे ।वासीम रिज़वी और आज़म खान मौलाना को मोदी भक्त और बीजेपी नवाज़ मौलाना बता रहे थे।ओलमा ए हक़ पर लाठियां बरसाई जारही थी मुक़द्दस अम्मामे पुलिस की लाठी चार्ज मे सड़क पर बिखरे पड़े थे लेकिन फ़िज़ा मे सन्नाटा था कोई एक आवाज़ नहीं आई के ये क्या हो रहा है। मस्लहत परस्त शिया सुन्नी उलमा मस्लहत की चादर ओहढे सो रहे थे। मौलाना कल्बे जवाद के हिमायती बेक़सूर शिया नवजवान जेल काट रहे थे।लेकिन वक़्त किसी का नहीं होता आज हम तो कल तुम्हारी बरी है नतीजा ये हुआ की वक़्त ने करवट ली और सूबेके निज़ाम मे तबदीली आई जिनका दबदबा था वह दबाये गए कुछ वैसा ही हुआ जो बरसो पहले इराक़ मे हुआ था अपने वक़्त का शेर चूहे की मानिंद बिल से गिरफ्तार किया गया । क्योंकि अल्लाह का वादा की वह ज़ालिम को ज़ालिम से टकरा देता है। अब मस्लहत छोड़ कर तमाम सुन्नी शिया इदारों खास कर मदारिस को चाहे को चाहे वह नदवातुल ओलमा हो या देवबंद चाहे वह सुल्तानुल मदारिस हो या तंज़ीम उल मकातिब और चाहे नज़्मीया हो या बनारस दिल्ली की बड़ी तंज़ीमे सबको चाहिए की वह इस फ़ित्ने की तरफ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करे।अब रही बात सुप्रीम कोर्ट की तो वह मंशा और नियत ज़रूर देखता है।अक्सर इस तरहां की पीआईएल को सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ अदालत का वक़्त बर्बाद करने वाला कहा है बल्कि उसपर पेनल्टी भी लगाई है।

मौलाना ने श्यिा एवं सुन्नी मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि मिलकर उसकी गिरफ्तारी के लिये प्रर्दशन करें,वीसी रिज़वी का इस्लाम और शियत से कोई संबंध नहीं
लखनऊ,12 मार्च : मौलाना सै0 कल्बे जवाद नकवी, महासचिव, मजलिस ओलमा-ए-हिंद ने इस्लाम दुशमन वसीम रिज़वी के बयान की कड़ी निंदा की है, जिसमें पवित्र कुरान से 26 आयतों को हटाने की बात कही गई है।मौलाना ने अपने बयान में कहा कि वसीम रिज़वी का इस्लाम एवं शिया समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि यह चरमपंथी और मुस्लिम विरोधी संगठनों का एजेंट है।उसके इस बयान के खिलाफ सभी शिया एवं सुन्नी ओलमा और राजनीतिक व सामाजिक नेताओं को इसके विरोध में एकजुट होना चाहिए और सरकार से इसकी गिरफ्तारी की मांग की जानी चाहिए।मौलाना ने अपने बयान में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वसीम रिज़वी अपने बयानों से साबित कर रहा है कि वह यज़ीद का वंशज है। एसे लोग शियों कों बुरा भला कहने का मौका देते है, पर याद रखना चाहिये कि शियों को बुरा भला कहने वाले और बुरा भला कहने का मौका देने वाले दोनों एक ही ताक़त के एजेंट हैं।मौलाना ने कहा कि शिया कुरान में किसी भी प्रकार की तबदीली और तहरीफ के क़ायल नही हैं।मौलाना ने कहा कि वसीम रिज़वी ने कट्टर मुस्लिम विरोधी ताक़तों को खुश करने के लिए ऐसा किया है ताकि वह उसका समर्थन करें और वह जेल जाने से बच सके। जैसा कि सब जानते है वक्फ बोर्ड की सी0बी0आई0 जांच चल रही है,इस लिये वह ऐसे बयान दे रहा है ताकि उसकी बेईमानी और भ्रष्टाचार पर पर्दा पडा रहे। मौलाना ने कहा कि हम इस संबंध में ईरान और इराक़ के मराजाए किराम एवं मुजतहिद हज़रात को एक पत्र लिखेंगे ताकि उनसे वसीम रिज़वी के इस बयान के संबंध में एक आदेश लिया जा सके और इसे इस्लाम और शियत से ख़ारिज घोषित किया जा सके, ताकि वह किसी मुस्लिम संगठन और बोर्ड का सदस्य न बन सके।मौलाना ने कहा कि वसीम रिज़वी न तो मुसलमान है और न ही उसका शिया समुदाय से कोई लेना-देना है, बल्कि वह मुसलमान विरोधी ताकतों का एजेंट हैं और उनका नजिस कुत्ता है जो उनके इशारे पर उनके सामने दुम हिलाता रहता है।मौलाना ने कहा कि इस तरह के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए क्योंकि इस तरह के बयान धार्मिक भावनायें भडकाने और हाईलाईट होने के लिये दिये जाते है,जिस पर सरकार और प्रशासन को तुरंत कार्यवाही करनी चाहिये, लेकिन मजबूरी यह है कि अगर इसकी निंदा नहीं की जाती है तो लोग सोचते हैं कि शिया इससे खुश हैं।जबकि हम बहुत पहलेे ही कह चुके है कि इसका इस्लाम और शिया समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है। मौलाना ने कहा कि जिन कुरान की आयतों के खिलाफ उसने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, उसे उन आयतों का सही ज्ञान भी नहीं होगा। उसको जो ड्राफट तयार करके दिया गया है उसी को उसने अदालत में दाख़िल किया है। अपने बयान में मौलाना ने कहा कि अब सभी शिया. सुन्नी ओलाम, राजनीतिक और सामाजिक नेताओं को उसका खुलकर विरोध करना चाहिए क्योंकि अब वह पवित्र कुरान पर हमला कर रहा है। जो लोग कहते थे कि वसीम रिजवी के साथ हमारी व्यक्तिगत दुश्मनी है, अब वे इसके बारे में किया कहेंगें? क्योंकि अब वह अल्लाह की किताब में बदलाव के लिए सीना सिपर है। मौलाना ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि वसीम रिजवी को तुरंत गिरफ्तार किया जाए क्योंकि उसके बयान से देश में अमन और शांति को ख़तरा है और अराजकता फेल रही है। उसके बयान से किसी भी समय देश में दंगों की आग भड़क सकती है। अगर उसे प्रतिबंधित और गिरफ्तार नहीं किया गया तो हम समझेंगे कि सरकार फसदा भडकाने में उसके साथ शामिल है। इसलिए, हम सरकार से मांग करते हैं कि उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए ताकि देश में अमन एवं शांति बनी रहेे।मजलिसे ओलमाए हिंद वसीम रिज़वी के बयान और उसकी जनहित याचिका की कड़ी निंदा करते हुए उसे इस्लाम और शियत का दुशमन करार देती है एवं भारत सरकार से उसकी गिरफ्तारी की अपील करती है।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here