शनिवार को सामने आए 30 हजार से अधिक संक्रमित,303 की मौत, लखनऊ मे कमी 3125 मरीज़
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता) यूपी में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 30317 नए मामले सामने आए हैं और 38826 लोग अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर वापस गए हैं। वहीं, 303 लोगों की मौत हुई है।लखनऊ मे कमी 3125 मरीज़ मिले हैं प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में कल  2,66,326 सैंपल्स की जांच की गई। अब तक प्रदेश में 4,10,64,661 टेस्ट किए जा चुके हैं।वहीं, यूपी में आज से 18 वर्ष से ऊपर के लोगों का सात जिलों में टीकाकरण शुरू हो गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टीकाकरण अभियान का जायजा लेने के लिए लखनऊ के गोलागंज स्थित अवंतीबाई (डफरिन) हॉस्पिटल पहुंचे और यहां टीका लगवाने वाले युवाओं से बातचीत कर उनका हालचाल लिया। पहले चरण में 9 हजार से अधिक सक्रिय केस वाले जिलों लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली और मेरठ में वैक्सीनेशन किया जा रहा है। वैक्सीनेशन के लिए जिन्होंने कोविन पोर्टल या आरोग्य सेतु एप पर पंजीकरण करा लिया है, उनके लिए शुक्रवार शाम से स्लॉट ओपन कर दिया गया।टीकाकरण प्रभारी डॉ अजय घई ने बताया कि 45 पार वाले लोगों का टीकाकरण पहले की तरह चलता रहेगा। पहले से बनाए गए बूथ चलते रहेंगे। 18 से 44 साल वालों के लिए अलग बूथ बनाए गए हैं। अब कुल बूथों की संख्या करीब सात हजार हो गई है।

प्रधान मंत्री की नाकामियो पर पर्दा डालने मे नाकाम जयशंकर,अंतरराष्ट्रीय मीडिया से नाराज़
जायज़ा डेली नई दिल्ली (संवाददाता) भारत में अपने पैर पूरी तरह पसार चुकी कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन, दवाओं, डॉक्टरों और बेड की कमी के कारण बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों की जान जा रही है। देशभर के श्मशान घाट और कब्रिस्तान शवों से भरे पड़े हैं। कोरोना की वजह से भारत में आए संकट को लेकर विदेशों में भी चर्चा की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने देश के श्मशानों में जलते शवों, कब्रिस्तान में लगी कतारों, अस्पतालों के बाहर बदहवास लोगों के चेहरों को दिखाते हुए भारत की वर्तमान स्थिति को लेकर रिपोर्टिंग की थी। हालांकि, भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट्स को एकतरफा करार दिया है। क्योंकि ये मोदी सरकार की कमी है के वह भारती मीडिया से अपनी बेढंगी तारीफ सुनने की आदि है सरकार को लोकतंत्र मे विश्वास ही नहीं है वह तानाशाहों की तरहां आमजन से सुलूक करती है जो सरकार नितियो के खिलाफ लब हिलाता सरकार किसी न किसी बहाने उसको प्रताड़ित करती है वह शुक्र है भारती अदालतों का जहाँ से लोगो को इंसाफ मिल जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीते गुरुवार ( 27 अप्रैल)  को दुनियाभर में तैनात भारतीय राजदूतों और उच्चायुक्तों के साथ एक वर्चुअल बैठक में भाग लिया था। बैठक में उन्होंने कहा कि भारत को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में एकतरफा रिपोर्टिंग चल रही है। कोरोना संकट से निपटने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार को ‘अयोग्य’ करार देने के अंतरराष्ट्रीय मीडिया के नैरेटिव का जरूर जवाब दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में मौजूद अधिकारियों ने बताया कि यह मीटिंग दो बड़े मुद्दों को लेकर हुई। इसमें कोरोना से निपटने में सहायक जरूरी सामानों की खरीद को लेकर चर्चा की गई। इन सामानों को भारत कैसे भेजा जाए, इसे लेकर राजनयिकों ने चर्चा की। दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत की कोरोना संकट से जुड़ी खबरों को काउंटर करना था। बैठक में हिस्सा लेने वाले अधिकारियों ने बताया कि एस जयशंकर के संदेश का मतलब ‘निगेटिव’ खबरों को दबाना नहीं था बल्कि उनका जोर स्टोरी में सरकारी पक्ष को भी लेने पर था। राजदूतों और उच्चायुक्तों के अलावा इस बैठक में राज्य मंत्री वी मुरलीधरन, विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला और कोविड-19 संकट से निपटने वाले अधिकारियों ने भी घंटे भर चली इस बैठक में हिस्सा लिया।

जेल में आजम खां व बेटा अब्दुल्ला पॉजिटिव, दोनों अलग-अलग बैरक में क्वारंटीन
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) सीतापुर जिला कारागार में सांसद आजम खां व उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। दोनों को अलग-अलग बैरकों में क्वारंटीन कर दिया गया है। जिला अस्पताल की एक टीम ने जेल में आजम खां के स्वास्थ्य की जांच की। दोनों की हालात सामान्य है। जेल में संक्रमण पहुंचने का कारण पुलिसकर्मियों की ड्यूटी में बदलाव बताया जा रहा है। सांसद आजम खां व पुत्र अब्दुल्ला आजम जिला कारागार सीतापुर में एक साल से अधिक समय से बंद हैं। इस दौरान वह कई बार पेशी पर रामपुर भी गए। पिछले दो माह से कोरोना संक्रमण का प्रसार तेज होने से उनकी जिला कारागार से ऑनलाइन पेशी हो रही थी। जेल प्रशासन का कहना है कि नियमित अंतराल पर आजम व उनके पुत्र के स्वास्थ्य की जांच होती है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच की। इसमें दोनों पॉजिटिव मिले। इस पर दोनों को अलग-अलग बैरकों में क्वारंटीन करा दिया गया है। जेल में संक्रमण कैसे पहुंचा, इसके पीछे जिले के अफसरों का कहना है कि बाहरी आवागमन बंद है। पुलिस कर्मियों की ड्यूटी बदला करती है। हो सकता है इन पुलिसकर्मियों के वजह से संक्रमण जेल में आ हो। कई कैदी भी पॉजिटिव हैं। जेलर आरएस यादव ने बताया कि शनिवार को जिला अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम आई थी। दोनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। हालात सामान्य है। कोविड का इलाज शुरू करा दिया गया है। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. उदय प्रताप ने बताया कि दोनों के स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है।

लखनऊ मे तीन रोज़ा शबों का आगाज़ इस साल भी बरामद नहीं हो सकेगे जुलूस

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (ज़हीर इक़बाल) शहादत ए हज़रात अली के सिलसिले मे मानाए जाने वाले तीन रोज़ा ग़म का आज से आगाज़ हो गया मरकज़ ए अज़ादारी कहे जाने वाले शहर लखनऊ मे इन दिनों को शबे कहा जाता है।ये रातें उन क़यामत ज़दा रातों की याद दिलाती हैं कि जब 19 रमजान की सुबह की नमाज़ मे हज़रात अली (अस) को अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम नमी शख्स ने ज़हर मे बुझी हुई तलवार मार कर ज़ख़्मी कर दिया था।

ये वार तब किया गया था जिस वक़्त हज़रात अली (अस) इराक़ के शहर कूफ़ा मे मौजूद मस्जिद ए कूफ़ा मे सुबहा की नमाज़ अदा कर रहे थे। वॉर इतना खतरनाक था की हज़रात अली (अस) का सर शिकस्ता हो गया था

हज़रात अली (अस) खुद सजदे से सर उठा न सके और उनको एक कम्बल मे लिटा कर आपके बेटे हसन (अस) हुसैन (अस) आपको घर तक लाये,हज़रात अली (अस) तीन दिन तक ज़ख़्मी हालत मे रहे और 21 रमजान को आप शहादत के दर्जे पर फ़ाएज़ हो गए। लखनऊ समेत पूरी दुन्या मे शिया इन तीन रोज़ को ग़म के तौर पर मनाए जाते हैं। इस मौक़े पर 19 रमजान की सुबह की नमाज़ के बाद लखनऊ मे वाक़ेह शबीह ए मस्जिद ए कूफ़ा से एक ताबूत का जुलूस निकलता है जो मौलाना अली मुत्तक़ी ज़ैदी के घर जा कर इख़्तेताम पज़ीर होता है।

जबकि 21 रमजान को पुराने लखनऊ के नजफ़ से सुबह की नमाज़ के बाद एक ताबूत का जुलूस निकाला जाता है जो कर्बला तालकटोरा जाता है। और वहां ताबूत दफ़न कर दिया जाता है। पिछले साल की तरहां इस बार भी दोनों जुलूस कोरोना महामारी की वजहॉ से नहीं उठाये जा रहे हैं।

हज़रात अली (अस) मोहम्मद रसूल अल्लाह (साआ) के चचाज़ाद भाई थे। मोहम्मद रसूल अल्लाह (साआ) ने अल्लाह के हुक्म के बाद अपनी बेटी फात्मा (अस) की शादी हज़रात अली से कर दी थी। और अपने अन्तिम समय मे जब वह हज से वापस आ रहे थे तो आप पर अल्लाह की “वही” नाज़िल हुई( वही यानि अल्लाह का फरिश्ता आकर रसूल को बताता था के अब उनको क्या कहना और क्या करना है) फरिश्ते जिनका नाम जिब्रील था उसने मोहम्मद रसूल अल्लाह (साआ) को अल्लाह का पैग़ाम सुनाया और कहा के आज आप हज़रात अली(अस) को अपना उत्तराधिकारी बनाने का एलान कर दें। इस्लामी एतिहासकारो का वर्णान है की उस समय मोहम्मद रसूल अल्लाह (साआ) के साथ अरब के ज़्यादातर सरदार और उनके लश्कर मौजूद थे।अरब के दसतूर के मुताबिक़ बैत की जाती थी (यानि सरदार मान लेना) उस वक़्त सबने हज़रात अली की बैत करली परन्तु मोहम्मद रसूल अल्लाह(साआ) की आँख बन्द होते ही बैत तोड़ दी गई। यह इस्लाम पर सबसे बुरा समय था की मोहम्मद रसूल अल्लाह(साआ) का जनाज़ा तीन दिन तक दफनाया न जा सका बाद मे हज़रात अली (अस) और उनके बेटे हसन (अस) हुसैन (अस) ने मोहम्मद रसूल अल्लाह(साआ) को दफ़न किया। क्योकि रसूल की सिर्फ एक बेटी फात्मा ही थी रसूल (साआ) इनसे बहुत मोहब्बत करते थे आखरी समय रसूल (साआ) बेटी फात्मा के घर पर ही थे। उधर बैत तोड़ने के बाद बानी सक़ीफ़ा मे हज़रात अली (अस) की जगहा रसूल (साआ) के एक सहाबी हज़रात उमर को ख़लीफ़ा चुन लिया गया लेकिन उमर ने दूसरे सहाबी हज़रात अबूबकर के हाथ पर बैत कर ली इस तर्हां पहले खलीफा अबूबकर हो गए इन दोनो की मौत के बाद तीसरे सहाबी हज़रात उस्मान को गद्दी पर बैठा दिया गया इस्लामी एतिहासकार कहते हैं कि ये दौर इस्लाम के लिए बदतरीन दौर था। अहले बैत रसूल (साआ) पर खूब ज़ुल्म ढाए गए रसूल (साआ) अपनी बेटी फात्मा को फ़िदक नमी एक ताल्लुका देकर गए थे वह खलीफा ने जब्त कर लिया। हज़रात अली के ख़ुत्बों( इस्पीचेज़ ) पर आधारित किताब नहजुल बलाग़ाह मे दर्ज खुत्बा ए शक़शक़या मे खुद हज़रात अली ने अपनी ख़िलाफ़त छीने जाने का ज़िक्र किया है आपने कहा है की मेरे सामने मेरी विरासत को लुटा जा रहा था ना अहल अफ़राद ज़बरदस्ती खिलाफत पर क़ाबिज़ हो गए थे।आप फरमाते है की बानी क़हाफा ने खिलाफत की कमीज़ ज़बरदस्ती खींच तान कर ज़ेबे तन करली थी हज़रात अली फरमाते है कि ग़मो अन्दोह के फंदे मेरे गले मे लगे हुए थे और उस वक़्त मेरे पास दो रास्ते थे। तलवार उठाकर अपना हक़ लेलू या सब्र करू मैंने सब्र करने को बेहतर जाना और मैंने सब्र किया। इस बीच इस्लाम को सत्ता तक पहुंचने का आसान रास्ता जानकर तीसरा गिरोह सत्ता हत्याने की फ़िराक़ मे सत्ता का दावेदार हो गया और तीसरे खलीफा के खिलाफ दुश्मने इस्लाम अबू सुफ़यान का बेटा माविया मौक़े का फायदा उठा कर अपने पैर जमाने मे कामयाब हो गया था।तीसरे खलीफा हज़रात उस्मान के खिलाफ माहोल बन चूका था यहाँ तक कि उस्मान के घर का घेराव हो गया पानी की सप्लाई बंद कर दी गई तब हज़रात अली ने अपने बेटो को भेज कर हज़रात उस्मान को रसद भेजी लेकिन एक दिन माविया के लोगो ने हज़रात उस्मान की हत्त्या करदी। मुसलमान इससे बहुत नाराज़ हुए और फिर हज़रात अली (अस) की बैत क़ुबूल कर ली इस तरहां हज़रत अली मुसलमानो के चौथे ख़लीफ़ा बना दिए गए आपने किताब नहजुल बालगाह मे इसका ज़िक्र किया है। आप फ़रमाते के जोग़ दर जोग़ लोग मेरी बैत को आ रहे थे यहाँ तक की मजमा इतना था की मेरे बेटे हसन हुसैन कुचले जा रहे थे तब माने इस बैत को क़बूल किया। लेकिन इस्लाम दुश्मन अनासिर इस्लाम मे दाखिल हो चुके थे। और माविया सरकशी पर आमादा था। हज़रत अली ने उससे जंग की और उसको शिकस्त दी लेकिन वह अमान पाकर जान बचाने मे कामयाब रहा लेकिन बाद मे वह हज़रत अली के खिलाफ उस वक़्त तक साज़िश करता रहा जब तक उनको शहीद करने मे कामयाब न हो गया यहाँ तककि हज़रत अली की शहादत वाक़ेह हो गई और माविया सत्ता पर क़ाबिज़ हो गया,उसने अपने बदकार बेटे यज़ीद को ख़लीफ़ा बनाने की वसीयत की और उस यज़ीद ने खलीफा बनने के बाद हज़रत अली के बेटे हज़रत इमाम हुसैन से बैत करने को कहा हुसैन के इंकार करने पर यज़ीद ने हज़रत इमाम हुसैन को कर्बला मे शहीद करवा दिया। दुनियां मे मुहर्रम इमाम हुसैन की शहादत की याद मे मनाया जाता है। हज़रत अली को हैदर ए कर्रार ,मुश्किल कुशा,शेर ए खुदा भी कहा जाता है। हज़रत अली ने जो अंतिम समय अपने बेटो को वसीयत की थी अगर आम जान उस पर अमल कर ले तो दुनियां मे सिर्फ मोहब्बत और भाईचारा होगा ज़ुल्म का नमो निशान मिट जाएगा।हज़रत अली (अस) के ज्ञान का ये आलम था की वह पहले शख्स है जिन्होने ये दावा किया की जो पूछना हो वह मुझसे पूछ लो इस से क़बल की तुम मुझे खो दो आप ही वह पहले बादशाह है की जब आप कलीफ़ा हुए तो आप ने ये दावा किया की मेरे दौर ए हुकूमत मे कोई शख्स भूका नहीं सोया अपने ही ये भी कहा है की अगर कोई शख्स अपनी भूख मिटाने के लिए रोटी चोरी करे तो चोर के हाथ काटने के बजाए बादशाह के हाथ काटे जाएं ,आप इतने बहादुर थे की आप ने दुन्या का सबसे भरी दरवाज़ा दरे खैबर को उखाड़ कर एक रेकार्ड क़ाएम किया था। इसके अलावा अपने फ़रमाया ज़िन्दगी के हर मोड़ पर सुलह करना सीखो, क्योंकि झुकता वही है जिसमें जान होती है और अकड़ना तो मुर्दे की पहचान होती है। (2)अक़्लमंद अपने आप को नीचा रखकर बुलंदी हासिल करता है और नादान अपने आप को बड़ा समझकर ज़िल्लत उठाता है। अपनों को हमेशा अपना होने का एहसास दिलाते रहो, वर्ना वक़्त उन्हें आपके बग़ैर जीना सिखा देगा। (३) चुगली करना उसका काम होता है जो अपने आप को बेहतर बनाने में असमर्थ होता है। (4)इंसान बुरा तभी बनता है, जब वह अपने आपको दूसरों से अच्छा समझने लगता है। (5)झूठ की सबसे बड़ी सज़ा ये है कि उसके सच का भी कोई एतबार नहीं करता। (6) मुश्किलों की वजह से चिंता में मत डूबा करो, क्योंकि बहुत अंधियारी रातों में ही सितारे ज्यादा तेज़ चमकते हैं। (7)अगर कोई तुमको सिर्फ अपनी ज़रूरत के वक़्त याद करता हो, तो नाराज़ मत होना। बल्कि इस बात का फ़ख्र करना कि उसको अँधेरे में रौशनी की ज़रूरत है, और वह रौशनी तुम हो। (8)नेक लोगों की सोहबत (संगत) से हमेशा भलाई ही मिलती है, क्योंकि हवा जब फूलों से गुज़रती है तो वो भी खुश्बुदार हो जाती है। (9)अपनी किस्मत पे वही सख्श रोता है, जो अल्लाह के सामने सज़्दों में नहीं रोता है। (10)हमेशा उस इंसान के करीब रहो जो तुम्हें खुश रखे, लेकिन उस इंसान के और भी करीब रहो, जो तुम्हारे बगैर खुश ना रह पाए। (11)ये दुनिया कितनी अजीब है, ईमानदार को बेवकूफ, बेईमान को अक़लमंद और बेहया को खूबसूरत कहती है। (12)खूबसूरत इंसान से मोहब्बत नहीं होती, बल्कि जिस इंसान से मोहब्बत होती है, वो खूबसूरत लगने लगता है। (13)दौलत मिलने पर लोग बदलते नहीं हैं, बल्कि वे बेनक़ाब हो जाते हैं। (14)प्यास नहीं होती तो पानी की कोई कीमत नहीं होती, मौत नहीं होती तो ज़िन्दगी की कोई कीमत नहीं होती और विश्वास ना हो तो दोस्ती की कोई कीमत नहीं होती।

 

  

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