लखनऊ मे नए मरीज 1436
ठीक हुए 354 और 26 की मौत भी हुई हैं 

यूपी में कोरोना: बीते 24 घंटे में 23 हजार से अधिक नए मामले, 296 संक्रमितों की मौत
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता)यूपी में रविवार का दिन राहत भरा रहा। नए मरीजों की संख्या कमी आई तो ठीक होने वाले मरीजों का आंकड़ा भी बढ़ गया। रविवार को कुल 23333 नए कोविड-19 पॉजिटिव मिले। साथ ही 34636 मरीज संक्रमण मुक्त हो गए। कुल 296 मरीजों की संक्रमण से मौत हो गई। अप्रैल में कोरोनो के अधिकतम मरीज मिलने के बाद से 09 मई तक लगभग 77 हजार संक्रमित मरीज कम हो गए हैं।अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में अब तक 1503490 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। इनमें से 1254045 अब तक स्वस्थ हो चुके हैं। कुल 15464 मरीजों की मौत हुई है। अब प्रदेश में 233981 एक्टिव मरीज बचे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में शनिवार को 229186 टेस्ट किए गए। इनमें 1.11 लाख से अधिक आरटीपीसीआर तकनीक से नमूने जांचे गए। इस समय 174892 मरीज होम आइसोलेशन में हैं।

आजम खां और उनके बेटे की हालत बिगड़ी, लखनऊ लाने की तैयारी
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता)करीब सवा साल से कई मामलों में सीतापुर की जेल में बंद सपा सांसद आजम खां की रविवार को अचानक हालत बिगड़ गई। पिछले दिनों वह और उनके बेटे अब्दुल्ला कोरोना संक्रमित पाए गए थे। पॉजिटिव होने के बाद दोनों लोग की जेल के डॉक्टरों की टीम की निगरानी में इलाज चल रहा था। रविवार को सपा नेता आजम का आक्सीजन लेबल कम होने की सूचना मिलते ही जेल प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन हरकत में आ गया।एडीएम, एएसपी, एसडीएम, सीओ आनन-फानन जेल पहुंचे। जिला अस्पताल से बुलाई गई डॉक्टरों की टीम ने सेहत की जांच करने के बाद आजम खां और उनके बेटे को लखनऊ रेफर कर दिया है। कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद पुलिस प्रशासन की सुरक्षा में दोनों लोगों को लखनऊ ले जाया गया। बताते चलें कि रामपुर जिले के सपा नेता व सांसद आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम 27 फरवरी 2020 से सीतापुर की जेल में अलग-अलग मामलों में बंद हैं।आजम के साथ उनकी पत्नी भी बंद थी, लेकिन कई महीने पूर्व कोर्ट के आदेश पर जेल से वह रिहा हो चुकी है, जबकि आजम और अब्दुल्ला अभी जेल में ही हैं। जेलर आरएस यादव ने बताया कि आजम खं को जेल की तन्हाई की उच्च सुरक्षा बैरक नंबर 1, अब्दुल्ला को बैरक नंबर 2 में रखा गया है। पेशी के लिए उन्हें रामपुर ले जाया जाता था, लेकिन कोरोना संक्रमण फैलने को लेकर पिछले काफी समय से वह पेशी पर नहीं गए थे। ऑनलाइन ही पेशी चल रही थी, इस बीच आजम और उनके बेटे की जेल प्रशासन की ओर से नियमित जांच कराई जा रही थी। कुछ लक्षण महसूस होने पर कोरोना की दोनों की जांच कराई गई थी, जिसमें 1 मई को आई रिपोर्ट में आजम खां, अब्दुल्ला आजम कोरोना संक्रमित पाए गए थे। पॉजिटिव होने के बाद दोनों लोगों को अलग-अलग बैरकों में क्वारंटीन कर जेल के डॉक्टरों की टीम की निगरानी में इलाज हो रहा है। जिला अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार भी दोनों की सेहत पर नजर रखे हुए थे। रविवार को अचानक आजम खां की हालत बिगड़ गई। बताते हैं कि आक्सीजन लेबल कम होने से हड़कंप मच गया। जेल प्रशासन ने मामले से जिला प्रशासन को अवगत कराया। एडीएम विनय पाठक, एएसपी नॉर्थ राजीव दीक्षित, एसडीएम सदर अमित भट्ट, सीओ सिटी पीयूष सिंह, शहर कोतवाल टीपी सिंह मौके पर पहुंचे। पुलिस-प्रशासन के अफसर जेल के अंदर गए। काफी देर तक अंदर राय मशविरा की गई। इसके बाद एंबुलेंस बुलाई गई। कुछ देर तक एंबुलेंस जेल गेट पर खड़ी रही। इसके बाद एंबुलेंस जेल के अंदर गई। जिला अस्पताल से डॉक्टरों की एक टीम बुलाई गई। टीम ने जांच करने के बाद आजम खां, अब्दुल्ला आजम को लखनऊ रेफर कर दिया। इसके बाद एंबुलेंस जेल के अंदर गई। दोनों को लेकर एंबुलेंस जेल से छह बजकर 50 मिनट पर लखनऊ को रवाना हो गई है। आजम खां, अब्दुल्ला को लखनऊ के मेदांता में भर्ती कराया जाएगा। मेदांता तक दोनों को सकुशल पहुंचाने के लिए डीएम विशाल भारद्वाज, एसपी आरपी सिंह ने एसडीएम सदर अमित भट्ट, सीओ सिटी पीयूष सिंह, एसओ खैराबाद ओपी राय को लगाया है। जेल की बैरक में हालत बिगड़ने के बाद फौरन आक्सीमीटर से जांच की गई। जेलर आरएस यादव ने बताया कि जांच में आक्सीजन लेबल 89 था, इसे देखकर टीम भी घबरा गई और अफसरों ने भी लखनऊ में भर्ती कराना ही उचित समझा। बताते हैं कि इसके बाद दूसरा आक्सीमीटर मंगाकर जांच की गई, जिसमें आक्सीजन लेबल 93 पाया गया, लेकिन फिर भी सरकारी मशीनरी ने मामला हाई प्रोफाइल होने की वजह से कोई रिस्क नहीं लिया और लखनऊ बात कर वहीं भर्ती कराने पर अंतिम मुहर लगाई गई। जिला प्रशासन आजम और अब्दुल्ला को लखनऊ केजीएमयू में भर्ती कराना चाह रहा था, लेकिन आजम यहां भर्ती नहीं होना चाह रहे थे। जेलर आरएस यादव के मुताबिक, आजम केजीएमयू में खुद को सुरक्षित नहीं मान रहे थे। इसलिए वह मेदांता में भर्ती होना चाहते थे। पहले मेदांता में बात की गई, लेकिन वहां बेड की किल्लत थी। बड़ी मुश्किल से बेड की व्यवस्था होने के बाद यहां भर्ती कराया गया। सीओ सिटी पीयूष सिंह ने बताया कि आजम खां, अब्दुल्ला की सुरक्षा के लिए मेदांता में पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। उन्हें कोई समस्या न हो, इसलिए जिले से दो इंस्पेक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। ये इंस्पेेेक्टर शिफ्ट वाइज बदलते रहेंगे। इसके अलावा पुलिस लाइंस की एक गार्द भी मेदांता अस्पताल में तैनात की गई है।उधर, डीजी जेल ने बताया कि जिला कारागार सीतापुर में निरुद्ध विचाराधीन बंदी आजम खान पुत्र मुमताज खान तथा उनके पुत्र अब्दुल्लाह आजम खान को जिला स्तरीय चिकित्सकों की  टीम द्वारा दी गयी सलाह के आधार पर  कोविड के बेहतर उपचार के लिए रविवार शाम लगभग 18 :30 बजे  पुलिस अभिरक्षा में L3  चिकित्सालय मेदांता,  लखनऊ रवाना कर दिया गया है। 

गांवों और छोटे जिलों में में भी फैला कोरोना,लखनऊ मे 1436 पॉजिटिव मरीज,
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता)प्रदेश के पंचायतीराज विभाग की ओर से गांवों में चलाये जा रहे स्वच्छता, सैनिटाइजेशन और कोरोना संक्रमितों की पहचान के अभियान में बीते 24 घण्टों में राज्य के ग्रामीण इलाकों में कुल 5262 कोरोना पाजिटिव मरीज पाये गये। कुल 6589 लोग आइसोलेट किये गये। इस अवधि में कुल 54167 लोगों की कोरोना टेस्टिंग की गई। 16056 मेडिकल किट वितरित किये गये। बाहर से आए 3796 लोगों की पहचान की गई। राज्य में अब बाहर गांव आए कुल 195203 लोगों की पहचान की जा चुकी है। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह की देखरेख में चलाये जा रहे इस अभियान में 56987 राजस्व ग्रामों की सफाई की गई। 22842 गांवों का सैनिटाइजेशन करवाया गया। 11522 राजस्व ग्रामों में फागिंग करवायी गई। गांवों में स्वच्छता अभियान के लिए कुल 79119 कार्मिक सफाई और सैनिटाइजेशन के काम में लगाये गये हैं। कुल 22842 राजस्व ग्रामों में ब्लीचिंग पाउडर, सोडियम हाइपोक्लोराइड का छिड़काव करवाया गया। कोरोना संक्रमण बड़े जिलों के साथ ही अब छोटे जिलों में भी तेजी से पांव पसारने लगा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो एक माह में कोरोनों मरीजों की संख्या छोटे जिलों में 10 से 20 फीसदी तक बढ़ चुकी है। इसकी मुख्य वजह प्रवासियों को अपने जिलों में वापस आना माना जा रहा है। इसके साथ ही कुछ ऐसे जिले भी हैं, जहां आज भी मरीजों की संख्या 20 से 25 तक ही रोजाना है।कोरोना संक्रमण यूपी ही नहीं पूरे देश में कहर बनकर टूटा है। देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के बाद अन्य राज्यों की अपेक्षा यूपी में कोरोना संक्रमण कम है। प्रदेश के बड़े शहरों के बाद छोटे जिलों में कोरोना संक्रमण तेजी से पांव पसार रहा है। मरीजों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। एक माह पहले जहां 30 से 40 कोरोना मरीज मिल रहे थे, वहां आज 200 से 300 मरीज रोजना मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी कोरोना संक्रमण बुलेटिन के एक माह के आंकड़ों के अध्ययन के बाद यह जानकारी मिली है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक आठ अप्रैल को छोटे जिलों में काफी कम मरीज मिल रहे थे। प्रदेश के अमूमन सभी छोटे जिलों का यही हाल है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक छोटे जिलों में अचानक मरीजों की संख्या में वृद्धि की मुख्य वजह दूसरे प्रदेशों या फिर बड़े शहरों से लोगों का अपने घर वापसी है। इसीलिए एक माह के अंदर मरीजों की संख्या में भारी वद्धि हुई है। राज्य सरकार ने इलाज के इंतजाम किए हैं इसलिए धीरे-धीरे मरीजों की संख्या में कमी आएगी।

यूपी:17 मई सुबह 7 बजे तक के लिए बढ़ाया गया लॉकडाउन,
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता) यूपी में पिछले दो दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या में आई कमी के बाद प्रदेश सरकार कोई मौका नहीं लेना चाहती। यह देखते हुए सरकार ने प्रदेश में 17 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि यह आंशिक कोरोना कर्फ्यू की तरह होगा। इस दौरान सभी आवश्यक सेवाएं जारी रहेंगी। बता दें कि 29 अप्रैल को योगी सरकार ने प्रदेश में शुक्रवार शाम आठ बजे से मंगलवार सुबह सात बजे तक लॉकडाउन करने का निर्णय लिया था और फिर तीन मई को दो दिनों के लिए इसे और बढ़ा कर गुरुवार (6 मई) सुबह सात बजे तक कर दिया। इसके बाद 5 मई को इसकी मियाद सोमवार मतलब 10 मई सुबह सात बजे तक कर दी है। जिसके एक दिन पहले ही लॉकडाउन 17 मई सुबह सात बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया।

10 राज्यों में कोरोना से बिगड़े हालात, 71 फीसदी से ज्यादा नए मामले:केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि पिछले 24 घंटे में आए 4,03,738 मामलों में से 71.75 फीसदी, महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली समेत 10 राज्यों से हैं। सूची के अन्य 10 राज्यों में केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और हरियाणा हैं। मंत्रालय ने बताया कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 56,578 नए मरीजों की पुष्टि हुई है जिसके बाद कर्नाटक में 47,563 और केरल में 41,971 मामले मिले हैं।उसने बताया कि कुल 30.22 करोड़ नमूनों की जांच पूरे देश में की गई हैं जबकि दैनिक कोविड-19 संक्रमण दर 21.64 प्रतिशत है। भारत में इलाजरत मरीजों की संख्या 37,36,648 पहुंच गई है और यह कुल मामलों का 16.76 प्रतिशत है। 24 घंटे की अवधि में इलाजरत मरीजों की संख्या में 13,202 की कमी आई है।मंत्रालय ने बताया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश में देश के 82.94 प्रतिशत उपचाराधीन संक्रमित हैं। उसने कहा, ”राष्ट्रीय मृत्यु दर गिर रही है और यह फिलहाल 1.09 प्रतिशत है।” इसके अलावा, पिछले 24 घंटे में 4,092 मौतें हुई हैं। इनमें से 74.93 प्रतिशत मरीजों की मृत्यु 10 राज्यों में हुई हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 864 लोगों की जान गई है। इसके बाद कर्नाटक में 482 लोगों की मौत हुई है। मंत्रालय ने बताया कि 20 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 10 लाख की आबादी पर मृत्यु राष्ट्रीय औसत (176) से कम है जबकि 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह राष्ट्रीय स्तर से अधिक है। देश में अबतक कोविड रोधी टीके की 16.94 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं।
मंत्रालय ने कहा कि देश में दी गई टीके की कुल खुराकों का 66.78 प्रतिशत महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल, बिहार और आंध्र प्रदेश में ही दिया गया है। अठारह से 44 वर्ष की आयु समूह के 17,84,869 लोगों को टीके की पहली खुराक दी गई है। बीते 24 घंटे में 20 लाख से अधिक खुराकें दी गई हैं। भारत की कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने में विश्व समुदाय की मदद मिल रही है। मंत्रालय ने कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित कर रहा है कि वैश्विक सहायता प्रभावी रूप से और तेजी से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वितरित की जाए। उसने कहा कि अबतक 6608 ऑक्सीजन सांद्रक, 3856 ऑक्सीजन सिलेंडर, 14 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, 4330 वेंटिलेटर/बीआई पीएपी/सी पीएपी और तीन लाख से अधिक रेमडेसिविर की शीशियों की आपूर्ति की गई है या भेजी जा चुकी है।

दुनिया के सबसे मशहूर मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने की पीएम मोदी की आलोचना
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) दुनिया के सबसे मशहूर मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने अपने एक संपादकीय में पीएम मोदी की आलोचना करते हुए लिखा है कि उनका ध्यान ट्विटर पर अपनी आलोचना को दबाने पर ज़्यादा और कोविड – 19 महामारी पर काबू पाने पर कम है।जर्नल ने लिखा, “ऐसे मुश्किल समय में मोदी की अपनी आलोचना और खुली चर्चा को दबाने की कोशिश माफ़ी के काबिल नहीं है।”रिपोर्ट में कहा गया है कि इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के अनुमान के मुताबिक़ भारत में एक अगस्त तक कोरोना महामारी से होने वाली मौतों की संख्या 10 लाख तक पहुंच सकती है।लैंसेट के मुताबिक़ कोरोना के ख़िलाफ शुरुआती सफलता के बाद से सरकार की टास्क फ़ोर्स अप्रैल तक एक बार भी नहीं नहीं मिली।जर्नल के मुताबिक, “इस फ़ैसले का नतीजा हमारे सामने है। अब महामारी बढ़ रही है और भारत को नए सिरे से क़दम उठाने होंगे। इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार अपनी ग़लतियों को मानती है और देश को पारदर्शिता के साथ नेतृत्व देती है या नहीं।” जर्नल के मुताबिक़ वैज्ञानिक आधार पर पब्लिक हेल्थ से जुड़े क़दम उठाने होंगे. लैंसेट ने सुझाव दिया है कि जब तब टीकाकरण पूरी तेज़ी से नहीं शुरू होता, संक्रमण को रोकने के लिए हर ज़रूरी क़दम उठाने चाहिए।“जैसे जैसे मामले बढ़ रहे हैं, सरकार को समय पर सटीक डेटा उपलब्ध कराना चाहिए, हर 15 दिन पर लोगों को बताना चाहिए कि क्या हो रहा है और इस महामारी को कम करने के लिए क्या क़दम उठाने चाहिए. इसमें देशव्यापी लॉकडाउन की संभावना पर भी बात होनी चाहिए।”जर्नल के मुताबिक संक्रमण को बेहतर तरीक़े के समझने और फैलने से रोकने के लिए जीनोम सीक्वेंसींग को बढ़ावा देना होगा।“लोकल स्तर पर सरकारों ने संक्रमण रोकने के लिए क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं, लेकिन ये सुनिश्चित करना की लोग मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, भीड़ इकट्ठा न हो, क्वारंटीन और टेस्टिंग हो, इन सब में केंद्र सरकार की अहम भूमिका होती है। जर्नल में कहा गया है कि टीकाकरण अभियान में तेज़ी लाने की ज़रूरत है. अभी सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं वैक्सीन की सप्लाई को बढ़ाना और इसके लिए डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर बनाना जो कि ग़रीब और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को तक पहुंचे क्योंकि ये देश की 65 प्रतिशत आबादी हैं और इन तक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंचती।सरकार को लोकल और प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्रों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।जर्नल में भारत के अस्पतालों की मौजूदा स्थिति और स्वास्थ्य मंत्री के उस बयान का भी ज़िक्र किया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत महामारी के अंत की ओर जा रहा है।जर्नल के मुताबिक कुछ महीनों तक मामलों में कमी आने के बाद सरकार ने दिखाने की कोशिश की कि भारत ने कोविड को हरा दिया है. सरकार ने दूसरी लहर के ख़तरों और नए स्ट्रेन से जुड़ी चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया।संपादकीय के अनुसार, “चेतावनी के बावजूद सरकार ने धार्मिक आयोजन होने दिए जिनमें लाखों लोग जुटे, इसके अलावा चुनावी रैलियां भी हुईं।”

 

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