जन्नतुल बक़ी के पवित्र मजारों के पुनर्निर्माण के लिए ऑनलाइन प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराए,मौलाना सैयद कल्बे जावद की अपील,अंजुमन शमशीर ए हैदरी के प्रोग्राम मे तब्दीली

अंजुमन शमशीर ए हैदरी के सचिव एम ज़ेड हैदर ने बताया की अंजुमन शमशीर ए हैदरी की मीटिंग अंजुमन के अध्यक्ष ज़ामिन ज़ैदी की सदारत मे हुई बैठक मे निर्णय लिया गया है की रौज़ा फातमैन में जन्नतुल बकी के सिलसिले मे होने वाले कार्यक्रम मे कोरोना की वजह से बदलाव किया गया है। कोरोना गाइड लाइन के तहत तीन रोज़ 19 ,20,21 मई को मजलिस होगी पहली मजलिस को मौलाना जाफ़र अब्बास दूसरी को मौलाना अब्बास इरशाद और तीसरी मजलिस को मौलाना मोजिज़ अब्बास ज़ैदी ख़िताब करेगे तीनो मजलिस हुसैनी चैनल के माध्यम से देखाजा सकेगा


जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता) जन्नतुल बकी के विध्वंस के खिलाफ और पवित्र मजारो के पुनर्निर्माण के लिए इस बार भी 21 मई 2021 को ऑनलाइन प्रदर्शन किया जायेगा।मजलिस-ए-उलमा-ए- हिंद की जानिब से इस बात का एलान किया गया है। बताते चले की इस से पूर्व भी 2020 मे कोरोना की वजह से मजलिस-ए-उलमा-ए- हिंद के महासचिव वा प्रमुख शिया धर्मगुरुमौलाना सैयद कल्बे जावद नकवी के नेतृतव में राजधानी में न केवल प्रदर्शन किया गया था बल्कि जिला प्रशासन के माध्यम से ऑनलाइन ज्ञापन भी दिया गया था।मजलिस-ए-उलमा-ए- हिंद की जानिब से 2020 मे सोमवार को पड़ने वाले आठ शव्वाल को हाथों में पोस्टर लेकर ऑनलाइन प्रदर्शन किया गया था। बतादे की हर साल जन्नत उल बक़ी के पुनःनिर्माण के लिए प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलना कल्बे जवाद के नेतृतव में भारत मे सबसे बड़ा प्रदर्शन किया जाता है जिसमे बहोत बड़ी तादाद मे मुसलमान जमा होते हैं।

इस बार भी मौलाना मौसूफ़ ने हिंदुस्तान के तमाम उलमा से अपील की है बाज़याबी ए जन्नत उल बक़ी के लिए ज़रूर एहतेजाज करे। लेकिन कोरोना की वजह से ये एहतेजाज ऑनलाइन होगा। उन्होंने अपील की है की सभी उलमा धार्मिक और सामाजिक संगठन संयुक्त राष्ट्र और सऊदी अरब के दिल्ली स्थित दूतावास और स्थानीय प्रशासन को रसूल (सअ) की बेटी और उनके बेटो के मज़ार जन्नत उल बक़ी के पुनः निर्माण के लिए ज्ञापन दे और ऑनलाइन एहतेजाज करें। मौलना कल्बे जवाद ने कहा की इस साल पूरे देश में जन्नतुल बकी के विध्वंस दिवस की रैलियां रद्द कर दी गयी हैं। कोरोना वायरस की वजह से ये कदम उठाया गया मगर जंनतुल बकी के विध्वंस,सऊदी अरब केआतंकवाद के खिलाफ और पवित्र मजारों के पुनर्निर्माण के लिए ऑनलाइन प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया जायेगा।

मौलाना ने कहा कि सऊदी हुकूमत एक आतंकवादी राज्य है जिसने इजराइल और अमरीका की सरपरस्ती में पूरी दुनिया में आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। जंनतुल बकी में रसूल की बेटी हजरत फातिमा जहरा(स0अ0), अइम्माए मासूमीन और सालेहीन के मजार है जिन्हें सालों पहले आले सऊद ने ढाकर अपने आतंकवाद का सुबूत दिया था। हम आज भी आले सऊद के इस्लाम विरोधी कारनामों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है और मांग करते है कि जन्नतुल बकी के पुनः निर्माण की इजाजत दी जाए।याद रहे की मक्का और मदीना इस्लाम के दो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं।ऐसे स्थल जिनका उल्लेख क़ुरआन में किया गया है या जिन्हें संदर्भित किया जाता है, जिन्हें इस्लाम के लिए पवित्र माना जाता है। मक्का और मदीना इस्लाम के दो सबसे पवित्र शहर हैं,जो सभी संप्रदायों में सर्वसम्मति से हैं। इस्लामी परंपरा में, मक्का में काबा को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, इसके बाद मदीना में पैगंबर की मस्जिद के बाद अतिरिक्त,शिया में सबसे पवित्र स्थलों में से एक जन्नतुल बक़ी भी हैं। इस्लामी इतिहास के सबसे महत्पूर्ण पात्र यहीं जन्मे बसे और चल बसे इस लिए उनकी क़ब्रे यहीं हैं। बाद रसूल( सअ ) उनके परिवार पर शासकों किये गये अत्याचार की वजह से ही न तो उनकी बेटी को उनके पास दफ़न किये जा सका और अत्याचार की हद तो ये थी के जब उनकी बेटी के बेटे यानि उनके नवासे हज़रत इमाम हसन को देहांत के उपरांत जब रसूल( सअ )पास दफ़न किये जाने को लेजाया जा रहा था तो माविया ने इसका विरोध किया उनके जनाज़े को रोकने के लिए तीर चलाए गए जो उनके पाक शरीर पर जा लगे मजबूरन उनको भी वही जन्नतुल बक़ी मे दफ़न किया गया। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था ,प्रथम विश्वशुद्ध के समय टर्की के नेताओं ने जर्मनी का साथ दिया। इस युद्ध में अरबो की गद्दारी से टर्की पराजित हुए और सऊदी अरब जो पहले टर्की के हुकूमत का हिस्सा था नजदियों के हाथों चला गया। सऊद के कबीले ने 1924 में हिजाज़ पर क़ब्ज़ा कर लिया या 1925 यानि अगले वर्ष राजा इब्न सऊद द्वारा प्रदान किए गए धार्मिक प्राधिकरण के साथ मज़ारों को नष्ट करने की अनुमति दी गई क्योंकि ये बहाबी विचार धारा का शासन था इस लिए 1926 मे मज़ार ए फात्मा गिरा दिया गया। जनाबे फात्मा की क़ब्र पर एक गुम्बद बनाकर मज़ार ए मुकदस की शक्ल दी थी। वर्षो से इस का विरोध हो रहा है लेकिन सऊदी अरब अब तक सभी आलोचनाओं को नजरअंदाज करता रहा है और कब्रों  मकबरों की बहाली के किसी भी अनुरोध को खारिज करता रहा है

यूपी में 7,336 लखनऊ मे 493 नए मामले,29 की मौत

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) उत्तर प्रदेश भारत का पहला राज्य है जहां साढ़े चार करोड़ से ज्यादा कोरोना टेस्ट हो चुके हैं। मंगलवार को प्रदेश में  2 लाख 99 हजार 327 हुए टेस्ट किए गए। प्रदेश का रिकवरी रेट 91.40 फीसदी पहुंच गया है।कोरोना संक्रमित मरीजों के लगातार कम होते आंकड़ों के बीच एक अच्छी खबर है कि अब प्रदेश में कोरोना का रिकवरी रेट 91.40 फीसदी पहुंच गया है। यह यूपी सरकार की ट्रैस, टेस्ट और ट्रीट फॉर्मूले के बेहतर क्रियान्वयन का नतीजा है।उत्तर प्रदेश भारत का पहला राज्य है जहां साढ़े चार करोड़ से ज्यादा कोरोना टेस्ट हो चुके हैं। मंगलवार को प्रदेश में  2 लाख 99 हजार 327 हुए टेस्ट किए गए। प्रदेश सरकार का दावा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हर रोज दो लाख टेस्ट किए जा रहे हैं। यूपी में पॉजिटिविटी रेट 22 प्रतिशत से घटकर 2.45 प्रतिशत पर आ गया है। प्रदेश में एक लाख 86 हजार सक्रिय मामलों की संख्या घटी है। बड़ी राहत की बात है कि प्रदेश के 47 जिलों में कोविड मामलों का आंकड़ा डबल डिजिट में जबकि चार जिलों में सिंगल डिजिट में पहुंच गया है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बीते 24 घंटो में राज्य में कोरोना संक्रमण के कुल 7,336 मामले आए हैं। यह संख्या 24 अप्रैल को आए 38055 मामलों से लगभग 30 हजार कम है। पिछले 24 घंटों में 19,669 संक्रमित व्यक्ति उपचार के बाद डिस्चार्ज हुए हैं।वर्तमान में राज्य में कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या 1,23,579 है, जो 30 अप्रैल, 2021 की अधिकतम एक्टिव मामलों की संख्या 3,10,783 से 1.87 लाख कम है। इस प्रकार 30 अप्रैल के सापेक्ष वर्तमान में अधिकतम एक्टिव मामलों की संख्या में 69 फीसदी की कमी आई है।  बता दें कि बीते 24 घंटे में यूपी में कोरोना के 7336 नए संक्रमित मिले हैं जबकि 19669 अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर गए हैं। वहीं, 282 लोगों की मौत हुई है।

मस्जिद

बाराबंकी में मस्जिद गिराने का मामला
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले में प्रशासन की ओर से गिराई गई जिस मस्जिद को ज़िला प्रशासन अवैध निर्माण बता रहा है, सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के दस्तावेज़ों में वो पिछले छह दशक से ‘तहसील वाली मस्जिद’ के तौर पर दर्ज है।मस्जिद के प्रबंधकों का दावा है कि मस्जिद इससे कहीं ज़्यादा पुरानी है।उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने हाई कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद प्रशासन की इस कार्रवाई को अवैध बताया है और इसे हाई कोर्ट में चुनौती देने का फ़ैसला किया है। बाराबंकी ज़िले के रामसनेही घाट में तहसील परिसर में मौजूद ग़रीब नवाज़ मस्जिद, जिसे तहसील वाली मस्जिद भी कहा जाता है, को ज़िला प्रशासन ने ‘अवैध निर्माण’ बताते हुए सोमवार को रात में बुलडोज़र से गिरा दिया।रामसनेही घाट तहसील परिसर में एसडीएम आवास के सामने स्थित यह मस्जिद वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति के तौर पर दर्ज है और मस्जिद के प्रबंधकों का कहना है कि इसे लेकर कभी कोई विवाद भी नहीं हुआ है।हालांकि बाराबंकी के ज़िलाधिकारी आदर्श सिंह कहते है कि इस संबंध में संबंधित लोगों को 15 मार्च को ही नोटिस दिया जा चुका था और प्रशासन इसे अपने क़ब्ज़े में भी ले चुका था।डीएम बाराबंकी के ट्विटर हैंडल पर पढ़े गए उनके बयान के मुताबिक़, “तहसील आवासीय परिसर में निर्मित अवैध परिसर के संदर्भ में संबंधित पक्षकारों को 15 मार्च को नोटिस भेजकर स्वामित्व के संदर्भ में सुनवाई का अवसर दिया गया था. नोटिस तामील होते ही परिसर में रह रहे लोग परिसर छोड़कर फ़रार हो गए थे. तहसील परिसर की सुरक्षा की दृष्टि से तहसील प्रशासन की टीम द्वारा 18 मार्च को क़ब्ज़ा प्राप्त कर लिया गया था।”माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ द्वारा 2 अप्रैल को इस संबंध में दायर एक याचिका का निपटारा किया जिससे साबित होता है कि यह निर्माण अवैध है. इस आधार पर एसडीएम रामसनेही घाट की कोर्ट में वाद पेश किया गया और फिर उसके आदेश का अनुपालन 17 मई को करा दिया गया।मार्च में दिए गए नोटिस के ख़िलाफ़ मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जो अभी भी वहाँ लंबित है।यही नहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 24 अप्रैल 2021 को एक याचिका की सुनवाई करते हुए सरकारी संपत्तियों पर बने किसी भी धार्मिक निर्माण पर कोविड महामारी को देखते हुए 31 मई तक किसी तरह की कार्रवाई न करने का आदेश दिया था।उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष ज़फ़र अहमद फ़ारूक़ी कहते हैं कि मस्जिद को गिराना सीधे तौर पर हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना है और बोर्ड इसे जल्द ही हाई कोर्ट में चुनौती देगा.ज़फ़र अहमद फ़ारूक़ी कहते हैं, “स्थानीय प्रशासन की हठधर्मिता के अलावा मस्जिद को गिराए जाने का कोई और कारण समझ में नहीं आता है. चूँकि एसडीएम के आवास के ठीक सामने थी मस्जिद और शायद उन्हें यह बात पसंद नहीं थी क्योंकि और कोई वजह तो लग नहीं रही।

सऊदी अरब और ईरान में बातचीत की शुरुआत


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) जब पिछले हफ़्ते दुनिया भर की नज़रें इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच हो रहे हिंसक संघर्ष पर टिकी हुईं थीं, ठीक उसी समय मध्य-पूर्व में एक और बड़ी घटना घट रही थी।और वो यह कि मध्य-पूर्व के दूसरे दो विरोधियों के बीच राजनयिक रिश्तों में बेहतरी हो रही थी।10 मई को ईरान की सरकार ने पहली बार आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्टि कर दी कि वो अपने अब तक के धुर विरोधी सऊदी अरब से बातचीत कर रहा है। क़रीब चालीस सालों तक दोनों देश अपने क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखने के लिए एक दूसरे से मुक़ाबला करते रहे और मुस्लिम दुनिया पर इस्लाम की अपनी-अपनी शाखा की विचारधारा को थोपने की कोशिश करते रहे।सऊदी अरब और ईरान एक लंबे समय से एक दूसरे का विरोध करते रहें हैं, जिसे कुछ विशेषज्ञ मध्य-पूर्व में एक नए शीत-युद्ध का नाम देते हैं. ईरान और सऊदी अरब यमन, लेबनान और सीरिया में चल रहे गृह-युद्ध में अपने-अपने गुटों को समर्थन देते आए हैं।

 

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