सिर्फ 310 कोरोना केस मिले, 2.38 करोड़ लोगों का हो चुका वैक्सीनेशन 
प्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार कम हो रहा है। बीते 24 घंटे में कोरोना के 310 नए मरीज मिले हैं। अब प्रदेश में कुल छह हजार से भी कम एक्टिव केस हैं। बीते 24 घंटे में 2,83,000 कोविड सैंपल की जांच की गई। इस तरह अब तक पांच करोड़ से ज्यादा सैंपल की जांच हो चुकी है। अब तक यूपी में 2.38 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है। उधर, यूपी से आधी आबादी वाले महाराष्ट्र में कल 6900, तमिलनाडु में 14000 केस आए।

बसपा विधायकों की अखिलेश से मुलाकात पर मायावती का पलटवार, बोलीं- सपा का चाल, चरित्र और चेहरा दलित विरोधी
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता) बसपा के विधायकों की समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात पर पलटवार करते हुए पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती ने सपा पर घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया है। मायावती ने बुधवार को एक के बाद एक कई ट्वीट कर बसपा में टूट की आशंका वाली खबरों का खंडन किया।उन्‍होंने कहा कि सपा का चाल, चरित्र और चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है। यह जगजाहिर है। बसपा के निलंबित विधायकों से मिलने का मीडिया में प्रचार करने के लिए सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है। अपने ट्वीट में मायावती ने लिखा कि-घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं घोर छलावा है। एक अन्‍य ट्वीट में उन्‍होंने लिखा कि जबकि उन्हें काफी पहले ही सपा व एक उद्योगपति से मिलीभगत के कारण राज्यसभा के चुनाव में एक दलित के बेटे को हराने के आराप में बीएसपी से निलम्बित किया जा चुका है। सपा में अगर इन निलंबित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती। क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत और फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं। उन्‍होंने कहा कि जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं है। इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बंद किया। खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय है।

ग़ाज़ियाबाद में बुज़ुर्ग के वायरल वीडियो मामले में ट्विटर और पत्रकारों पर मुक़दमा,


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई के मामले में ट्विटर और कई पत्रकारों पर एफ़आईआर दर्ज कर मामले की जाँच कर रही है। वीडियो एडिट करने वाले व्यक्ति और वीडियो वायरल करने वाले लोगों पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंगलवार को दर्ज मुक़दमे में ट्विटर, ट्विटर कम्यूनिकेसंश इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर, पत्रकार राना अय्यूब, समाचार वेब पोर्टल द वायर, पत्रकार सबा नक़वी, कांग्रेस नेता मस्कूर उस्मानी, कांग्रेस नेता सलमान निज़ामी और कांग्रेस नेता डॉ. शमा मोहम्मद को अभियुक्त बनाया है। ये मुक़दमा एक एडिटेड वीडियो को वायरल करने के संबंध में दर्ज किया गया है। इस वीडियो में पीड़ित बुजुर्ग की पिटाई होती दिख रही है। पुलिस ने ये एफ़आईआर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153,153ए, 295ए, 505, 120बी और 34 के तहत की है. पुलिस इंस्पेक्टर नरेश सिंह की शिकायत पर ये मुक़दमा दर्ज किया गया है।बुजुर्ग से पिटाई के मामले में ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने तीन अभियुक्तों- परवेश गुर्जर, कल्लू और आदिल को गिरफ़्तार किया है, जबकि अन्य की तलाश की जा रही है।एक वायरल वीडियो में पीड़ित बुजुर्ग समद सैफ़ी ने दावा किया था कि उन्हें ऑटो सवार कुछ लोगों ने अगवा किया, उनकी पिटाई की, दाढ़ी काट दी और जय श्री राम का धार्मिक नारा लगाने के लिए मजबूर किया। ये घटना पाँच जून की है। 7 जून को स्थानीय समावजादी पार्टी नेता इदरीश पहलवान के साथ किए एक फ़ेसबुक लाइव वीडियो में बुजुर्ग ने कहा था कि वो पीटने वाले युवकों को नहीं जानते हैं। बुजुर्ग की पिटाई का एक और वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें एक युवक बुजुर्ग की दाढ़ी काटता दिख रहा है, हालाँकि इस वीडियो में आवाज़ नहीं है। वहीं ग़ाज़ियाबाद पुलिस का कहना है कि जाँच के बाद पता चला है कि पीड़ित बुजुर्ग मारपीट करने वाले अभियुक्तों को पहले से जानते थे। पुलिस ने बयान में कहा है कि अब्दुल समद ताबीज़ बनाने का काम करते हैं और अभियुक्तों को पहले से जानते हैं और मुख्य अभियुक्त परवेश को ताबीज़ भी बना कर दिया था। वहीं ट्विटर का कहना है कि अभी उसे इस बारे में जानकारी नहीं है। भारत में ट्विटर की एक प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, “ट्विटर आपराधिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता है। अभी हमें इस बारे में जानकारी नहीं है। एफ़आईआर में शिकायतकर्ता पुलिस अधिकारी की तरफ़ से कहा गया है, “उक्त लोगों ने घटना की सत्यता को जाँचे बिना घटना को सांप्रदायिक रंग दे दिया और लोक शांति को अस्त-व्यस्त करने और धार्मिक समूहों के बीच विभाजन के उद्देश्य से वीडियो प्रचारित प्रसारित किया गया। पुलिस इस वीडियो को वायरल किए जाने के पीछे आपराधिक षडयंत्र की भी जाँच कर रही है। ट्विटर एक सोशल मीडिया कंपनी है, जिसे आईटी एक्ट के तहत भारत में क़ानूनी कार्रवाई से सुरक्षा प्राप्त थी। लेकिन भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़ भारत सरकार ने ट्विटर से सुरक्षा वापस ले ली है। सरकार ने नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में ग्रीवांस अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा था. सरकार का तर्क है कि अभी तक ट्विटर ने ऐसा नहीं किया है। हालाँकि ट्विटर का कहना है कि उसे इस बारे में भारत सरकार की तरफ़ से कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है। ट्विटर की प्रवक्ता ने बीबीसी से कहा है, “अभी इस संबंध में हमें भारत सरकार की तरफ़ से कोई नोटिस नहीं मिला है. ट्विटर भारत में कंप्लायेंस अधिकारी नियुक्त कर चुका है।”आईटी एक्ट के तहत मिली सुरक्षा हटने के बाद ट्विटर का इंटरमीडियरी प्लेटफ़ॉर्म होने का दर्जा समाप्त हो जाएगा और फिर ट्विटर पर प्रकाशित हर सामग्री के लिए उसकी आपराधिक ज़िम्मेदारी तय की जा सकेगी। एफ़आईआर में यूपी पुलिस की तरफ़ से कहा गया है कि ट्विटर से संबंधित वीडियो हटाने को कहा गया था, लेकिन इस दिशा में कंपनी ने कोई क़दम नहीं उठाया। वहीं भारत सरकार के सूचना प्राद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है कि ट्विटर को अपना पक्ष रखने के पर्याप्त मौक़े दिए गए थे, लेकिन ट्विटर ने अभी तक सरकार के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है. ये दिशानिर्देश 26 मई को प्रभावी हो गए थे।रविशंकर प्रसाद ने कहा है, “भारत की संस्कृति उसके विशाल भूगोल की तरह भिन्न है। कई मामलों में सोशल मीडिया पर प्रसार की वजह से छोटी सी चिनगारी से आग लगा सकती है, ख़ासकर फ़ेक न्यूज़ के ख़तरे के कारण. इंटरमीडियरी गाइडलाइंस लाने की एक वजह ये भी थी। उत्तर प्रदेश की घटना का ज़िक्र करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यूपी में जो हुआ है वह फ़र्ज़ी ख़बरों से लड़ने में ट्विटर की मनमानी का उदाहरण है। ट्विटर अपने फ़ैक्ट चैक तंत्र के बारे में अति उत्साही रहा है, लेकिन यह यूपी जैसे कई मामलों में कार्रवाई करने में विफल रहा है और ग़लत सूचना से लड़ने में इसकी असंगति को दर्शाता है। जाँच अधिकारी अखिलेश कुमार मिश्र ने कहा है कि वीडियो वायरल करने के संबंध में दर्ज किए गए मुकदमें में अभियुक्तों से पूछताछ की जाएगी और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें गिरफ़्तार भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मुक़दमे की सूचना अभियुक्तों को दी गई है और यूपी पुलिस की टीमें उन तक पहुँचने की कोशिश कर रही हैं। पत्रकारों और ट्विटर पर धार्मिक उन्माद भड़काने और आपराधिक षडयंत्र रचने का मुक़दमा दर्ज किया गया है। हालाँकि एफ़आईआर दर्ज होने के बाद पत्रकार मोहम्मद जुबैर ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है। राना अय्यूब ने भी अपना ट्वीट डिलीट कर लिया है और ट्विटर पर कहा है, “मैंने अब्दुल पर हमले के बारे में जो ट्वीट किए थे, वो एक वीडियो और कई न्यूज़ रिपोर्टों पर आधारित थे, ये रिपोर्टें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित हुई थीं।राना अय्यूब ने कहा, “जहाँ तक पुलिस जाँच का सवाल है, इसमें दूसरा नेरेटिव पेश किया गया है, मैं सच के सामने आने का इंतज़ार करूँगी। मैं ऐसी ख़बरें साझा करती हूँ, जो सच दिखाती हैं और इससे समाज में शांति और सौहार्द को बढ़ावा मिलता है। मैं पीड़ित को न्याय मिलने का इंतज़ार करूँगी।”

बाराबंकी में पुलिस के हत्थे चढ़ा 25 हजार का इनामी,शहर कोतवाल पंकज सिंह ने सर्विलांस टीम के साथ किया गिरफ्तार


जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता)उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के जुड़े फर्जी एम्बुलेंस मामले में वांछित 25 हजार के इनामी आनंद यादव को पुलिस ने बुधवार को क्षेत्र के फैजाबाद रोड से गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में दो आरोपी अभी तक फरार चल रहे हैं। पुलिस ने बताया कि मामले में तीन आरोपी पहले से ही जेल जा चुके हैं।बता दें कि बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी द्वारा पंजाब करो पर जेल में जो एंबुलेंस प्रयोग की जा रही थी उसका पंजीकरण बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय में फर्जी दस्तावेज के आधार पर किया गया था। इस मामले में बीते 2 अप्रैल को शहर में केस दर्ज हुआ था। जिसमें मुख्तार अंसारी समेत मऊ जिले की डॉ अलका राय समेत छह लोग आरोपी थे।इस मामले में पुलिस को फरार अभियुक्तों की तलाश थी। शहर कोतवाल पंकज सिंह व सर्विलांस टीम के साथ मामले में गठित एसआईटी ने बुधवार को नामजद इनामी अभियुक्त आनंद यादव को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में तीन आरोपी पहले से ही जेल जा चुके हैं, जबकि फरार तीन आरोपी आनंद यादव, मुजाहिद ,शाहिद के खिलाफ एसपी यमुना प्रसाद ने ₹25000 का इनाम घोषित किया था। इनमें एक आरोपी आनंद यादव को शहर कोतवाली पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है। एसपी ने बताया कि इस मामले के फरार अन्य आरोपियों की भी पुलिस तलाश कर रही है।एसपी यमुना प्रसाद ने बताया कि आरोपी आनंद यादव जब एंबुलेंस मामला सुर्खियों में आया था तो शाहीद व मुजाहिद के साथ डॉ अलका राय के घर गया था। वहां पर इन लोगों ने एक ऑडियो क्लिप डॉक्टर को दी थी। इसमें बताया था कि यदि पुलिस और मीडिया इस मामले के बारे में पूछते हैं तो उनको क्या बताना है। यह भी आरोपियों ने डॉ अलका राय को बताया था कि पुलिस में मीडिया को बताया जाए कि मुख्तार अंसारी की पत्नी बीमार थी जिसके चलते उन्हें एंबुलेंस की जरूरत थी इसी के लिए यह एंबुलेंस लेकर वह पंजाब जेल गए थे।एसपी ने बताया कि इस एंबुलेंस से असलहा भी ढोये गए हैं। इसके अलावा एंबुलेंस को जिन लोगों ने चलाया है और इस मामले में कई अन्य लोगों के नाम सामने आ रहे हैं । जितने भी लोग इस मामले में संदिग्ध मिल रहे हैं और उनके नाम उजागर हो रहे हैं उनके खिलाफ केस दर्ज कर कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही है  अब ऐसे में इस मामले में कई अन्य नाम भी सामने आ सकते हैं।

इजरायल ने हमास पर फिर किए ताबड़तोड़ हवाई हमले, टूटा सीजफायर


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) पिछले महीने 11 दिनों तक इजरायल-हमास के बीच चले खून संघर्ष को सीजफायर का ऐलान कर बंद किया गया था। लेकिन एक बार फिर इजरायल और फिलिस्तीन आमने-सामने हैं। इजरायल ने एक बार फिर गाजा पट्टी पर हवाई हमले किए हैं। दरअसल, गाजा ने दक्षिणी इजरायल में विस्फोटक से भरे गुब्बारे छोड़े, जिसके बाद संघर्ष विराम तोड़ते हुए इजराइट ने भी हवाई हमले किए। अगर यह मामला बढ़ता है तो इजरायल की नई बेनेट सरकार के लिए यह पहली परीक्षा होगी। बता दें कि इससे पहले पूर्वी यरूशलम में नंगलवार को इजरायली धुर दक्षिणपंथियों ने मार्च निकाला था, जिसे गाजा उकसावे वाली कार्रवाई मान रहा है। इजरायली सेना का कहना है कि उसने हमास के इलाकों में हवाई हमले किए और अब वह इसके बाद हर स्थिति का सामना करने को तैयार हैं। इजरायल ने गाजा के खान यूनिस शहर में मिसाइलें दागी थीं। इससे पहले इजरालयी सेना के प्रवक्ता ने कहा था कि विस्फोटक से भरे गुब्बारे गाजा पट्टी की तरफ से इजरायल को निशाना बनाकर छोड़े गए थे। 21 मई को ही इजरायल और गाजा के बीच सीजफायर का ऐलान हुआ था। इससे पहले दोनों के बीच 11 दिनों तक रॉकेट, मिसाइलों से हमले होते रहे थे। गाजा ने बताया था कि इन हमलों में 253 फिलिस्तीनी मारे गए, जिनमें से 66 बच्चे थे। वहीं, हमलों में 13 इजरायलियों की भी जान गई, जिनमें एक 5 साल का बच्चा और एक सैनिक शामिल थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here