रेणु से आयशा बनी युवती को सुरक्षा दीए जाने का दिल्ली पुलिस को हाईकोर्ट का दिया निर्देश
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वेच्छा से इस्लाम धर्म कबूल करने वाली युवती को सुरक्षा देने का दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है। युवती ने दावा किया कि स्वेच्छा से हिंदू से इस्लाम धर्मांतरण करने के बाद से यूपी पुलिस, मीडिया और कुछ समूह उसके पीछे पड़ें हैं। शाहजहांपुर की युवती की तरफ से दायर याचिका में बताया गया कि रेणु गंगवार से आयशा अल्वी बनने वाली युवती को धर्म परिवर्तन करने के बाद से परेशान किया जा रहा है।न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने मामले की सुनवाई नियमित पीठ द्वारा किए जाने तक दिल्ली पुलिस से युवती की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता युवती है और उसने अपनी सुरक्षा के संबंध में आशंकाएं व्यक्त की हैं।अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि पांच जुलाई को नियमित पीठ द्वारा मामले की सुनवाई किए जाने तक दिल्ली पुलिस आयुक्त और जामिया नगर थाने के एसएचओ को युवती की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएं।किस तरह सुरक्षा दी जाएगी यह दिल्ली पुलिस पर छोड़ते हुए अदालत ने साफ किया कि वह याचिका में कही गई बातों के सही होने पर कोई नजरिया जाहिर नहीं कर रही है। अदालत ने कहा कि वह फिलहाल याचिका पर नोटिस जारी नहीं कर रही है और मामले को नियमित पीठ देखेगी।सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे समीर वशिष्ठ ने कहा कि युवती याचिका में दिए गए पते पर नहीं मिली और यहां तक कि उनका मोबाइल फोन भी बंद था। इस वजह से पुलिस अधिकारी उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे। युवती की वकील तान्य अग्रवाल ने कहा कि आशंकाओं के कारण, उन्हें बार-बार अपना आवास बदलना पड़ा है। वकील ने कहा कि वह अपना वर्तमान पता पुलिस के वकील को ईमेल करेंगी।उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले की निवासी और दिल्ली में काम करने वाली युवती ने अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा के साथ-साथ निजता के अधिकार का भी आग्रह किया है। इस युवती ने अपनी याचिका में कहा है कि धर्म परिवर्तन के कारण उनके और उनके परिवार को निशाना बनाया जा रहा है और मीडिया में उसके बारे में दुर्भावनापूर्ण सामग्री छापी जा रही है। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। वकील कमलेश कुमार मिश्रा और नितिन कुमार नायक के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता वयस्क हैं और संविधान उन्हें अपना धर्म चुनने का अधिकार देता है। वह जिस धर्म को मानने का, चुनने का निर्णय लेती है उसके लिए उन्हें प्रताड़ित नहीं किया जा सकता, उन्हें निशाना नहीं बनाया जा सकता। याचिका के अनुसार रेणु गंगवार उर्फ आयशा अल्वी ने 27 मई को दिल्ली में इस्लाम धर्म अपना लिया था और 23 जून से, जब वह शाहजहांपुर में थी उनके पास मीडियाकर्मियों के फोन आने लगे। इनमें उनसे मिलने का अनुरोध किया गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया।युवती ने कहा कि उनकी इजाजत के बगैर मीडियाकर्मी उनके घर आ गए और उनकी तस्वीरें, वीडियो लेने लगे और उन्हें धमकी भरे फोन भी आने लगे कि धर्म परिवर्तन की खबर मीडिया में छापी जाएंगी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उनसे पैसे भी मांगे गए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इसके बाद उनमें से एक ने उनसे जबरदस्ती 20,000 रुपये ले लिए जबकि अन्य ने भी उनसे तथा उनके परिवार से पैसे उगाहने की कोशिश की। याचिका में कहा गया कि उनके धर्म परिवर्तन के बारे में मीडिया में अनर्गल तथा काल्पनिक जानकारियां दी जा रही हैं।महिला ने याचिका में कहा कि 24 जून को उन्होंने दिल्ली पुलिस आयुक्त से भी इसकी शिकायत की थी और सुरक्षा की मांग की थी। याचिका में दिल्ली पुलिस आयुक्त, जामिया नगर थाने के एसएचओ, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश सरकार को पक्षकार बनाया गया है।

अच्छा बर्ताव करने वाले अपहरणकर्ता को उम्र कैद नहीं दे सकते:सुप्रीम कोर्ट
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) सुप्रीम कोर्ट ने अपहरण के मामले को लेकर एक बेहद अहम फैसला सुनाया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यदि अपहृत व्यक्ति के साथ अपहरणकर्ता ने मारपीट नहीं की, उसे जान से मारने की धमकी नहीं दी और उसके साथ अच्छा बर्ताव किया तो अपहरण करने वाले व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 364ए के तहत आजीवन कारावास की सजा नहीं दी जा सकती है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा अपहरण के एक मामले में आरोपी एक ऑटो चालक को दोषी ठहराने का फैसला रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। ऑटो चालक ने एक नाबालिग का अपहरण किया था और उसके पिता से दो लाख रुपये की फिरौती मांगी थी।
न्यायालय ने कहा कि धारा 364ए (अपहरण एवं फिरौती) के तहत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा तीन बातों को साबित करना आवश्यक है। उसने कहा कि ये तीन बातें हैं- किसी व्यक्ति का अपहरण करना या उसे बंधक बनाकर रखना, अपहृत को जान से मारने की धमकी देना या मारपीट करना, अपहरणकर्ता द्वारा ऐसा कुछ करना जिससे ये आशंका बलवती होती हो कि सरकार, किसी अन्य देश, किसी सरकारी संगठन पर दबाव बनाने या किसी अन्य व्यक्ति पर फिरौती के लिए दबाव डालने के लिए पीड़ित को नुकसान पहुंचाया जा सकता है या मारा जा सकता है।धारा 364ए के तहत आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा का जिक्र करते हुए न्यायालय ने कहा कि पहली स्थिति के अलावा दूसरी या तीसरी स्थिति भी साबित करनी होगीअन्यथा इस धारा के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता।शीर्ष अदालत तेलंगाना निवासी शेख अहमद की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है। उच्च न्यायालय ने दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अहमद की याचिका खारिज कर दी थी और उसे भादंसं की धारा 364ए के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।ऑटो चालक अहमद ने सेंट मैरी हाईस्कूल के छठी कक्षा के छात्र को उसके घर छोड़ने के बहाने अगवा कर लिया था। जब बच्चे का पिता फिरौती देने गया था उसी समय पुलिस ने बच्चे को छुड़ा लिया था। यह घटना 2011 की है और तब पीड़ित की उम्र 13 वर्ष थी। पीड़ित के पिता ने निचली अदालत को बताया था कि अपहरणकर्ता ने लड़के को कभी भी नुकसान पहुंचाने या जान से मारने की धमकी नहीं दी थी। शीर्ष अदालत ने अहमद को धारा 364ए के तहत दोषी ठहराने का फैसला रद्द कर दिया। उसने कहा कि अपहरण का अपराध साबित हुआ है और अपीलकर्ता को धारा 363 (अपहरण का दंड) के तहत सजा दी जानी चाहिए, जिसमें सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्ता को सात साल के कारावास और पांच हजार रूपये के जुर्माने की सजा दी जानी चाहिए।

राकेश टिकैत बोले- पीछे हटना हमारी डिक्शनरी में नहीं


जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता) दिल्ली-गाजियाबाद के गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले कई महीनों से धरने पर बैठे किसानों से राकेश टिकैत ने कहा कि हम पीछे नहीं हटने वाले हैं । पीछे हटना हमारी डिक्शनरी में नहीं है । जिस तरह फौजें मोर्चे पर होती हैं तो गोली खाती हैं उसी तरह हम भी मोर्चे पर हैं और लड़ रहे हैं । आंदोलन को आम जनता की भावनाएं आगे बढ़ा रही हैं। यह एक वैचारिक क्रांति है। जहां वैचारिक क्रांति आई है उसने परिवर्तन किए हैं। विचार से बड़ा कोई हथियार नहीं है। इस समय देश पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। इनको देश की जनता, व्यापारी, किसान और मजदूरों से कोई लेना देना नहीं है। हैरानी की बात है कि किसान देश की राजधानी को घेर कर बैठे हैं और सरकार बात ही नहीं कर रही है। किसान भी पीछे नहीं हटेगा ।गाजीपुर बार्डर पर बुधवार को भाजपा कार्यकर्ताओं और किसानों के बीच भिड़ंत हाे गई थी। इसके बाद राकेश टिकैत का गुस्‍सा भड़क गया। उन्‍होंने चेतावनी देने के लहजे में कहा था कि यहां कोई मंच पर कब्जा करने की कोशिश करेगा तो बक्कल उधेड़ देंगे। ये लोग फिर प्रदेश में कहीं नज़र नहीं आएंगे। टिकैत बोले कि वे (बीजेपी समर्थक) यहां आकर अपने किसी नेता का स्‍वागत करना चाह रहे थे। यह कैसे हो सकता है। यह मंच किसानों का है। किसान संयुक्‍त मोर्चे के बैनर तले एकजुट हैं। यदि किसी को यहां आना है तो भाजपा छोड़कर आ जाए। मोर्चे में शामिल हो जाए। उन्‍होंने कहा किे यहां यह दिखाने की कोशिश की गई कि हमने गाजीपुर के मंच पर भाजपा का झंडा फहरा दिया। यह बिल्‍कुल गलत बात है। ऐसे लोगों के बक्‍कल उधेड़ देंगे। किसान नेता ने पुलिस पर भी गड़बड़ी फैलाने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। कहा कि बीजेपी कार्यकर्ता पिछले तीन दिन से आ रहे हैं। पुलिस उन्हें संरक्षण दे रही है। पुलिस गुंडई छोड़ दे। बीजेपी की वर्कर न बने। यह सारा कुछ पुलिस की मौजूदगी में हुआ है।

वाराणसी सिटी समेत पूर्वोत्तर रेलवे के 14 स्टेशनों पर पूछताछ केंद्र निजी हाथों में
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता) पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के ए-1, ए, बी व डी श्रेणी के स्टेशनों पर पूछताछ केंद्र निजी हाथों में सौंप दिये गए हैं। अब यहां रेलवे की जगह ठेका कंपनी के कर्मचारियों की आवाज गूंजेगी। ट्रेनों की सूचना प्रसारण और प्लेटफॉर्म पर गाइडेंस सिस्टम की फीडिंग के कार्यों के बाद अब पूछताछ केंद्र को भी निजी हाथों में सौंप दिया गया है। जो यात्रियों को ट्रेन के आवागमन की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएंगे। एक जुलाई से नई व्यवस्था लागू करने से पहले निजी कंपनी के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया। बुधवार को मंडल के कुछ स्टेशनों पर ट्रायल भी लिया गया। मंडुआडीह और वाराणसी सिटी स्टेशन समेत मंडल के सभी 14 स्टेशनों पर पूछताछ केंद्र की कमान पटना के वेबटेक इंटरनेशन लिमिटेड को सौंपी गई है। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने कंपनी से तीन वर्षो का अनुबंध (1जुलाई2021 से 30 जून 2024) किया है। कंपनी के प्रतिनिधियों की निगरानी रेलवे के सक्षम अधिकारी करेंगे। पूछताछ केंद्र पर ड्यूटी पहले जैसे तीन शिफ्तो में ही लगाई जाएगी। मंडुआडीह स्टेशन के प्रथम और द्वितीय प्रवेशद्वार के काउंटरों पर दो-दो कर्मचारी लगाए जाएंगे। वाराणसी सीटी स्टेशन पर तीन शिफ्टो में एक- एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई जाएगी। क्रीम पैंट और स्काई ब्लू कलर की शर्ट ड्रेस कोड निर्धारित की गई है। ए -1, ए, बी और डी श्रेणी के स्टेशन पर नए चेहरे नजर आएंगे।पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने दावा किया कि इस कदम के पीछे कर्मचारियों की कमी बड़ी वजह है। पीए (पब्लिक एड्रेस सिस्टम) और पूछताछ केंद्र चलाने के लिए दूसरे विभाग के कर्मचारियो की ड्यूटी लगाई जाती थी। यात्री सुविधाओं का ख्याल रखते हुए इस तरह के बदलाव की कवायद हुई है। इस बाबत गत वर्ष 2019-2020 में टेंडर जारी किया गया था। तीन कंपनियों ने रुचि दिखाई थी। लेकिन कोविड-19 के चलते प्रक्रिया अधूरी रह गई। निजी एजेंसी का चुनाव करने के बाद टेंडर फाइनल कर दिया गया।

केजरीवाल मामले मे दिल्ली पुलिस को सुप्रीम फटकार


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट वाली याचिका को खारिज कर दिया है, शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि इसमें कुछ ऐसा नहीं है जिसपर कोई फैसला सुनाया जा सके।  सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर कथित हमले के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को गवाह का बयान मुहैया कराने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से  कहा, ‘यह आपके लिए एक राजनीतिक का मसला हो सकता है, लेकिन कानूनी रूप से इसमें कुछ भी नहीं है।’दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दायर की थी, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों के नाम शामिल थे।तीन साल पहले दिल्ली सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित तौर पर मुख्यमंत्री निवास पर ‘आप’ के कुछ विधायकों द्वारा मारपीट करने का आरोप है। इस मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री सिसोदिया समेत पार्टी के 9 अन्य विधायकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। अक्टूबर 2018 में अदालत ने सभी को जमानत दे दी थी।

मौलवी ग़ुलामहुसैन मोहसेनी ईरानी न्यायपालिका के नये प्रमुख

जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता)ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामनेई ने गुरुवार को मौलवी ग़ुलामहुसैन मोहसेनी को न्यायपालिका का नया प्रमुख नियुक्त किया है।ईरान में न्यायपालिका इस्लामिक क़ानूनों को लागू करती है वह लंबे समय से न्यायिक अधिकारी हैं और पूर्व में ख़ुफ़िया मामलों के मंत्री भी रह चुके हैं। उनसे पहले न्यायापालिका प्रमुख के पद पर इब्राहीम रईसी थे जो अब ईरान के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। तो मौलवी ग़ुलामहुसैन मोहसेनी की नियुक्ति गई हैं। सरकारी न्यूज़ एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक़ अयातुल्लाह ख़ामनेई ने एक बयान जारी कर मोहसेनी एजेई से न्याय को बढ़ावा देने, सार्वजनिक अधिकारों को बहाल करने, क़ानूनी तौर पर स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और क़ानूनों के संपूर्ण कार्यान्वयन पर नज़र रखने, अपराध रोकने और भ्रष्टाचार से पूरी तरह लड़ने का आग्रह किया।

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