अफ़ग़ानिस्तान में भूभल मूत रहे हैं आतंकी तालिबान कई जगहा बिखरी पड़ी हैं लाशें अफरा तफरी का माहौल कोई पुरसाने हाल नहीं दुनियां बानी खामोश तमाशाइ,अमेरिकी सैन्य विमान से गिरे तीन अफगानी हुई मौत,मध्यस्थ कतर को मुंह दिखाना हुआ मुश्किल,अमेरिका में व्हाइट हाउस के बाहर विरोध-प्रदर्शन तालिबान सरकार को चीन पाकिस्तान का समर्थन,ईरान पसोपेश मे 

जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता)अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद से स्थिति भयावह बनी हुई है। लोग बिना सामान लिए ही देश छोड़कर भाग रहे हैं। उधर काबुल एयरपोर्ट पर भी भारी भीड़ जमा हो गई है जिसके कारण वहां भगदड़ की स्थिति बन गई है। भीड़ को काबू करने के लिए अमेरिकी सैनिकों को बीच-बीच में हवाई फायरिंग करनी पड़ रही है। आम जान का इस तर्हां अफगानिस्तान से भागना बता रहा है की तालिबान कितने क्रूर और निर्दयी हैं ।काबुल एयरपोर्ट पर लोगों में भय साफ दिखाई दे रहा है।

लोग किसी भी तरह देश छोड़ना चाहते हैं। इसके लिए वह अपनी जान तक जोखिम में डाल दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में कुछ लोगों को एक रनवे पर दौड़ते विमान के बाहरी हिस्से पर बैठे हुए देखा जा रहा है। वहीं, एक अन्य घटना में तीन अफगानी नागरिक एक अमेरिकी सैन्य विमान के टायरों के बीच खड़े हो गए। लेकिन विमान के उड़ान भरने पर एक-एक कर तीनों गिर गए।

अफगानिस्तान पर कब्जा के बाद तालिबान का आतंक चरम पर है। ताजा जानकारी के अनुसार तालिबान ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि 17 अगस्त को सुबह 8 बजे तक घरों में रहें।

अमेरिकी सैन्य विमान से गिरे तीन अफगानी,देश छोड़ने के लिए जबरन हुए थे सवार
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता)अफगानिस्तान की हुकूमत तालिबान के हाथ में आने के साथ ही यहां की जनता के दिल में जो डर बैठा है उसकी झलक राजधानी काबुल के एयरपोर्ट पर साफ देखी जा सकती है। देश से निकलने के लिए लोग अपनी जान तक जोखिम में डाल दे रहे हैं। ऐसी ही एक घटना सोमवार को काबुल एयरपोर्ट पर हो गई जहां एक विमान में जबरन सवार हुए तीन अफगानिस्तानी नागरिकों की उड़ान भरने पर विमान से गिरने के चलते मौत हो गई।

सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो इस समय खूब वायरल हो रहा है। वीडियो में उड़ रहे एक विमान से तीन लोग गिरते साफ दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो के बारे में कहा जा रहा है कि गिरने वाले तीन लोग वो हैं जो काबुल एयरपोर्ट पर इस विमान के किसी बाहरी हिस्से में छुप कर देश से निकलना चाहते थे। माना जा रहा है कि विमान के उड़ान भरने के बाद वह लोग अधिक समय तक अपना संतुलन नहीं बना पाए होंगे और इस वजह से गिर गए होंगे।यह अमेरिका का सैन्य विमान सी 17 था। जानकारी के अनुसार ये लोग विमान के टायर के बीच खड़े होकर यात्रा करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन, विमान जैसे ही हवा में पहुंचा ये लोग एक-एक कर नीचे गिर गए। अभी तक इनकी पहचान नहीं हो पाई है। काबुल में बिगड़ते हालात के बीच लूटमार और गोलियां चलने की घटनाएं भी हो रही हैं। एयरपोर्ट पर हुई गोलीबारी में अभी तक पांच लोगों को मारे जाने की और कई अन्य के घायल होने खबर है।तालिबान अफगानिस्तान की प्रमुख समाचर एजेंसी टोलो न्यूज के परिसर में पहुंचा। समाचार एजेंसी एएनआई ने टोलो न्यूज के हवाले से बताया कि इस दौरान तालिबानियों ने सुरक्षा कर्मचारियों के हथियारों की जांच की, सरकार की ओर से जारी किए गए हथियार एकत्र किए और परिसर को सुरक्षित रखने पर सहमति जताई। अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात के बीच वहां फंसे हिंदुओं और सिखों को वहां से निकालने को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि विदेश मंत्रालय और इसके लिए जिम्मेदार अन्य संस्थान इसकी व्यवस्था करेंगे।एयर इंडिया ने सोमवार को कहा कि उसने अपनी शिकागो-दिल्ली उड़ान का मार्ग बदलकर उसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शारजाह की ओर मोड़ दिया है ताकि अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश से बचा जा सके। इससे पहले काबुल हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा था कि अफगानिस्तान का हवाई क्षेत्र अनियंत्रित है। अधिकारियों ने बताया कि शिकागो-दिल्ली की उड़ान विमान में ईंधन भरवाने के लिए शारजाह में उतरेगी। इसके बाद उड़ान दिल्ली के लिए रवाना होगी और वह अफगान हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करेगी।अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट पर की गई फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गई है। इस बीच भारत से सभी उड़ानें बंद होने के बाद भारतीय नागरिक भी असहाय नजर आ रहे हैं।तालिबान ने अफगानिस्तान में हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है। जिसके कारण काबुल और दिल्ली के बीच की सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। बता दें कि भारत की ओर से एयर इंडिया की कुछ फ्लाइट्स को एयर लिफ्ट के लिए रखा गया था। 

तालिबान को पाकिस्तान, व चीन का समर्थन ईरान पसोपेश मे
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) अफगानिस्तान में चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने व ताकत के दम पर सत्ता हथियाने वाले तालिबान को पाकिस्तान, चीन व ईरान का साथ मिल गया है। पाक पीएम इमरान खान ने तो बड़ी बात कह दी है। उन्होंने तालिबान के सत्ता में काबिज होने का स्वागत करते हुए कहा कि गुलामी की जंजीरें टूट गई हैं।अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण और राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के देश छोड़ने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने वहाँ के हालात पर टिप्पणी की है।चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनियांग ने कहा है कि चीन अफ़ग़ानिस्तान के लोगों का अपने भाग्य और भविष्य का फ़ैसला करने के अधिकार का सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि चीन अफ़ग़ानिस्तान के साथ दोस्ताना सहयोग विकसित करना चाहता है। वहीं ईरान का कहना है कि अमेरिका की हार से स्थायी शांति की उम्मीद जागी है। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कहा कि जब आप दूसरे की संस्कृति अपनाते हैं तो फिर मानसिक रूप से गुलाम होते हैं। यह वास्तविक दासता से भी बुरा है। सांस्कृतिक गुलामी की जंजीरों को तोड़ना आसान नहीं होता है। अफगानिस्तान में इन दिनों जो हो रहा है, वह गुलामी की जंजीरों को तोड़ने जैसा है।’ चीन ने तालिबान के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है। साथ ही उम्मीद जताई कि वह समावेशी सरकार देगा। चीन ने सोमवार को कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान अपने वादे पर खरा उतरेगा और देश में खुली एवं समावेशी विचारों वाली सरकार बनाएगा।ईरान, रूस और चीन की अमेरिका से कई मुद्दों पर असहमति रही है। ऐसे में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को ये तीनों ही देश अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं। रूस ने तो तालिबान से पहले ही बात शुरू कर दी थी। चीन ने सोमवार को कहा कि तालिबान को काबुल में मौजूद विदेशी मिशनों को सुरक्षा देने और सभी को लेकर चलने के अपने वादे पर काम करना होगा। 

तालिबान की वादाखिलाफी से मध्यस्थ कतर के लिए मुंह दिखाना हो गया है मुश्किल!
तालिबान के काबुल पर कब्जा जमा लेने के बाद अफगानिस्तान के सभी पक्षों के बीच वार्ता की मेजबानी कर रहे कतर के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई। बताया जाता है कि कतर सरकार इससे बहुत नाराज है। उसने आखिरी वक्त तक तालिबान को समझाने की कोशिश की कि वह ताकत के जोर से अफगानिस्तान के शहरों पर कब्जा जमाने की कोशिश न करे। लेकिन शुक्रवार से रविवार तक घटनाएं जिस तेजी से घटीं, उससे कतर के शासक हतप्रभ रह गए। उन्हें ये अंदाजा नहीं था कि अफगान सेना इतनी आसानी से सीन से गायब हो जाएगी।अब कतर के सरकारी सूत्रों ने कहा है कि तालिबान के सामने अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करने की समस्या बनी रहेगी। एक सूत्र ने कहा- ‘जब आप ऐसा करते हैं, तो फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता पाने की उम्मीद नहीं कर सकते।’ लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अनेक देशों ने तालिबान से सीधी बातचीत करके अनौपचारिक रूप से उसे पहले ही मान्यता दे दी है। इन देशों में अमेरिका भी रहा है। रूस, चीन, पाकिस्तान, और ईरान ने तो लगातार तालिबान से संपर्क बनाए रखा है। कतर ने तो अपनी जमीन तालिबान सहित सभी अफगान पक्षों से बातचीत के लिए मुहैया करा रखी थी।

अमेरिका में व्हाइट हाउस के बाहर अफगानी लोगों का विरोध-प्रदर्शन, ‘बाइडेन तुम जिम्मेदार हो’ के लगे नारे
अफगानिस्तान में बिगड़े हालातों के बीच अमेरिका में रहने वाले अफगानी लोगों ने व्हाइट हाउस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और जो बाइडेन वापस जाओ के नारे लगाए। अफगानिस्तान की स्थिति के लिए राष्ट्रपति बाइडेन को जिम्मेदार ठहराया। प्रदर्शनकारियों ने बाइडेन पर धोखा देने का भी आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि 20 साल के बाद हम एक बार फिर 2000 वाली स्थिति में आ गए हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी सेना की वापसी के बीच 20 दिनों के अंदर में पूरे अफगानिस्तान पर देखते ही देखते तालिबान का कब्जा हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन चुनाव जीतने के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी का एलान किया था। बाइडेन ने कहा था कि अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ देगी, उसी के बाद से तालिबान का वर्चस्व बढ़ गया और पूरा अफगानिस्तान अब उसके कब्जे में है।

शक्तिशाली भूकंप ने मचाई तबाही,अब तक 1297 लोगों की मौत, 2800 से ज्यादा घायल
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता)दक्षिणपश्चिम हैती में शनिवार को 7.2 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हैती के नागरिक सुरक्षा सेवा प्रमुख जैरी चांडलर के मुताबिक, भूकंप से अब तक 1297 लोगों की मौत हुई है। बताया जा रहा है कि कम से कम 2,800 लोग घायल हो गए हैं। भूकंप के कारण सैकड़ों घर ढह गए जिसके कारण लोग सड़कों पर आ गए हैं।शनिवार को भूकंप आने से कई शहर पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं और भूस्खलन होने से भूकंप से बुरी तरह प्रभावित दो समुदायों के बीच बचाव अभियान प्रभावित हो रहा है। भूकंप के कारण कोरोना वायरस महामारी से पहले से बुरी तरह प्रभावित हैती के लोगों की पीड़ा और भी बढ़ गई है। देश के राष्ट्रपति की हत्या और गहराती गरीबी से राष्ट्र वैसे ही संकट में है।अमेरिका के भूगर्भीय सर्वेक्षण की ओर से कहा गया कि भूकंप का केंद्र राजधानी पोर्ट औ प्रिंस से करीब 125 किलोमीटर की दूरी पर है। अगले हफ्ते की शुरुआत में संकट और भी बढ़ सकता है क्योंकि तूफान ग्रेस सोमवार या मंगलवार तक हैती पहुंच सकता है।भूकंप के बाद दिनभर और रात तक झटके महसूस किए जाते रहे। बेघर हो चुके लोग, वे लोग जिनके घर ढहने के कगार पर हैं उन्होंने खुले में सड़कों पर रात बिताई। प्रधानमंत्री एरियल हेनरी ने कहा कि ऐसे स्थानों पर मदद भिजवा रहे हैं जहां पर शहर तबाह हो चुके हैं और अस्पताल मरीजों से भर गए हैं। हैती की नागरिक सुरक्षा एजेंसी के निदेशक जैरी चांडलर की ओर से बताया गया कि मृतक संख्या 304 है और सबसे ज्यादा लोग देश के दक्षिण में हताहत हुए हैं। एजेंसी ने कहा कि अस्पतालों में घायलों को लाने का सिलसिला जारी है। उन्होंने बताया कि कम से कम 860 घर नष्ट हो गए और 700 से अधिक क्षतिग्रस्त हो गए।

 

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