अफगानिस्तान मे तालिबान का क़हर जारी महिला गवर्नर अगवा, तब तोड़ी थी गौतम बुद्ध की मूर्ति तोड़ी,ध्वस्त की शिया नेता की प्रतिमा। 
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार गिरने के बाद से ही देशभर में तालिबान का राज कायम हो गया है। एक तरफ तो तालिबान ऐलान कर रहा है कि वह पुरानी सरकार के लिए काम करने वालों को माफ कर देगा और महिलाओं को उनके अधिकार देगा। वहीं, दूसरी ओर इन वादों के बावजूद उसने विपक्षी नेताओं और महिलाओं के खिलाफ काम करना जारी रखा है। ताजा मामला बल्ख प्रांत की एक महिला गवर्नर सलीमा मजारी को बंधक बनाने से जुड़ा है। बताया गया है कि तालिबान ने उन्हें अपने खिलाफ आवाज उठाने के चलते कैद में ले लिया। फिलहाल उन्हें कहां और किस हाल में रखा गया है, इसकी कोई जानकारी नहीं है।बता दें कि सलीमा मजारी अफगानिस्तान में पहली महिला गवर्नरों में से एक रही हैं। उन्हें कुछ साल पहले ही बल्ख के चाहत किंत जिले का गवर्नर चुना गया था। पिछले महीने ही जब तालिबान ने एक के बाद एक सभी प्रांतों पर धावा बोलना शुरू किया, तो सलीमा ने भागने के बजाय मुकाबला करने का फैसला किया। हालांकि, उनके जिले के तालिबान द्वारा घेरे जाने के बाद आखिरकार बल्ख को भी सरेंडर करना पड़ा।महिला न्यूज एंकरों को हटा, अपने लोगों को सौंपी चैनल की जिम्मेदारी: काबुल को अपने कब्जे में करने के बाद तालिबान ने अब धीरे-धीरे सरकारी दफ्तरों के साथ निजी संस्थानों को निशाना बनाना भी शुरू कर दिया है। न्यूज चैनलों में अब महिला एंकरों को बैन कर दिया गया है। इसकी जगह तालिबान ने अब अपने लोगों को प्रेजेंटर की जिम्मेदारी सौंपी है। नौकरी से निकाले जाने के बाद एक अफगान न्यूज एंकर खदीजा अमीना ने कहा, ‘मैं अब क्या करूंगी, अगली पीढ़ी के पास कोई काम नहीं होगा। 20 साल में जो कुछ भी हासिल किया है वह सब चला जाएगा।

20 साल बाद अफगानिस्तान में फिर कैसे जीता तालिबान, 10 तारीखों में जानें सत्ता परिवर्तन की पूरी कहानी

 

तालिबान तालिबान है, वे नहीं बदले हैं।बामियान में फिर दोहराई मूर्ति गिराने की घटना: इतना ही नहीं तालिबान के लड़ाकों ने पहले की तरह अल्पसंख्यकों के प्रतीकों और चिह्नों को भी हटाना जारी रखा है। जहां 20 साल पहले तालिबान के कट्टरपंथियों ने बामियान में बुद्ध की मूर्ति को विस्फोटकों से उड़ा दिया था, वहीं इस बार संगठन के लड़ाकों ने हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की बामियान में लगी मूर्ति को गिरा दिया है। बता दें कि मजारी की 1995 में तालिबान से जंग के दौरान मौत हो गई थी। बता दें कि हजारा मुख्य तौर पर शिया मुस्लिम होते हैं, जिन पर तालिबान का हमला जारी रहा है। हालांकि, अब्दुल अली मजारी तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल थे और तालिबान ने उनकी बढ़ती लोकप्रियता के चलते ही उन्हें अगवा कर उनकी हत्या कर दी थी। 

तालिबान और ईरान की दोस्ती मुश्किल काम
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (ज़हीर इक़बाल) पड़ोसी देश ईरान अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर चिंतित है।अफ़ग़ानिस्तान से भागे अफ़ग़ान सैनिक ईरानी इलाक़ों में शरण ले रहे हैं।शिया बहुल ईरान तालिबान को लेकर हमेशा से चिंचित रहा है।1998 में उत्तरी शहर मज़ार-ए-शरीफ़ में तालिबान ने एक ईरानी पत्रकार समेत आठ ईरानी राजनयिकों की हत्या कर दी थी। तब ईरान तालिबान पर हमला करने ही वाला था। लेकिन हाल के महीनों में ईरान ने तालिबान से संबंध बेहतर करने की कोशिश ज़रूर की है लेकिन शिया समुदाय का कट्टर दुश्मन कहा जाने वाला तालेबान सत्ता हासिल होते ही अपना रंग दिखा शियों की मसाजिद और इमाम बारगाहे तालेबान के निशाने पर हैं।शिया हज़ार समाज और हेरात का शिया बहुल इलाक़े में तालिबान ने तबाही मचा राखी है। जुलाई 2021 में ही तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल तेहरान में ईरानी विदेश मंत्री से मिला था। जिस पर ईरान उससे शिया बहुल इलाक़ो के लिए गारंटी मांगी थी।ईरान का अफ़ग़ानिस्तान के साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध है। ईरान अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों का संरक्षक है। ईरान ने लाखों अफ़ग़ान शरणार्थियों को पनाह भी दी है। शिया मत को मानने वाले हज़ारा समुदाय के लोगों को ईरान ने ख़ासतौर पर सीरिया के गृह युद्ध में अपने फतेमियोन ब्रिगेड में शामिल किया है। अतीत में कई मौकों पर तालिबान को ईरान का वरदहस्त मिला है लेकिन ये बात भी दिलचस्प है कि शियाओं को लेकर उसकी ऐतिहासिक चिढ़ का साया दोनों के रिश्तों पर लंबे समय से हावी रहा है। और अभी भी है।अगस्त,1998 में मज़ार-ए-शरीफ़ में तालिबान और नॉर्दर्न एलायंस के बीच भीषण लड़ाई हुई थी।इस लड़ाई में तालिबान के सैकड़ों लड़ाके मारे गए थे। उस वक्त नॉर्दर्न एलायंस को ईरान का समर्थन हासिल था।बदले की कार्रवाई में तालिबान ने मज़ार-ए-शरीफ़ पर कब्ज़ा कर लिया और हज़ारों की संख्या में शिया हज़ारा मुसलमानों की हत्या कर दी। इस कार्रवाई में 11 ईरानी नागरिक भी मारे गए थे। इसके बाद जंग के हालात बनते हुए दिखे। ईरान ने बोर्डर पर 70 हज़ार सैनिक तैनात कर दिए।तालिबान ने अपने आबाओ अजदाद की सिरत पर आमाल करते हुए ईरान पर पानी बंद कर दिया उसने ईरान के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए कजाकी डैम की धारा बंद कर दी। उस वक्त ईरान में सूखा पड़ा हुआ था। कजाकी डैम की धारा बंद किए जाने से ईरान को जाने वाली जल आपूर्ति बहुत कम हो गई। तालिबान की इस नाकाबंदी से ईरान के हमाउं क्षेत्र में बहुत नुक़सान पहुंचा। इसके बाद अमेरिका ने जब अफ़ग़ानिस्तान पर धावा बोला तो ईरान ने अफगानियों की मदद की। ईरान ने तालिबानी राज्य खत्म करने के लिए अमेरिका को सैनिक और खुफिया दोनों ही स्तरों पर मदद पहुंचाई। साल 2002 में जब अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निमाण को लेकर बॉन कॉन्फ्रेंस हुई थी तो ईरान ने भी उसे सक्रिय रूप से भाग लिया था।अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का शासन ख़त्म होने के साल भर बाद अक्टूबर, 2002 में कजाकी बांध से ईरान को पानी की आपूर्ति शुरू हो गई।लेकिन तालिबान के ख़िलाफ़ ईरान और अमेरिका की ये दोस्ती उस वक्त ख़त्म हो गई जब अमेरिका ने ईरान को ‘शैतान की धुरी’ बताकर उसका नाम अपने दुश्मनों की सूची में डाल दिया।

अफगानिस्तान का झंडा फहराने पर गोलियां दागीं,सेना की वर्दी में नजर आए तालिबानी लड़ाके

जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद क्रूरता अपने चरम पर है। तालिबानी बंदूक की नोक पर शांति कायम करना चाहते हैं। मिली जानकारी के अनुसार अफगानी झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे कुछ नागरिकों पर तालिबान के आतंकियों ने गोली चला दी।अफगानिस्तान में वो सबकुछ हो रहा है, जिसकी कल्पना अफगानियों ने तालिबान के राज के बाद की होगी। काबुल पर कब्जा जमाते ही शांति कायम करने, महिलाओं को उनके अधिकार देने जैसी बातें करने वाला तालिबान अपनी असलियत पर उतर आया है। मामला अफगानी राष्ट्रध्वज लेकर प्रदर्शन करने वालों से जुड़ा है। न्यूज एजेंसी अस्वाका के मुताबिक, कुछ अफगानी नागरिक अपना राष्ट्रध्वज लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और अफगानी झंडा न उतारने की मांग कर रहे थे। इसी बीच तालिबानी आतंकियों ने उन पर गोली चला दी। न्यूज एजेंसी ने इसका वीडियो भी जारी किया है। इसमें कुछ लोग अफगानी झंडा लहरा रहे हैं। लेकिन, थोड़ी देर बात गोलियों की आवाज सुनाई देते ही भगदड़ मच जाती है। घटना नानगरहार प्रांत के सुर्खरोड की बताई जा रही है। गोली चलने के बाद एक बार फिर पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन गया है। न्यूज एजेंसी अस्वाका की ओर कुछ तस्वीरें भी जारी की गई हैं। इन तस्वीरों में तालिबानी लड़ाके सेना की वर्दी में दिखाई दे रहे हैं। यह वर्दी तालिबान की पुरानी सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय से संबंधित है। अभी कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया यूजर्स ने तालिबान की वर्दी को लेकर चिंता जाहिर की थी, इसके बाद ही तालिबानी लड़ाके सेना की वर्दी में दिखाई दिए हैं।

तालिबान पर बोले सपा सांसद शफ़ीकुर्रहमान बर्क,देशद्रोह का मामला दर्ज

फाइल फोटो
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) उत्तर प्रदेश में संभल से समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद शफ़ीकुर्रहमान बर्क पर एक बीजेपी कार्यकर्ता की शिकायत पर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है। एक दिन पहले अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता सँभालने वाले तालिबान की तुलना भारत की आज़ादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से की थी। संभल के पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्र ने इस बारे में मीडिया को बताया,”कोतवाली संभल में यह शिकायत की गई कि थी कि सांसद शफ़ीकुर्रहमान बर्क ने तालिबान की तुलना भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से की है. ऐसे बयान राजद्रोह की श्रेणी में आते हैं. इसलिए उनके ख़िलाफ़ 124ए यानी देशद्रोह की धारा में एफ़आईआर दर्ज की गई है. साथ ही 153ए और 295 भी लगाया गया है. उनके अलावा दो अन्य लोगों ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो में ऐसी ही बातें कही हैं, उनके ख़िलाफ़ भी केस दर्ज कर लिया गया है।”शफ़ीकुर्रहमान बर्क ने अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के अधिकार मामले में इसकी तुलना भारत के स्वतंत्रता संग्राम से की थी, हालांकि उसके बाद उन्होंने अपने बयान का बचाव भी किया था। संभल में मीडिया से बातचीत में बर्क ने कहा था, “जब भारत अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े में था, तब देश ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी। अब तालिबान भी अपने देश को आज़ाद कराकर देश ख़ुद से चलाना चाहते हैं. पहले रूस और फिर अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में क़ब्ज़ा कर रखा था। उन्होंने अपनी आज़ादी की लड़ाई लड़ी, ये उनका पर्सनल मामला है, इसमें किसी को दख़ल नहीं देना चाहिए।केस दर्ज होने के बाद सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने बुधवार को सफाई दी। शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। ये बिल्कुल ग़लत है। मैंने कहा था कि मैं इस मुद्दे पर कुछ नहीं कह सकता। उस मुल्क़ से या तालिबान से मेरा क्या संबंध मैं न तालिबान के साथ हूं, न मैं उसकी सराहना करता हूं,न मैंने इसके संबंध में कोई बयान दिया। 

 

 

 

 

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