तीनो कृषि कानून वापस,बगैर चर्चा के बिल वापसी से विपक्ष नाराज़, टिकैत बोले सरकार केवल पांच मिनट में कानून वापस कर सकती थी लेकिन हमें एक साल तक बिठाए रखा

जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता) कृषि क़ानूनों की वापसी के बिल पर संसद की मुहर लग गई है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में ये बिल ध्वनिमत से पारित हुआ। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया था। बिल पारित होने के बाद भी विपक्ष में नाराज़गी बनी हुई है। विपक्ष बिल वापसी पर चर्चा की मांग कर रहा था लेकिन संसद में कोई चर्चा नहीं हुई। कृषि कानूनों की वापसी के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत शाम चार बजे गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे, जहां वे एक साल से धरना दे रहे हैं। उन्होंने कृषि कानूनों पर किसानों को बधाई दी और कहा कि सरकार केवल पांच मिनट में कानून वापस कर सकती थी। हम ये बात पहले दिन से जान रहे थे, लेकिन सरकार ने इसके लिए हमें एक साल तक बिठाए रखा। पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुरूप सोमवार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा में केवल पांच मिनट के अंदर कृषि कानूनों को समाप्त करने की औपचारिकता निभा दी गई। विपक्ष इस मुद्दे के बहाने सरकार को घेरने की मंशा लिए बहस कराए जाने की गुहार लगाता रह गया, लेकिन उसकी एक नहीं चली। केंद्र सरकार के कामकाज के इस तरीके पर विपक्ष ही नहीं, किसानों ने भी सवाल खड़े किए हैं। किसानों का कहना है कि आज सरकार ने केवल पांच मिनट में ये कानून खत्म कर दिए। सभी यह जानते थे कि यह काम चंद मिनटों में किया जा सकता है, लेकिन सरकार ने इसके लिए किसानों को एक साल तक बिठाए रखा। यदि सरकार एक साल पहले ही यह बात मान लेती तो इस मुद्दे पर इतना विवाद न खड़ा होता। सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के मिनट भर में ही कृषि क़ानूनों की वापसी का बिल पास कर दिया गया। इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जहां कृषि क़ानूनों की वापसी को किसानों की जीत बताया वहीं, क़ानून वापसी पर चर्चा ना कराने को लेकर आपत्ति भी जताई।उन्होंने कहा, ”दुख की बात है कि बिना चर्चा के कृषि बिल वापस हो गया. सरकार ने क़ानून वापसी पर चर्चा नहीं होने दी. सरकार संसद में चर्चा कराने से डरती है. हम सदन में एमएसपी पर चर्चा चाहते थे।” राहुल गांधी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में माफ़ी मांगी है तो इसका मतलब है कि उन्होंने माना है कि आंदोलन में हुई मौतों के लिए वो ज़िम्मेदार हैं. गलती मानी है तो उन्हें मुआवज़ा देना चाहिए.।चर्चा ना होने को लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सदन में हमें बोलने नहीं दिया गया. हमने मांग की थी कि हमें बिल पर चर्चा करनी है. आज अजीब सी एक चीज़ देखी। सदन की गरिमा की धज़्जियां उड़ाते हुए बिल लाया गया और बिना चर्चा के पारित करा दिया। इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा था कि मोदी सरकार संसद में बिना बहस के कृषि बिल वापस लेना चाहती है. 16 महीने पहले कृषि बिलों को बेहद अलोकतांत्रिक तरीक़े से पास किया गया था और इसे वापस भी उसी तरीक़े से लेने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने संसद में कृषि क़ानूनों की वापसी का बिल वापस लेने के तरीक़े पर सवाल उठाया है। सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा है, ”तीनों कृषि विरोधी काले क़ानूनों को ना पारित करते चर्चा हुई, न ख़त्म करते हुए चर्चा हुई. क्योंकि चर्चा होती तो हिसाब देना पड़ता, जबाब देना पड़ता. खेती को मुट्ठी भर धन्नासेठों की ड्योढ़ी पर बेचने के षड्यंत्र का. 700 से अधिक किसानों की शहादत का. फसल का MSP न देने का।” राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि सरकार झूठ बोल रही है और बिल वापस लेने के ऊपर कभी कोई चर्चा ही नहीं हुई। उन्होंने कहा कि वो कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने का स्वागत करते हैं और उन्होंने लखीमपुर खीरी और बिजली बिल समेत कई मुद्दों पर चर्चा के लिए मांग की थी क्योंकि किसान अभी भी प्रदर्शन स्थलों पर डटे हुए हैं। वहीं, चर्चा ना होने को लेकर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ”कृषि विधेयक पास होने के दौरान चर्चा हुई थी आज पूरा विपक्ष क़ानून वापस लेने की मांग कर रहा था लेकिन जब हम क़ानून वापस लेने के लिए गए तो विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया, मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि उनका मक़सद क्या है?” “सरकार का इरादा साफ़ है हम कृषि क़ानून 2021 वापस लेने का विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पास कराना चाहते हैं।”

अब CAA को भी रद्द करे मोदी सरकार; ओवैसी की मांग

चुनावी डर से वापस लिए कृषि कानून, अब CAA को भी रद्द करे मोदी सरकार; ओवैसी की मांग
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता) शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार ने तीनों कृषि कानून को वापस ले लिया। कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है। अब एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार को घेरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि चुनाव के डर से सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लिया। ऐसे में सरकार को सीएए भी रद्द कर देना चाहिए। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से तीनों कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों से किया अपना वादा पूरा कर लिया है। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद तीनों कानून पूर्ण रूप से वापस हो जाएंगे।कृषि कानूनों की वापसी को सही फैसला बताते हुए एआईएमआईएम सासंद असदुद्दीन ओवैसी ने इसके पीछे चुनावी डर बताया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक नुकसान के डर से मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया है। देश में एक बड़ा समूह कह रहा है कि सीएए संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। हम मांग करते हैं कि केंद्र नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को निरस्त करे।

रायबरेली में लगी रोडवेज बस में भीषण आग,14 यात्री झुलसे


जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) लखनऊ-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित टांडा गांव के पास खड़े ट्रक से टकराने के बाद आलमबाग डिपो की अनुबंधित बस आग का गोला बन गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बस डिवाइडर पार करके दूसरी पार जा पहुंची। गनीमत रही कि बस पलटी नहीं। हादसे के बाद यात्रियों में अफरातफरी मच गई। किसी तरह चीख-पुकार बजाते हुए बस से जान बचाकर यात्री बाहर निकले। इस दौरान 14 यात्री झुलस गए। इसमें से नौ यात्रियों को सीएचसी हरचंदपुर, जबकि छह यात्रियों को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। एक यात्री का हालत गंभीर होने पर लखनऊ रेफर कर दिया गया। आग से यात्रियों का सामान समेत बस पूरी तरह जल गई। बताया जा रहा है कि चालक गाना सुनने के लिए कान में लगाए लीड ठीक कर रहा था। इसी वजह से बस अनियंत्रित हुई और ट्रक से टकराने के बाद आग का गोला बन गई। पुलिस हादसे की जांच कर रही है।  शाम करीब चार बजे आलमबाग डिपो की अनुबंधित बस रायबरेली से लखनऊ जा रही थी। बस पर करीब 60 यात्री सवार थे। हाईवे पर टांडा गांव के पास पहले से एक ट्रक खड़ा था। अनियंत्रित बस पीछे से खड़े ट्रक में जा टकराई। टक्कर इतनी तेज थी कि बस डिवाइडर पार करके दूसरे हिस्से में जा पहुंची। टक्कर के बाद बस धू-धू करके जलने लगे। देखते ही देखते बस का आग का गोला बन गई। बस में सवार यात्री किसी तरह जान बचाकर भागे। घटना की जानकारी पर थानेदार उरेश सिंह और दमकल के जवान मौके पर पहुंचे। काफी मशक्कत के बाद बस पर सवार लोगों को बाहर निकाला। सीओ सदर वंदना सिंह ने बताया कि ट्रक से टकराने के बाद बस में आग लगी। जानकारी होने पर पहुंचकर झुलसे लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया। हादसे किसी भी यात्री की जान नहीं गई। पूरे घटनाक्रम की जांच कराई जा रही है। थानेदार उरेश सिंह ने बताया कि चालक गाना सुनने के लिए कान में लगाई गई लीड को ठीक कर रहा था। इस वजह से बस अनियंत्रित होकर खड़े ट्रक से जा टकराई। चालक-परिचालक मौके से फरार हो गए। दोनों की तलाश की जा रही है।

आईसीयू में भर्ती पत्रकार विनोद दुआ की हालत गंभीर,मौत की खबर हुई वायरल


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) पत्रकार विनोद दुआ की हालत गंभीर है। तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है। उनकी बेटी मल्लिका दुआ ने विनोद दुआ की हालत गंभीर होने की जानकारी दी है। मल्लिका ने अपने इंटाग्राम पर भावुक पोस्ट लिखते हुए कहा कि उनके पिता की हालत गंभीर है, उनके लिए दुआ करें कि उन्हें कम से कम तकलीफ हो। आज इस बीच उनके निधन की खबरें वायरल हो गईं, जिसका बेटी मल्लिका ने खंडन करते हुए कहा कि ऐसी खबरें फैलाना गलत है। उन्होंने कहा कि वह पिता के स्वास्थ्य से जुड़ा हर अपडेट साझा करेंगी। मल्लिका दुआ ने लिखा- मेरे पिता काफी बीमार हैं और आईसीयू में हैं। उनकी सेहत अप्रैल के महीने से ही बिगड़ती जा रही है। उन्हें दर्द नहीं होना चाहिए। सब उन्हें बहुत प्यार करते हैं और मैं आप सबसे गुजारिश करती हूं कि दुआ करें कि उन्हें कम से कम तकलीफ हो। इससे पहले कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान विनोद दुआ और उनकी पत्नी चिन्ना दुआ कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। तब चिन्ना दुआ की मौत हो गई थी। 67 साल के विनोद दुआ मीडिया में एक जाना पहचाना नाम हैं। विनोद दुआ ने दूरदर्शन के लिए भी काम किया है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान विनोद दुआ और उनकी पत्नी को गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद से ही विनोद दुआ की सेहत में लगातार गिरावट आती रही है।

 

 

 

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