चुनाव आयोग ने दी और ढील,सुबह 6 से रात 10 बजे तक पार्टियों कर सकेंगी प्रचार
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चुनाव आयोग ने शनिवार को प्रचार के प्रावधानों में और ढील दे दी है। राजनीतिक दल और उम्मीदवार सभी मौजूदा निर्देशों का पालन करते हुए सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक प्रचार कर सकते हैं। आयोग ने संबंधित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (एसडीएमए) के दिशानिर्देशों के अनुसार चुनावी राज्यों में पदयात्रा की भी अनुमति दे दी है. उसने देश में विशेष रूप से मतदान वाले राज्यों में कोविड-19 महामारी की स्थिति की समय-समय पर समीक्षा की. चुनाव आयोग ने कोविड की जमीनी स्थिति के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के साथ बैठक की। समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि कोविड की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और देश में मामले तेजी से घट रहे हैं।भले ही गैर-चुनाव वाले राज्यों से कोरोना के अधिक मामले सामने आ रहे हों, लेकिन देश में कुल रिपोर्ट किए गए मामलों में चुनाव वाले राज्यों का योगदान बहुत कम है. कोविड के आंकड़ों की बात करें तो 21 जनवरी को लगभग 3.47 लाख के आए थे, जोकि शनिवार यानि 12 फरवरी को घटकर लगभग 50,000 रह गए हैं. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में कोरोना के मामलों की कुल संख्या 22 जनवरी को 32,000 से अधिक थी, जोकि 12 फरवरी को घटकर लगभग 3,000 रह गई है।कोविड​​-19 मामलों में वृद्धि का हवाला देते हुए आयोग ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के लिए मतदान कार्यक्रम की घोषणा करते हुए फिजिकल रैलियों, रोड शो और पदयात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. आयोग समय-समय पर महामारी की स्थिति की समीक्षा कर रहा है और कुछ छूट दे रहा है. पांचों राज्यों में जमकर चुनाव प्रचार किया जा रहा है और सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने राज्यों में बड़े पैमाने पर सभाएं की हैं. हर पार्टी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हर पैंतरा आजमा रही है।इससे पहले आयोग ने रोड शो, पदयात्रा, वाहन रैलियों और जुलूसों पर लगा प्रतिबंध 11 फरवरी तक बढ़ा दिया था, लेकिन सभी चरणों के लिए घर-घर जाकर प्रचार करने वालों की संख्या तथा जनसभाओं से संबंधित नियम में ढील प्रादन कर दी थी. दी गई छूट के तहत घर-घर जाकर प्रचार करने वाले लोगों की संख्या 10 से बढ़ाकर 20 कर दी गई है और जनसभाओं में अब अधिकतम 1,000 लोग शामिल हो सकते हैं. आयोग ने इनडोर बैठकों में शामिल होने वालों की अधिकतम संख्या भी वर्तमान 300 से बढ़ाकर 500 कर दी थी. हालांकि, राज्य के अधिकारियों ने कहा था कि कोविड प्रोटोकॉल सावधानियों को जारी रखने की जरूरत है, ताकि राजनीतिक गतिविधियों के कारण संक्रमण के मामलों में कोई वृद्धि न हो।

कर्नाटक हिजाब विवाद पर बोला अमेरिका तुर्की और पाकिस्तान कहा-हिजाब पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन भारत ने कहा यह हमारा अंदुरुनी मामला


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) कर्नाटक मे हिजाब मामले मे अमेरिका तुर्की और पाकिस्तान ने इस प्रतिबंध को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। वही भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश के आंतरिक मामलों पर किसी मकसद से प्रेरित टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जा सकतीं है। हालाँकि ईरान और सऊदी अरब ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी। बताते चले की हिजाब भारत मे सदयों से इस्तेमाल होता है और हिन्दू औरते भी घुघट से अपना सर और चेहरा छुपाती आ रही हैं। मुस्लिम औरते भी हिजाब के ज़रिए से अपना सर और चेहरा छुपाती हैं। लेकिन भारत को फ़िरक़ा परस्ती की आग मे झोकने वाली ताकते चार भगवा गमछो की बदौलत इसको ख़त्म करेने के लिए मज़हबी नाम दे रही हैं।अफ़सोस इस बात का है की एक बेटी को खुले तौर पर परेशान किया गया और बेटी बचाओ का नारा देने वाले खामोश रहे लेकिन वही अच्छी बात हमारे महान देश की ये हैकि की एक होकर पूरे देश ने इसकी निंदा की देश के ज़िम्मेदार खामोश रहे तो क्या देश की जनता ने बग़ैर तफ़रीक़ ए मज़हबो मिल्लत एक सुर में इसकी मज़म्मत की है जिस पर हर देशवासी को गर्व है। कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर विदेशों से भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। अब इस विवाद पर अमेरिका ने भी अपना बयान जारी कर दिया है। भारत में मुस्लिम छात्रों की हिजाब पहनने की मांग को लेकर उठे विवाद के बीच अमेरिका ने कर्नाटक की आलोचना की है। कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब को लेकर उपजे तनाव पर अमेरिका ने कहा कि स्कूलों-कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। धार्मिक कपड़ों की इजाजत देना है या नहीं, यह कर्नाटक को तय नहीं करना चाहिए।अमेरिका सरकार में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामले के राजदूत राशद हुसैन ने कहा, धार्मिक स्वतंत्रतामें लोगों को अपने धार्मिक कपड़ों को चुनने की पूरी आजादी होती है। भारतीय राज्य कर्नाटक को धार्मिक कपड़ों की अनुमति का निर्धारण नहीं करना चाहिए, स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और महिलाओं और लड़कियों को कलंकित और हाशिए पर लाता है।हुसैन धार्मिक स्वतंत्रता की शर्तों और नीतियों पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकन के प्रमुख सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं। वो दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग,उत्पीड़न और भेदभाव की निगरानी के लिए विदेश विभाग के प्रयासों का नेतृत्व करते हैं।कर्नाटक में कुछ शैक्षणिक संस्थानों में छात्र-छात्राओं की ड्रेस को लेकर उठे विवाद पर पहली बार विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है।दरअसल, पाकिस्तान और अमेरिका की तरफ से हिजाब विवाद पर भारत को नसीहतें दी गई थीं। इसी को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश के आंतरिक मामलों पर किसी मकसद से प्रेरित टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जा सकतीं।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि जो लोग भारत को जानते हैं उन्हें वास्तविकताओं की जरूरी समझ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के कुछ शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड से जुड़े नियमों और इन्हें चुनौती देने वाले केसों पर कर्नाटक हाईकोर्ट विचार कर रहा है।उन्होंने कहा कि हमारे संवैधानिक ढांचे और तंत्र, लोकतांत्रिक लोकाचार और राजतंत्र के संदर्भ में मुद्दों पर विचार किया जाता है और उनका समाधान निकाला जाता है। जो लोग भारत को अच्छी तरह जानते हैं, उन्हें इन वास्तविकताओं की पर्याप्त समझ होगी। हमारे आंतरिक मुद्दों पर किसी अन्य मकसद से प्रेरित टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं है।

गुजरात तट पर 2000 करोड़ रुपये कीमत का 760 किलो ड्रग जब्त


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और नौसेना ने गुजरात में अरब सागर में कार्रवाई कर 760 किलोग्राम से अधिक का ड्रग बरामद किया है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 2000 करोड़ रुपये आंकी गई है। जब्त किए गए ड्रग में हशीश, हेरोइन और मेथामफोटामाइन आदि शामिल है।एनसीबी के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि एनसीबी और नौसेना ने अरब सागर में इस संयुक्त ऑपरेशन के लिए बहुत ही एहतियात से योजना तैयार की थी। इसके तहत 529 किलो उच्च गुणवत्ता की हशीश, 234 किलो बेहतरीन गुणवत्ता वाला मेथामफोटामाइन और हेरोइन जब्त किया गया। इस ड्रग की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2000 करोड़ रुपये है।नौसेना ने ट्वीट किया कि अरब सागर में नौसेना और एनसीबी ने बेहतरीन समन्वय के साथ एक ऑपरेशन किया। इसके तहत 800 किलो ड्रग बरामद किया गया। इसकी कीमत 2000 करोड़ रुपये है। नौसेना ड्रग पदार्थों के मुसीबत से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। प्रेस रिलीज के अनुसार, गहरे समुद्र में यह अपनी तरह का पहला ऑपरेशन है। एनसीबी को अरब सागर के जरिए ड्रग तस्करी को लेकर इनपुट मिला था। इस बारे में उसने नौसेना खुफिया इकाई के साथ सूचना साझा की और संयुक्त ऑपरेशन का फैसला लिया गया।

बेबाक उद्योगपति राहुल बजाज नहीं रहे


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) देश के दिग्गज उद्योगपति राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। उन्होंने दोपहर ढाई बजे अंतिम सांसें लीं। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने उनके निधन की पुष्टि की है। एजेंसी के मुताबिक राहुल बजाज को न्यूमोनिया और हृदय संबंध बीमारी थी। हालत बिगड़ने की वजह से पिछले एक महीने से वह अस्पताल में भर्ती थे।राहुल बजाज ने लंबे समय तक देश के सबसे पुराने औद्योगिक घरानों में से एक बजाज ग्रुप का नेतृत्व किया। वह उद्योग जगत की बेबाक आवाज़ के तौर पर जाने जाते थे। तमाम मुद्दों पर वह खरी-खरी बोलने में विश्वास करते थे।राहुल बजाज का जन्म 30 जून, 1938 को कोलकाता में हुआ था। वह 40 साल से अधिक समय तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे। पिछले साल अप्रैल में चेयरमैन पद से इस्तीफ़ा देने के बाद उन्हें चेयरमैन एमिरेटस बनाया गया था। 2001 में उन्हें पद्मभूमषण से नवाजा गया था। वह राज्यसभा के सांसद भी रह चुके थे।राहुल बजाज अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते थे। कॉरपोरेट इंडिया की चिंता हो या देशहित से जुड़ा मुद्दा उन्होंने कभी भी खुल कर बोलने से गुरेज नहीं किया। ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ की एक खबर के मुताबिक राहुल बजाज ने इकोनॉमिक्स टाइम्स की ओर से आयोजित एक समारोह में कहा था कि वह जन्मजात सत्ता-प्रतिष्ठान विरोधी हैं. बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना के समर्थन से वर्ष 2006 में राहुल बजाज निर्दलीय सदस्य के तौर पर राज्यसभा पहुंचे। लेकिन उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के सामने कहा, ”लोग (उद्योगपति) आपसे (मोदी सरकार) डरते हैं। जब यूपीए-2 की सरकार थी, तो हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे। पर अब हमें यह विश्वास नहीं है कि अगर हम खुले तौर पर आलोचना करें तो आप इसे पसंद करेंगे।”

 

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