पहले ज़िंदा गिरफ्तारी पर सवाल, अब मौत पर सावालिया निशान?

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ ,अपराधी विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाते वक़्त गाड़ी पलटने  , उसके भागने और पुलिस पर जानलेवा हमला करने के जवाब मे पुलिस द्वारा उसे मारे जाने पर सियासी दंगल शुरू हो गया है कल तक जो नेता उसको ज़िंदा गिरफ्तार किये जाने पर सवाल खड़े कर रहे थे आज वही उसकी मौत पर सवाल क्यों उठा रहे है ?विकास ने जो जुर्म किया था क्या उसकी सज़ा सिर्फ गिरफ्तारी थी ,जिससे कि वह जेल जाये और दूसरे अपराधियो की तरहां जेल से अवैध वसूली करे और प्रदेश मे अपना नेटवर्क बना कर लोगो के लिए मुसीबत बने । बाद मे चुनाव लड़े और एमएलए या एमपी हो जाये । जो सियासी दल विकास पर सवाल उठा रहे हैं क्या उन दलों मे अपराधी नहीं हैं विकास ने जो जुर्म किया था उसकी सज़ा यही थी ।जो उसको दी गई। जिस तरहां घटना के वक़्त अंधेरे की बात कही जा रही थी उसके बाद तो विकास को सज़ा होने की काम उसके बरी होने की ज़्यादा संभावना थी सियासी दंगल के माहिरों को ट्वीट करके सवाल उठाने से पहले उन ईमानदार जांबाज़ पुलिस वालो के परिवार के बारे मे भी सोचना चाहिए जिसने अपना बाप, बेटा और भाई खोया है बयान बाज़ी से अच्छा था के उनके पास जाये और उन्हे गौरवान्वित करे । उत्तर प्रदेश के एडीजी ऐलओ ने कहा था कि “8 पुलिस वालो को शहीद करने वालो के खिलाफ वह कार्रवाई होगी के नज़ीर बनेगी” पुलिस ने वह कर दिखाया। विकास दुबे के प्रदेश से भाग जाने से पुलिस की साख गिरि थी पुलिस की इस कार्रवाई ने विकास को लेकर उसपर लगने वाले तमाम दाग़ धब्बो को धो दिया है उत्तर प्रदेश से अगर हमको अपराध और अपराधी दोनों ख़त्म करना हैं तो अपराधियो के साथ नरमी नहीं सख्ती से पेश आना होगा ताकि दूसरे अपराधियो के लिये नज़ीर क़ायम हो सके हमको मुंबई पुलिस की तर्ज़ पर काम करना होगा जिसने डी कम्पनी जैसे माफियाओ को जड़ से उखाड़ फेका है| हालाँकि अब मुख्यमंत्री आदित्य नाथ को उन पुलिस अफसरों और उनके मातहतो के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करना होगी ।

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