यूएई के शेख़ ख़लीफ़ा बिन ज़ायेद,के निधन पर भारत मना रहा है शोक


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद नाहयान का निधन हो गया है। 73 साल के खलीफा बिन जायेद पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे थे। भारत समेत दुनिया के कई देशों के नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है। शेख़ खलीफ़ा बिन ज़ायेद अल नहयान के निधन के एक दिन बाद शनिवार को शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नहयान को राष्ट्रपति चुन लिया गया है।

 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से लेकर भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने खलीफा और उनके योगदान को याद किया है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी अदित्य नाथ ने भी ख़लीफ़ा की मौत के शोक में एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया है।उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी अदित्य नाथ के लिए ये कहा जाता है की वह पीएम नरेंद्र मोदी के पद चिन्हो पर चलने की कोशिश करते हैं। हालाँकि उत्तर प्रदेश के बहुत सारे लोग संयुक्त अरब अमीरात में रोज़गार हासिल कर रहे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार,भारत ने उनके निधन पर शनिवार को एक दिन के राष्ट्रीय शोक का एलान किया है।शेख खलीफा के निधन पर भारत ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। भारत से उनके मजबूत संबंधों के बारे में ये बताने के लिए काफी है।साल 2017 में भारत ने गणतंत्र दिवस की परेड में मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान को मुख्य अतिथि बनाया था।हाल के दिनों में भारत और यूएई बड़े कारोबारी और निवेश सहयोगी बन कर उभरे हैं. यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी पार्टनर है।मौजूदा वित्त वर्ष में दोनों देशों के बीच का कारोबार 60 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. गैर तेल निर्यात के मामले में भारत यूएई का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है।भारत और यूएई के बीच का कारोबार अगले पांच साल में बढ़ कर 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है.शेख खलीफा की छवि पश्चिमी देशों के समर्थक और एक आधुनिक नेता के तौर पर रही है।उन्हें संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था को खोलने और अबू धाबी में कई बड़े सुधारों का श्रेय दिया जाता है।एमबीजेड के तौर जाने गए शेख खलीफा 2004 संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति बनेलेकिन 2014 में स्ट्रोक का शिकार होने के बाद शासन का रूटीन काम छोड़ दिया।लेकिन अपने शासन काल में उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात को एक मॉर्डन और खाड़ी में एक बड़ी आर्थिक हैसियत वाला देश बना दिया।उनके शासन में संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी एक बड़ा ट्रेड और टूरिज्म हब बन गया। उनके वक्त में खाड़ी और इससे बाहर संयुक्त अरब अमीरात का राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ गया।बीमार होने के बाद उनकी सार्वजनिक उपस्थिति भले काफी कम हो गई थी लेकिन यहां उनकी तस्वीर हर तरफ दिखती है।सरकारी दफ्तरों की दीवारों से लेकर होटलों मे रिस्पेशन डेस्क के पीछे तक।वह राष्ट्रपति होने के साथ ही सेना के चीफ, इनवेस्टमेंट फंड के प्रमुख और पेट्रोलियम काउंसिल के अध्यक्ष थे।यह काउंसिल ही यूएई की तेल नीति का प्रबंधन देखती है। स्ट्रोक के बाद उन्होंने शासन का जिम्मा अपने सौतेले भाई मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान को सौंप दिया। वह अबु धाबी के क्राउन प्रिंस और ज्यादा आक्रामक विदेश नीति के लिए जाने जाते हैं।शेख खलीफा ब्रिटेन से अपने पिता का हाथ बंटाने लौटे थे। 1971 में संयुक्त अरब अमीरात की आजादी और उनके पिता के हाथ शासन की कमान मिलने के बाद उनकी भूमिका बढ़ती गई। खलीफा पेट्रोलियम काउंसिल के प्रमुख बन गए, जो तेल संसाधन से लैस इस देश के सबसे अहम पदों में से एक था।।यूएई का असर बढ़ाने में अहम भूमिका शेख खलीफा की छवि पश्चिमी देशों के समर्थक और एक आधुनिक नेता के तौर पर रही है। उन्हें संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था को खोलने और अबू धाबी में कई बड़े सुधारों का श्रेय दिया जाता है।शेख खलीफा 2004 संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति बने. लेकिन 2014 में स्ट्रोक का शिकार होने के बाद शासन का रूटीन काम छोड़ दिया।लेकिन अपने शासन काल में उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात को एक मॉर्डन और खाड़ी में एक बड़ी आर्थिक हैसियत वाला देश बना दिया। उनके शासन में संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी एक बड़ा ट्रेड और टूरिज्म हब बन गया. उनके वक्त में खाड़ी और इससे बाहर संयुक्त अरब अमीरात का राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ गया।समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, शेख खलीफा ने संयुक्त अरब अमीरात के शासक रहते अमेरिका से नजदीकी रिश्ते बनाए थे। हालांकि बाद के दिनों में उन्होंने अपनी रणनीति बदली। रूस और यूक्रेन के जंग के दौरान भी संयुक्त अरब अमीरात ने पश्चिमी देशों के गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया। शेख खलीफा का जन्म 1948 में अबूधाबी के नखलिस्तान अल अईन में हुआ था। वह शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयन के सबसे बड़े बेटे थे। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने संस्मरण में उन्हें खाड़ी के सबसे समझदार नेताओं में से एक माना है।संयुक्त अरब अमीरात ने सऊदी अरब और अमेरिका के साथ अपने संबधों को अपनी कूटनीति का आधार बनाया था।लेकिन जब संयुक्त अरब अमीरात के आर्थिक हितों का सवाल आता था तो खलीफा स्वतंत्र नीति अपनाते थे।शेख खलीफा को उनके देश में आधुनिक और करिश्माई नेता के तौर पर देखा जाता है। माना जाता है कि उन्होंने लो-प्रोफाइल अबू धाबी को पूरी दुनिया का ट्रेड सेंटर बना दिया। शेख खलीफा संयुक्त अरब संयुक्त अरब अमीरात के सबसे धनी शख्स थे। फोर्ब्स की की रिपोर्ट के मुताबिक उनके नियंत्रण में 97.8 अरब बैरल का तेल रिजर्व था। संयुक्त अरब अमीरात दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड्स में से एक प्रबंधन करता है। इसकी कुल संपत्ति लगभग 830 अरब डॉलर की है। शेख खलीफा को दुबई के बुर्ज खलीफा से भी जोड़ा जाता है. यह दुनिया की सबसे लंबी बिल्डिंग है. खलीफा के सम्मान में इस बिल्डिंग का नाम बुर्ज दुबई से बदल कर बुर्ज खलीफा कर दिया था।तेल संसाधनों से भरपूर पर्सियन गल्फ के दूसरी राजशाहियों की तरह अमीरात ने भी बाहरी चुनौतियों से जूझने के लिए अमेरिका से नजदीका संबंध बनाए रखा।अमीरात अमेरिकी हथियारों के प्रमुख ग्राहकों में एक रहा है। लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच जंग ने अमेरिका और अमीरात के संबंधों में खटास पैदा कर दी।अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन के खिलाफ अपने सैन्य गठबंधन में यूएई को शामिल करना चाहते थे। लेकिन अमीरात इसके लिए राजी नहीं था।संयुक्त राष्ट्र में रूस पर वोटिंग के दौरान भी संयुक्त अरब अमीरात गैर मौजूद रहा।

अबू धाबी में होने वाला आईफा अवॉर्ड समारोह स्थगित,
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) 22वें अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म एकेडमी (IIFA) अवॉर्ड समारोह को स्थगित कर दिया गया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन के बाद यह फैसला लिया गया है। आयोजन अबू धाबी में होने वाला था। आईफा के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज से यूएई के राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया गया है। इससे पहले मार्च में आईफा अवॉर्ड समारोह होना था लेकिन कोरोना को लेकर एहतियात बरतते हुए तारीखों को आगे बढ़ाया गया था।अवॉर्ड्स समारोह 20 और 21 मई को होना था। अब यह इवेंट 14, 15 और 16 जुलाई को अबू धाबी में ही होगा। IIFA की ओर से राष्ट्रपति के निधन पर ट्वीट किया गया कि ‘संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति महामहिम शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर दुख है। हम उनके परिवार और संयुक्त अरब अमीरात के लोगों के साथ गहरी संवेदना साझा करते हैं। भगवान उन्हें शांति प्रदान करे।शुक्रवार को यूएई के राष्ट्रपति का निधन हो गया। 73 साल के शेख खलीफा के निधन पर दुनियाभर में लोगों ने शोक व्यक्त किया। रिपोर्ट के मुताबिक, वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर यूएई में 40 दिन का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है।बता दें बॉलीवुड के लिए आईफा एक बड़ा अवॉर्ड समारोह होता है। जहां तमाम दिग्गज सितारे स्टेज पर परफॉर्मेंस देते हैं। इस बार इवेंट में सलमान खान, रणवीर सिंह, कार्तिक आर्यन सारा अली खान सहित दूसरे एक्टर्स परफॉर्म करने वाले हैं। हालांकि तारीखों के आगे बढ़ने से उन्हें अपने शेड्यूल में से वक्त निकालना पड़ेगा।

चिंतन शिविर में उठ रही है प्रियंका गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) कांग्रेस ने नव संकल्प शिविर संगठन को मजबूत करने और भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने के लिए आयोजित किया है, पर शिविर में नेतृत्व मुद्दा छाया रहा। इस दौरान कई नेताओं ने प्रियंका गांधी वाड्रा को भी अध्यक्ष बनाने की मांग की।राजनीतिक मामलों की समिति में चर्चा के दौरान पार्टी नेता और धर्म गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मुखरता से प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग की। प्रमोद कृष्णम ने जिस वक्त यह मांग की, उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी बैठक में मौजूद थीं।सूत्रों के मुताबिक, कृष्णम ने कहा कि दो साल से राहुल गांधी को मनाने की कोशिश हो रही है। वह अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं है, तो प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। समिति के संयोजक मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें रोकने की कोशिश की, पर वह अपनी बात कहकर चुप हुए। कई अन्य नेताओं ने भी प्रियंका गांधी की पार्टी में भूमिका बढ़ाने की मांग की।दीपेंद्र हु्ड्डा ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर लाना चाहिए। उन्हें यूपी तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। बिहार कांग्रेस की नेता रंजीत रंजन ने भी इससे सहमति जताई कि प्रियंका गांधी को सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं रखना चाहिए। हालांकि, नव संकल्प शिविर के लिए उदयपुर में सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्षों के पोस्टर लगाए लगाए हैं। प्रियंका गांधी का कोई पोस्टर नहीं है।

काशी करवत मंदिर के महंत पं.गणेश शंकर उपाध्याय का दावा1992 के पहले नहीं था मंदिर-मस्जिद का कोई विवाद


जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर वाराणसी के साथ-साथ देश का माहौल गर्म है। काशी के एक महंत ने बीते दिनों को याद कर कहा हम लोग बचपन में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में खेलने कूदने के लिए जाया करते थे।काशी करवत मंदिर के महंत पं. गणेश शंकर उपाध्याय बीते दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि 1992 के पहले तो कोई मंदिर-मस्जिद का विवाद नहीं था। मुझे आज भी याद है कि हम लोग बड़े आराम से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में खेलने कूदने के लिए जाया करते थे। किसी तरह की रोकटोक नहीं थी। सीढ़ियों से उतरकर ग्राउंड फ्लोर में एक बड़ा हॉल था और उसमें कई खंभे थे। महंत ने बताया कि सीढ़ी के बगल वाले कमरे में भोला यादव की कोयले की दुकान थी और उसके बगल में चूड़ी की दुकान थी। वह पूरे मोहल्ले को हर तीज-त्योहार पर घर-घर चूड़ी पहनाने जाया करती थी। इसके बाद नंदी के मुंह के ठीक सामने व्यास जी का कमरा था जहां वह अपना व्यासपीठ का सामान रखा करते थे।केदारनाथ व्यास के छोटे भाई चंदर व्यास चबूतरे के ऊपर चढ़कर जाते थे। पीछे जो दरवाजा है वह ऊपर जाता है और वह खुलता भी था, मस्जिद के हर हिस्से में हिंदू जाते थे किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं था। अक्सर हम लोगों की पतंग कटकर जाती थी तो हम लोग उसे लेने जाते थे। ज्ञानवापी परिसर की पौराणिकता की बात हो रही है तो बता दें कि वहां पर ज्ञानोदक तीर्थ था। इसको फिर से ज्ञानोदक तीर्थ बनाया जाए। जो भी लोग काशी का वर्णन गलत तरीके से कर रहे हैं उनको भैरव-भैरवी की यातना झेलनी पड़ेगी, इसलिए पहले काशी को जानें फिर उसके बारे में वर्णन करें। महंत परिवार के महेश उपाध्याय ने बताया कि उनको वह वाकया आज भी याद है जब ज्ञानी जैल सिंह बतौर गृहमंत्री बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने आए थे। जब उन्होंने छत्ताद्वार से प्रवेश किया तो वह मस्जिद को ही मंदिर समझकर अंदर आ गए थे।उनके साथ एसएचओ चौक भी थे लेकिन वह पीछे-पीछे थे। मैंने उनको पहचान लिया था और लोगों को बताया। इसी दौरान मस्जिद के मौलवी ने उनको बताया कि यह मस्जिद है और मंदिर अभी आगे है। इसके बाद वह मस्जिद से निकलकर मंदिर में गए।
दूसरे दिन के सर्वे का काम पूरा, ज्ञानवापी के चप्पे-चप्पे की फोटोग्राफी, कल फिर होगा सर्वेक्षण
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर में शनिवार को नए सिरे से सर्वे किया जा रहा है। ज्ञानवापी में रविवार को दूसरे दिन का सर्वे हुआ। दोपहर एक बजे के बाद एडवोकेट कमिश्नर व उनकी टीम और वादी-प्रतिवादी पक्ष के लोग परिसर से बाहर निकले। आज भी सर्वे का काम पूरा नहीं हो पाया।वादी पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि सर्वे सोमवार को भी होगा। आज सर्वे में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आई। वहीं टीम के निकलने के बाद गोदौलिया-मैदागिन मार्ग को खोल दिया गया। जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने कहा कि कमीशन की कार्रवाई शांतिपूर्वक माहौल में सुचारू रूप से चली। कोर्ट कमीशन द्वारा रविवार के सर्वे के उपरांत निर्णय लिया गया है कि ये कार्रवाई सोमवार को भी जारी रहेगी। वहीं टीम के निकलने के बाद गोदौलिया-मैदागिन मार्ग को खोल दिया गया।सूत्रों के मुताबिक कुछ हिस्सों का सर्वे अभी बाकी है। आज सर्वे के दौरान अंदर कुछ मलबा मिला है। जिसे साफ कराया जा रहा है। दक्षिणी और उत्तरी हिस्से के अलावा बचे हुए पश्चिमी दीवार और मस्जिद के ऊपर के हिस्से में भी सर्वे की कार्रवाई की गई है। नक्काशीदार गुंबदों सहित तीन कमरों का सर्वेक्षण किया गया। इस दौरान परिसर के चप्पे-चप्पे की फोटोग्राफी हुई।

 

 

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