राष्ट्रपति मुर्मू ने जताया शोक

mulayam singh yadav health : मुलायम सिंह की सेहत में थोड़ा सुधार, जानें अपडेट

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी मुलायम सिंह यादव के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा, मुलायम सिंह यादव का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। साधारण परिवेश से आए मुलायम सिंह यादव जी की उपलब्धियां असाधारण थीं। ‘धरती पुत्र’ मुलायम जी जमीन से जुड़े दिग्गज नेता थे। उनका सम्मान सभी दलों के लोग करते थे। उनके परिवार-जन व समर्थकों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदनाएं। 

मुलायम सिंह यादव और पीएम नरेंद्र मोदी

जायज़ा डेली न्यूज़लखनऊ (संवाददाता)  धरतीपुत्र उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। उन्होंने आज सुबह 8.16 पर अंतिम सांस ली। वह 82 साल के थे। मुलायम सिंह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में वह वेंटिलेटर पर थे। पिछले रविवार से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई। मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार मंगलवार को सैफ़ई में होगा.समाजवादी पार्टी ने ट्वीट करके बताया कि गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से उनका पार्थिव शरीर सैफ़ई ले जाया जा रहा है|

फाइल फोटो

मुलायम सिंह यादव मुसलमानो के भरोसेमंद नेता कहे जाते थे वह मुसलमानो की पहली पसंद भी थे| और वह हमेशा इस पर खरे भी उतरे वह कारसेवको पर गोली चलवाने के इलज़ाम मे अपने ही लोगों के निशाने पर रहे  यहाँ तक के उनको मौलाना मुलायम सिंह भी कहा गया लेकिन मुलायम सिंह ने उसूलों से समझौता नहीं किया और कभी फ़िरक़ा परास्त ताक़तों के सामने तस्लीम नहीं हुए |

सीएम योगी ने अखिलेश से फोन पर की बात, मुलायम सिंह के निधन पर जताया गहरा दुख; यूपी में 3 दिन का राजकीय शोक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए राज्य में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है.मुख्यमंत्री योगी ने ट्वीट किया, “मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश सरकार तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा करती है. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा.”योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शोक की इस घड़ी में उनके पुत्र अखिलेश यादव से दूरभाष पर वार्ता कर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की. भावुक हुए पीएम मोदी, कई तस्वीरें ट्वीट कर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुलायम सिंह यादव के निधन पर काफी भावुक नजर आए। उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर मुलायम सिंह यादव के बारे में बहुत कुछ लिखा, इसके साथ ही उन्होंने मुलायम सिंह के साथ अपनी कई तस्वीरों को ट्वीट किया। पीएम मोदी ने अपने ट्वीटों की श्रृखंला में लिखा, “मुलायम सिंह यादव जी एक विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। उन्हें एक विनम्र और जमीन से जुड़े नेता के रूप में व्यापक रूप से सराहा गया, जो लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील थे। उन्होंने लगन से लोगों की सेवा की और लोकनायक जेपी और डॉ. लोहिया के आदर्शों को लोकप्रिय बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। मुलायम सिंह यादव जी ने यूपी और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई।‘‘मुलायम सिंह यादव जी ने खुद को उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित किया. वो आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण सिपाही थे. बतौर रक्षा मंत्री उन्होंने भारत को और मज़बूत बनाने के लिए काम किया. उनके संसदीय हस्तक्षेप व्यावहारिक थे और राष्ट्रहित पर ज़ोर देने वाले थे.’’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘‘जब हम दोनों मुख्यमंत्री थे तो मेरी मुलायम सिंह यादव जी से कई बार बातचीत हुई. ये करीबी संबंध जारी रहे और मैं हमेशा उनके विचार जानने के लिए उत्सुक रहता था. उनके निधन से मैं दुखी हूं. उनके परिवार और लाखों समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं. ओम शांति.’’प्रियंका गांधी ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुलायम सिंह यादव के निधन का दुखद समाचार मिला। भारतीय राजनीति में उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री, भारत सरकार के रक्षामंत्री व सामाजिक न्याय के सशक्त पैरोकार के रूप में उनका अतुलनीय योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। अखिलेश यादव व अन्य सभी प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी शोक संवेदनाएं। ईश्वर मुलायम सिंह यादव को श्रीचरणों में स्थान दें।आपको बता दें कि 22 अगस्त को मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। मुलायम सिंह को एक अक्तूबर की रात को आइसीयू में शिफ्ट किया गया था। मुलायम सिंह यादव का मेदांता के एक डॉक्टरों का पैनल इलाज कर रहा था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और परिवार के अन्य सदस्य उनके साथ ही हैं। दिल्ली से उनका शव लखनऊ लाने की तैयारी है। यहां से फिर इटावा ले जाया जाएगा। कल तीन बजे मुलायम सिंह यादव का सैफई में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

(तस्वीर में बाएं से दाएं की ओर) साल 1995 में नई दिल्ली में एक मीटिंग के बाद फुर्सत के पल गुज़ारते जनता दल के नेता शरद यादव, मुलायम सिंह यादव, लालू यादव और रामविलास पासवान.

उधर, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल पहुंचें।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव के निधन की जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।

यूपी सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की

मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। मुलायम सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा।

प्रियंका गांधी ने जताया शोक
प्रियंका गांधी ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुलायम सिंह यादव के निधन का दुखद समाचार मिला। भारतीय राजनीति में उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री, भारत सरकार के रक्षामंत्री व सामाजिक न्याय के सशक्त पैरोकार के रूप में उनका अतुलनीय योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। अखिलेश यादव व अन्य सभी प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी शोक संवेदनाएं। ईश्वर मुलायम सिंह यादव को श्रीचरणों में स्थान दें।

रक्षामंत्री राजनाथ ने किया याद

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मुलायम सिंह यादव को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा, राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद मुलायम सिंह जी के सबसे अच्छे संबंध थे। जब भी उनसे भेंट होती तो वे बड़े खुले मन से अनेक विषयों पर बात करते। अनेक अवसरों पर उनसे हुई बातचीत मेरी स्मृति में सदैव तरोताजा रहेगी। दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों एवं समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।

गृहमंत्री शाह ने दी श्रद्धांजलि
गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा, मुलायम सिंह यादव जी अपने अद्वितीय राजनीतिक कौशल से दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे। आपातकाल में उन्होंने लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए बुलंद आवाज उठाई। वह सदैव एक जमीन से जुड़े जननेता के रूप में याद किए जाएंगे। उनका निधन भारतीय राजनीति के एक युग का अंत है। दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों व समर्थकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। ॐ शांति शांति शांति। 

Mulayam Singh Yadav passes away :मुलायम ने की थी कांशीराम की मदद, 90 के दशक में एक नारे ने बदल दिए थे समीकरण

बसपा सुप्रीमो मायावती ने दी श्रद्धांजलि

मैनपुरी में संयुक्त चुनाव प्रचार रैली के दौरान अखिलेश यादव और मायावती के साथ मुलायम सिंह यादव. ये पहली बार था जब साल 1995 के 'गेस्ट हाउस कांड' के बाद मायावती और मुलायम एक साथ एक मंच पर नज़र आए थे.
मुलायम सिंह यादव के निधन पर बसपा  सुप्रीमो मायावती ने भी उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, समाजवादी पार्टी के व्योवृद्ध नेता व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर अति-दुःखद है। उनके परिवार व सभी शुभचिन्तकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कुदरत उन सबको इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।

साल 1996 में मुलायम सिंह यादव ने पहली बार मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा और यूनाइटेड फ़्रंट की सरकार में रक्षा मंत्री चुने गए. वे 1996 से 1998 तक देश के रक्षा मंत्री बने रहे.

मुलायम सिंह यादव का निधन बेहद दुखद: केशव प्रसाद मौर्य
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मुलायम सिंह यादव का निधन बेहद दुखद है। उनका इलाज चल रहा था सब इस आस में थे कि वे वापस इलाज करवाकर लौटेंगे लेकिन यह खबर आई। राजनीतिक दृष्टि से यह एक युग का अंत है

कांग्रेस पार्टी ने भी किया ट्वीट

कांग्रेस पार्टी की ओर से ट्वीट किया गया, समाजवादी पार्टी के संरक्षक, देश के पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार एवं समर्थकों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।

लालू यादव ने भी किया याद
राजद अध्यक्ष लालू यादव ने मुलायम सिंह यादव को याद करते हुए कहा, समाजवादी वटवृक्ष सपा संरक्षक आदरणीय मुलायम सिंह जी के निधन की खबर से मर्माहत हूं। देश की राजनीति में एवं वंचितों को अग्रिम पंक्ति में लाने में उनका अतुलनीय योगदान रहा।उनकी यादें जुड़ी रहेगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। विनम्र श्रद्धांजलि।

अरविंद केजरीवाल ने दी श्रद्धांजलि
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर लिखा, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता श्री मुलायम सिंह यादव जी के निधन का दुखद समाचार मिला। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें एवं उनके सभी प्रशंसकों और परिजनों को ये अपार दुख सहने की शक्ति दें।

 पहलवानी से टीचिंग फिर राजनीति,3 बार सीएम, आठ बार विधायक,7 बार सांसद दो बार प्रधान मंत्री बनते बनते रह गए,मुलायम सिंह यादव के पाँच बड़े फ़ैसले, जिन्होंने भारत की राजनीति पर छोड़ी गहरी छाप

23 अप्रैल 2003, यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की सरकार के ख़िलाफ साइकिल रैली का नेतृत्व करते मुलायम सिंह यादव. इसी साल मायावती के इस्तीफे के बाद मुलायम प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री चुने गए. वे 2007 तक सीएम बने रहे.

जायज़ा डेली न्यूज़लखनऊ (संवाददाता) मुलायम सिंह यादव के निधन से समाजवादी राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। पहले पहलवानी फिर टीचिंग पेशे को अपनाने के बाद राजनीति में आने वाले मुलायम सिंह यादव कई दलों में रहे.मुलायम सिंह यादव के निधन से समाजवादी राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। पहले पहलवानी फिर टीचिंग पेशे को अपनाने के बाद राजनीति में आने वाले मुलायम सिंह यादव कई दलों में रहे। कई बड़े नेताओं की शागिर्दी की लेकिन उसके बाद समजवादी पार्टी बनाई और यूपी पर एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार राज किया। राममंदिर आंदोलन के दौरान जितनी चर्चा भाजपा और उसके नेताओं की हुई उससे ज्यादा मुलायम की होती रही।

8 बार विधायक और 7 बार सांसद
मुलायम सिंह यादव 1967 से लेकर 1996 तक 8 बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा के लिए चुने गए। एक बार 1982 से 87 तक विधान परिषद के सदस्य रहे। 1996 में ही उन्होंने लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा और चुने गए। इसके बाद से अब तक 7 बार लोकसभा में पहुंच चुके हैं। अब भी लोकसभा सदस्य हैं। 1977 में वह पहली बार यूपी में मंत्री बने। तब उन्हें कॉ-ऑपरेटिव और पशुपालन विभाग दिया गया।
 1980 में लोकदल का अध्यक्ष पद संभाला। 1985-87 में उत्तर प्रदेश में जनता दल के अध्यक्ष रहे। पहली बार 1989 में यूपी के मुख्यमंत्री बने। 1993-95 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 2003 में तीसरी बार सीएम बने और चार साल तक गद्दी पर रहे। 1996 में जब देवगौडा सरकार बनी, तब मुलायम उसमें रक्षा मंत्री बने।
 राजनीति के दांवपेंच उन्होंने 60 के दशक में राममनोहर लोहिया और चरण सिंह से सीखे। लोहिया ही उन्हें राजनीति में लेकर आए. लोहिया की ही संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने उन्हें 1967 में टिकट दिया और वह पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। उसके बाद वह लगातार प्रदेश के चुनावों में जीतते रहे। विधानसभा तो कभी विधानपरिषद के सदस्य बनते रहे।
 उनकी पहली पार्टी अगर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी थी तो दूसरी पार्टी बनी चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय क्रांति दल. जिसमें वह 1968 में शामिल हुए। चरण सिंह की पार्टी के साथ जब संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का विलय हुआ तो भारतीय लोकदल बन गया। ये मुलायम के सियासी पारी की तीसरी पार्टी बनी।

साइकिल से घूमना लोगों को आज भी याद
पुराने लोगों को अब भी याद है कि किस तरह लखनऊ में मुलायम 80 के दशक में साइकिल से सवारी करते भी नजर आ जाते थे। कई बार साइकिल चलाते हुए अखबारों के आफिस और पत्रकारों के पास भी पहुंच जाया करते थे। तब उन्हें खांटी सादगी पसंद और जमीन से जुड़ा ऐसा नेता माना जाता था, जो लोहियावादी था, समाजवादी था, धर्मनिरपेक्षता की बातें करता था। इसी दौरान वह यादवों के नेता माने जाने लगे थे। किसान और गांव की बैकग्राउंड उन्हें किसानों से भी जोड़ रही थी। राममंदिर आंदोलन के दौरान मुलायम सिंह मुस्लिमों के पसंदीदा नेता बन गए।

चौधरी चरण सिंह से तब क्षुब्ध हो गए
80 के दशक में चौधरी चरण सिंह के साथ मिलकर इंदिरा गांधी को चुनौती दी। बाद में चौधरी चरण सिंह से तब वह क्षुब्ध हो गए जबकि राष्ट्रीय लोकदल में मुलायम सिंह के यादव के जबरदस्त असर और पकड़ के बाद भी अमेरिका से लौटे अपने बेटे अजित सिंह को पार्टी की कमान देनी शुरू कर दी। बाद में चरण सिंह के निधन के बाद पार्टी टूटी और उसके एक धड़े की अगुवाई मुलायम सिंह करने लगे। 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई। 

इमर्जेंसी के बाद की सियासत
इमर्जेंसी के बाद देश में सियासत का माहौल बदल गया। आपातकाल में मुलायम भी जेल में भेजे गए और चरण सिंह भी। साथ में देश में विपक्षी राजनीति से जुड़ा हर छोटा बड़ा नेता गिरफ्तार हुआ। नतीजा ये हुआ कि अलग थलग छिटकी रहने वाली पार्टियों ने इमर्जेंसी खत्म होने के बाद एक होकर कांग्रेस का मुकाबला करने का प्लान बनाया। इसी तर्ज पर भारतीय लोकदल का विलय अब नई बनी जनता पार्टी में हो गया। मुलायम सिंह मंत्री बन गए।

जब चंद्रशेखर उनसे खफा हो गए
मुलायम को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का करीबी माना जाता था। वह उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की बात करते थे लेकिन ऐन टाइम पर जब वह पलटे और विश्वनाथ प्रताप सिंह को पीएम बनाने पर सहमति जाहिर कर दी तो चंद्रशेखर गुस्से में भर उठे थे। वैसे उनकी अब तक की राजनीतिक यात्रा में वह कांग्रेस के साथ भी गए। कांग्रेस की मनमोहन सरकार को बचाया। वामपंथियों के पसंदीदा भी बने।

मुलायम सिंह यादव के पाँच बड़े फ़ैसले, जिन्होंने भारत की राजनीति पर छोड़ी गहरी छाप

साल 1992 में मुलायम सिंह ने जनता दल से अलग होकर समाजवादी पार्टी के रूप में एक अलग पार्टी बनाई.तब तक पिछड़ा मानी जानेवाली जातियों और अल्प संख्यकों के बीच ख़ासे लोकप्रिय हो चुके मुलायम सिंह का ये एक बड़ा क़दम था, जो उनके राजनीतिक जीवन के लिए मददगार साबित हुआ.

2.अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलवाने का फ़ैसला

बाबरी मस्जिद, अयोध्या

1989 में मुलायम सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. केंद्र में वीपी सिंह की सरकार के पतन के बाद मुलायम ने चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) के समर्थन से अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रखी.जब अयोध्या का मंदिर आंदोलन तेज़ हुआ, तो कार सेवकों पर साल 1990 में उन्होंने गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए थे.बाद में मुलायम ने कहा था कि ये फ़ैसला कठिन था. हालाँकि इसका उन्हें राजनीतिक लाभ हुआ था. उनके विरोधी तो उन्हें ‘मुल्ला मुलायम’ तक कहने लगे थे.

3.यूपीए सरकार को परमाणु समझौतेके मुद्दे पर समर्थन

मुलायम सिंह यादव और मनमोहन सिंह

साल 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार अमरीका के साथ परमाणु करार को लेकर संकट में आ गई थी, जब वामपंथी दलों ने समर्थन वापस ले लिया था.ऐसे वक़्त पर मुलायम सिंह ने मनमोहन सरकार को बाहर से समर्थन देकर सरकार बचाई थी. जानकारों का कहना था कि उनका ये क़दम समाजवादी सोच से अलग था और व्यावहारिक उद्देश्यों से ज़्यादा प्रेरित था.

4.अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला
अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव

साल 2012 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में 403 में से 226 सीटें जीतकर मुलायम सिंह ने अपने आलोचकों को एक बार फिर जवाब दिया था.ऐसा लग रहा था कि मुलायम सिंह चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगे, लेकिन उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाकर समाजवादी पार्टी की राजनीति के भविष्य को एक नई दिशा देने की पहल कर दी थी.हालांकि उनके राजनीतिक सफ़र में उनके हमसफ़र रहे उनके भाई शिवपाल यादव और चचेरे भाई राम गोपाल यादव के लिए ये फ़ैसला शायद उतना सुखद नहीं रहा.ख़ासतौर से शिवपाल यादव के लिए जो खुद को मुलायम के बाद मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक हक़दार मान कर चल रहे थे. लेकिन शायद यहीं समाजवादी पार्टी में उस दरार की शुरुआत हो गई थी.

5. कल्याण सिंह से मिलाया हाथ

कल्याण सिंह

राजनीतिक दांव चलने में माहिर मुलायम सिंह का कल्याण सिंह से हाथ मिलाना भी काफी चर्चा में रहा. 1999 में बीजेपी से निकाले जाने के बाद कल्याण सिंह ने अपनी अलग राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी. उनकी पार्टी साल 2002 में विधान सभा चुनाव भी लड़ी.कल्याण सिंह की पार्टी को हालाँकि केवल चार सीटों पर सफलता मिली, लेकिन साल 2003 में मुलायम सिंह ने उन्हें समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन सरकार में शामिल कर लिया. उनके बेटे राजवीर सिंह और सहायक कुसुम राय को सरकार में महत्वपूर्ण विभाग भी मिले.लेकिन मुलायम से कल्याण की ये दोस्ती ज्य़ादा दिनों तक नहीं चली. साल 2004 के चुनावों से ठीक पहले कल्याण सिंह वापस भारतीय जनता पार्टी के साथ हो लिए.लेकिन इससे बीजेपी को कोई खास लाभ नही हुआ.बीजेपी ने 2007 का विधान सभा चुनाव कल्याण सिंह की अगुआई में लड़ा, लेकिन सीटें बढ़ने के बजाय घट गईं. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम की कल्याण से दोस्ती फिर बढी और कल्याण सिंह फिर से समाजवादी पार्टी के साथ हो लिए.इस दौरान उन्होंने कई बार भारतीय जनता पार्टी और उनके नेताओं को भला-बुरा भी कहा. उसी दौरान उनकी भाजपा पर की गई ये टिप्पणी भी काफी चर्चित हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि, ”भाजपा मरा हुआ साँप है, और मैं इसे कभी गले नही लगाऊंगा.”

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