विकास दुबे के ख़िलाफ़ 64 आपराधिकमामले दर्ज थे

आजीवन कारावस की सज़ा पा चुका था विकास दुबे

जायज़ा डेली न्यूज़ ,सय्यद इक़बाल दिल्ली,उत्तर प्रदेश की सरकार का कहना है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में विकास दुबे पर गोली चलाई थी। यूपी सरकार ने ये बात सुप्रीम कोर्ट में कही है। विकास दुबे की मौत पर सरकार का कहना है कि पुलिस के पास गोली चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।क्योंकि विकास दुबे पुलिसवालों को मारकर भागने की कोशिश कर रहे था ।अपने हलफ़नामे में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा है कि विकास दुबे ने पुलिस से पिस्तौल छीनकर फ़ायरिंग शुरू कर दी थी। जिसकी वजह से उसको मरना पड़ा ।सरकार का कहना है कि बिल्कुल वास्तविक है, इसे गढ़ा नहीं गया है\। हलफ़नामे में सरकार ने बताया है कि इस मामले में एक न्यायिक जाँच आयोग का गठन पहले ही किया जा चुका है। इस लिए इसको फर्जी मुठभेड़ नहीं कहना चाहिए। हलफ़नामे में कहा गया है कि विकास दुबे के ख़िलाफ़ 64 आपराधिक मामले दर्ज थे और एक मामले में वे आजीवन कारावस की सज़ा पा चुका था ।यूपी सरकार ने कहा है कि 2 जुलाई की रात बिकरू गाँव में हुई मुठभेड़ के दौरान विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी।और अपने गिरोह के लोगो के साथ फरार हो गया था मध्य प्रदेश के उज्जैन से उसको गिरफ्तार किया गया था मध्य प्रदेश पुलिस से सुपुर्दगी मिलने के बाद 10 जुलाई को उसे उज्जैन से कानपुर लाते समय पुलिस की गाड़ी पलट गई थी और विकास दुबे ने वहाँ से भागने की कोशिश की थी । सरकार का कहना है कि भागते समय वो लगातार पुलिसवालों पर गोलियाँ चला रहा था ।विकास दुबे के इस एनकाउंटर को लेकर कई सवाल भी उठे थे कि इतनी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में विकास दुबे ने भागने की कोशिश कैसे की थी । सुप्रीम कोर्ट 20 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई कर सकता है. कोर्ट ने पहले ही ये संकेत दिया है कि हैदराबाद एनकाउंटर की जाँच की तर्ज पर वो इस मामले में भी एक कमेटी का गठन कर सकता है। हालांकि यूपी सरकार का कहना है कि ये मामला हैदराबाद एनकाउंटर से बिल्कुल अलग है।

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