“हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन मे दीदा वर पैदा”

अफ़सोस के उर्दूअदब के पासदारान का एकऔर बाब बन्द हो गया ॥

लखनऊ जायज़ा डेली न्‍यूज़(जावेद ज़ैदी) लखनऊ अदब का पासदार, अरबी व फ़ारसी और उर्दू अदब का शाहकार, ख़तीब आले इमरान, अज़ीम उस्ताद जामे नाज़मिया के प्रोफेसर मौलाना इब्ने हैदर का आज मुख़्तसरअलालत के बाद इन्तक़ाल हो गया। उनकी उम्र तकरीबन नब्‍बे (90) साल थी। मौलाना के जनाज़े को उनके मकाने मस्कूना वाक़्ये तोप दरवाज़ा, चौपटियाँ से दरगाह हज़रत अब्बास ले जाया गया । सफ़र आख़िर के लिये मरहूम का जनाजा कर्बला इमदाद हुसैन ले जायेगे।मौलाना इब्ने हैदर निहायत ख़लीक़, फ़साहतो बलाग़त में कम नज़ीर, शीरीं ज़बान मुशफिक़ व मेहरबान उस्ताद थे। दुनिया के मख़तलिफ़ मुक़ामात पर उनके शार्गिदों की बड़ो तादाद पाई जाती है। यकीनन उनकी ज़बान व बयान की शीरीनी हर एक को मुतास्सिर करने वाली थी। उनके इन्तेक़ाल के बाद अब बह बाब बन्द हो गया है।मरहूम इब्ने हैदर साहब ने एक रिकॉर्ड ये भी अपने नाम किया कि आगरा मे लगभग 65 साल से ज़्यादा एक अशरा ए मजलिस को ख़िताब किया ,मौलाना के इन्तेक़ाल की ख़बर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही बड़े पैमाने पर ताज़ियती. पैग़ामात जारी हो रहे हैं। मौलाना मरहूम के पस्मन्दगान मे बेवा के अलावा चार लड़के और पांच बेटियाँ हैं। ख़बर लिखे जाने तक उनकी तदफ़ीन अमल में नहीं आई थी।इस इत्तला पर मुमताज़ अलीम ए दीन मौलाना कल्बे जवाद इस्लाह के एडिटर मौलाना जाबिर जौरासी उनके शागिर्द मौलाना अख्तर हुसैन ने ताज़ियत का इज़हार किया है ।

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